अब जबकि महाराष्‍ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे आ चुके हैं यह देखना रोचक होगा कि मतों की गिनती से पहले एग्‍जिट पोल के जरिए नतीजों की भविष्‍यवाणी करने वाली एजेंसियों में से किसका तीर निशाने पर लगा.


अलग-अलग टेलीविजन चैनल्स के लिए महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव 2014 के नतीजों की भविष्यवाणी करने वाले एग्जिट पोल कई एजेंसियों ने किए थे. ओपिनियन पोल के ठीक उलट एग्जिट पोल में मतदाता की राय मतदान करने के बाद पोलिंग बूथ से बाहर आने के बाद ली जाती है. अगर राजनीतिक दलों की बात की जाए तो जिनकी जीत की भविष्यवाणी की जाती है वह इनका समर्थन और हार की कगार पर दिखाई जाने वाली पार्टियां इन्हें खारिज करती आई हैं. आइए एक नजर डालते हैं कि आखिर अलग-अलग एजेंसियों में से कौन चुनावी नतीजों की सबसे सटीक भविष्यवाणी करने में कामयाब रहा.महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2014


सबसे पहले बात करते हैं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2014 और उसमें बीजेपी के प्रदर्शन और उससे जुड़े पूर्वानुमानों की. इस चुनाव में एक तरह से न सिर्फ बीजेपी बल्कि प्राइम मिनिस्टर नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी हुई थी. पार्टी ने ऐन चुनाव से पहले अपनी पुरानी सहयोगी शिवसेना से गठबंधन तोड़कर अकेले मैदान में उतरने का फैसला किया था. लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में बीजेपी शिवसेना गठबंधन को मिली आशतीत सफलता से यह मानकर चला जा रहा था कि राज्य में कांग्रेस एनसीपी के दिन गिने चुने ही हैं.सी वोटर और एसी नीलसन ने एग्जिट पोल में बीजेपी के क्रमश: 138 व 144 सीटें जीतने की भविष्यवाणी की थी. टुडेज चाणक्या ने 288 सीटों में से पार्टी के बहुमत के आंकड़े से भी अधिक 151 सीटें जीतने की बात कही थी. वहीं सिसरो ने अपने पूर्वानुमान में बीजेपी को सिर्फ 124 सीटें दी थीं. पार्टी ने 122 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की. चारों ने ही बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरने का अनुमान लगाया था. यह अनुमान जहां ठीक साबित हुआ वहीं सीटों के मामले में टुडेज चाणक्या का अनुमान असल नतीजों से कहीं आगे निकल गया वहीं सिसरो बेहद करीब रही.


राजनीतिक विश्लेषकों की नजर कभी बीजेपी की सहयोगी रही शिवसेना के प्रदर्शन पर भी थी. पार्टी न सिर्फ सहयोगी दल बल्कि अपने संस्थापक बाला साहब ठाकरे के बिना चुनाव लड़ रही थी. कमान बाला साहब के बेटे उद्धव ठाकरे के हाथों में थी जिन्होंने मौका मिलने पर महाराष्ट्र के सीएम की जिम्मेदारी से पीछे न हटने की बात कही थी. सी वोटर ने अपने सर्वे में शिवसेना को 59 सीटें मिलने का पूर्वानुमान लगाया था. एसी नीलसन ने पार्टी को 77 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था. वहीं टुडेज चाणक्या व सिसरो दोनों ने ही पार्टी के 71 सीटें जीतने की भविष्यवाणी की थी. जब नतीजे सामने आए तो पार्टी ने 63 विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की.अब बात करते हैं कांग्रेस और एनसीपी के प्रदर्शन की. 15 वर्ष तक राज्य में सत्तारूढ़ रहे दोनों दलों ने चुनाव के ठीक पहले एक दूसरे से नाता तोड़ लिया था. दोनों ने ही 2004 और 2009 का विधानसभा चुनाव मिलकर लड़ा था. 1999 में दोनों चुनावी नतीजे सामने आने के बाद साथ आए थे. लोकसभा चुनाव के बाद यह तय माना जा रहा था कि सत्ता विरोधी लहर के चलते दोनों पार्टियां विधानसभा चुनाव में शायद ही अपना पिछला प्रदर्शन दोहरा सकें. एग्जिट पोल में सी वोटर, एसी नीलसन, टुडेज चाणक्या व सिसरो ने कांग्रेस के क्रमश: 41,30,27 व 35 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की थी. कांग्रेस 42 सीटें जीतने में कामयाब रही जो सी वोटर के पूर्वानुमान के काफी करीब है.

वहीं मराठा क्षत्रप शरद पवार की पार्टी को 41 विधानसभा सीटों पर जीत मिली. सी वोटर ने एनसीपी के 30 सीटें मिलने की बात कही थी. वहीं एसी नीलसन का अनुमान था कि पार्टी 29 सीटें जीत सकती है. टुडेज चाणक्या ने उसे 28 तो सिसरो ने 29 सीटें दी थीं. बहरहाल पार्टी ने सारी एजेंसियों के पूर्वानुमान का धता बताते हुए कहीं अधिक सीटों पर जीत दर्ज की. कुछ ऐसा ही शिवसेना से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले बाला साहब के भतीजे राज ठाकरे के साथ भी हुआ. उनकी पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना को चुनावों में सिर्फ एक सीट पर कामयाबी मिली. जबकि सी वोटर, एसी नीलसन व सिसरो ने पार्टी के क्रमश: 12, 3 व 7 सीटें जीतने की भविष्यवाणी की थी. निर्दलीय व अन्य 19 सीटों पर विजयी रहे जबकि सी वोटर, एसी नीलसन, टुडेज चाणक्या व सिसरो ने इन्हें क्रमश: 8,5,11 व 22 सीटें दी थीं.हरियाणा विधानसभा चुनाव 2014
हरियाणा विधानसभा चुनाव में 2005 व 2009 के चुनावों में जीत दर्ज करने वाली सत्तारूढ़ कांग्रेस का मुकाबला बीते बीजेपी से था जो बीते लोकसभा चुनाव में राज्य में मिली कामयाबी के बाद से उत्साह से भरी हुई थी. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40 और बीजेपी को 4 सीटों पर कामयाबी मिली थी. यहां भी विधानसभा चुनाव के ठीक पहले बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में सहयोगी रही कुलदीप विश्नोई की हरियाणा जनहित कांग्रेस से गठबंधन तोड़ लिया. क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी इंडियन नेशनल लोकदल भी यहां मुख्य मुकाबले में थी.सी वोटर, एसी नीलसन, टुडेज चाणक्या और सिसरो चारों ने ही एग्जिट पोल के बाद हरियाणा में बीजेपी के पूर्ण बहुमत पाने या सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की भविष्यवाणी की थी. जिस पर यह सभी खरी उतरीं. हालांकि सीटों की संख्या के मामले में सबसे करीब सी वोटर रहा जिसने पार्टी को 45 सीटें मिलने की बात कही थी. बीजेपी ने 47 सीटों पर जीत दर्ज की. एसी नीलसन और टुडेज चाणक्या ने पार्टी के क्रमश: 54 व 52 सीटें जीतने का अनुमान लगाया था.सत्ता विरोधी रुझान के चलते कांग्रेस की पराजय लगभग तय मानी जा रही थी. उसने 15 सीटों पर जीत दर्ज की. एसी नीलसन व टुडेज चाणक्या ने उसे अपने सर्वे में 10-10 सीटें दी थीं. सी वोटर का अनुमान सबसे सटीक रहा जिसने कांग्रेस को 15 सीटें मिलने की बात कही थी. इन चुनावों में मुख्य विपक्षी पार्टी बनकर उभरी इंडियन नेशनल लोकदल ने 19 सीटों पर जीत हासिल की. अगर एग्जिट पोल के अनुमानों पर नजर डालें तो सी वोटर, एसी नीलसन और टुडेज चाणक्या ने उसे क्रमश: 23,22 व 23 सीटें मिलने की भविष्यवाणी की थी. कांग्रेस को जहां अनुमान से ज्यादा सीटें मिलीं वहीं आईएनएलडी को अनुमान से कम.लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सहयोगी रही हरियाणा जनहित कांग्रेस ने दो सीटें जीती. सी वोटर ने जहां उसे 4 सीटें मिलने की बात कही थी वहीं एसी नीलसन का पार्टी के 2 सीटें जीतने का अनुमान सटीक बैठा.Hindi News from National News Desk

Posted By: Mayank Kumar Shukla