कोर्ट में सालों केस चलता है। भारत में करोड़ों की मात्रा में केस पेंडिंग पड़े हैं ऐसे में एक जनाब खुद को जज समझ बैठे उन्‍होंने एक दो नहीं पूरे 105 मामले निपटा दिये। कई दिनो बाज जब जज के सामने एक फाइल पहुंची जिसका फैसला ही उन्‍होंने नहीं सुनाया था पर उस पर उनके हस्‍ताक्षर थे जिसके बाद मामले की जांच शुरु हुई। जांच के बाद हुये खुलासे ने सभी को चौंका दिया। यह अपने आप में पहला ऐसा मामला है जिसमें एक क्लर्क ने कुछ पेंडिंग केसों को अपने हाथ में लेते हुए फाइलों का खुद ही निपटारा कर दिया।


क्लर्क ने जज बन कर निपटाये 105 केसबलार्ड मेट्रोपॉलिटन कोर्ट के क्लर्क मारुति सालुंखे पर 105 फाइलों पर जज के फर्जी हस्ताक्षर कर मामलों का निस्तारण करने का आरोप लगा है। जब जज ने स्वयं एक ऐसा दस्तावेज देखा जिस पर उन्होंने हस्ताक्षर किए ही नहीं थे तो मामला खुद गया। क्लर्क से जब इस बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि पेंडिंग फाइलों को निपटाने के लिये उसने ऐसा किया। जिसके तुरंत बाद सांलुखे को पुलिस ने हिरासत में लेकर पूछताछ करना शुरु कर दिया। पूछताछ के दौरान हुये खुलासे में पाया गया कि क्लर्क ने एक फाइनेंस कंपनी के चेकों से जुड़ी फाइलों पर फर्जी हस्ताक्षर किए थे। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि कहीं कंपनी या उसके कर्मचारियों ने तो क्लर्क से ऐसा करने को नहीं कहा था। संगीन धाराओं में क्लर्क पर दर्ज हुआ मुकदमा
पुलिस अधिकारी ने बताया ये फाइलें कोर्ट के रूम नंबर 33 से उठाई गई थीं। जहां बाउंस्ड चेक संबंधी फाइलें रखी जाती हैं। ये मामले बैंकिंग कंपनियां फाइल करती हैं और मजिस्ट्रेट इन मामलों को आगे बढ़ाते हैं। पुलिस अधिकारी ने बताया कि मजिस्ट्रेट ने फाइलों के दराज में सबसे ऊपर रखी फाइल में अपने हस्ताक्षर देखे और उसके बाद कई ऐसी फाइलें पाईं। इस पर सफाई देते हुए साइन करने वाले क्लर्क ने कहा कि उसका मकसद महीनों से पेंडिंग पड़ी फाइलों को निपटाना था और कुछ नहीं। मारुति सालुंखे पर आईपीसी की धाराओं 420 धोखाधड़ी, 465 जालसाजी, 466 कोर्ट के दस्तावेजों के साथ जालसाजी, 467 वसीयत आदि के साथ जालसाजी, 471 फर्जी दस्तावेज का इस्तेमाल और 409 विश्वासघात में मामला दर्ज कर लिया गया है।Weird News inextlive from Odd News Desk

Posted By: Prabha Punj Mishra