कंसल्टिंग फर्म केपीएमजी के हालिया सर्वे के मुताबिक भारत में 89 परसेंट कॉरपोरेट एग्‍जीक्‍यूटिव्‍स ने साइबर क्राइम्‍स को अपनी कंपनियों के फाइनेंशियल ट्रांजेक्‍शन और रेपु‍टेशन के लिए खतरा माना है.


साइबर क्राइम सर्वे 2014 में सामने आया सच


केपीएमजी के साइबर क्राइम सर्वे 2014 में भारत के 89 परसेंट कॉरपोरेट एग्जीक्यूटिव्स ने इस बात को माना है कि साइबर क्राइम से फाइनेंशियल ट्रांजेक्शंस तो खतरे में रहते हैं. इसके साथ ही साइबर क्राइम से कंपनी की क्रेडिट और ब्रांड वेल्यू पर भी खासा असर पड़ता है. इस सर्वे में 170 कॉरपोरेट एग्जीक्यूटिव्स ने भाग लिया. इनमें से 51 परसेंट लोगों ने माना कि बिजनेस नेचर की वजह से वह साइबर क्राइम के काफी आसान शिकार हैं. इसके साथ ही इन 51 परसेंट कॉरपोरेट एग्जीक्यूटिव्स में से 68 परसेंट लोगों ने माना कि वे साइबर क्राइम के खतरों की रेगुलेरली मॉनिटर करते हैं.  इस सर्वे में 37 परसेंट लोगों ने इस बात को माना है कि साइबर अटैक का खतरा बाहर से रहता है लेकिन इंटरनल थ्रेट्स से भी अलर्ट रहना जरूरी है. कई बार इंटरनल स्टाफ इंपॉर्टेंट इन्फॉर्मेंशन को हासिल करने की कोशिश करते हैं.  फाइनेंशियल सेक्टर पर सबसे बड़ा खतरा

इस सर्वे में एक बात निकल कर आई कि साइबर क्राइम्स का खतरा सबसे ज्यादा फाइनेंशियल सेक्टर पर मंडराता है. इस बात को 58 परसेंट लोगों ने माना है. साइबर क्रिमिनल्स क्रेडिट कार्ड, एटीएम क्लोनिंग और बैंक अकाउंट की जानकारी निकालने जैसे काम बड़ी आसानी से कर पाते हैं. गौरतलब है कि इस सेक्टर में खतरे से नुकसान होने का लेवल काफी ज्यादा रहता हैं. इसके अलावा मोबाइल बैंकिंग के प्रचलित होने से इन खतरों के बढ़ने की संभावना है. इंटरटेनमेंट और कम्युनिकेशंस पर खतराइस सर्वे में 11 परसेंट लोगों ने माना कि कम्युनिकेशंस, इंटरटेनमेंट और इन्फ्रास्ट्रक्चर को भी साइबर क्राइम्स से खतरा है. इसके साथ ही करीब 48 परसेंट एग्जीक्यूटिव्स मानते हैं कि साइबर क्राइम उनकी गुडविल के लिए एक खतरा है

Posted By: Prabha Punj Mishra