भारतीय लोकतंत्र के गौरव के प्रतीक संसद भवन को अब अपनी 90 साल पुरानी चमक फिर मिलेगी। फिलहाल इसके लिए दुनिया की सबसे आधुनिक वेपर वाष्प तकनीक का इस्तेमाल होगा जो बगैर किसी क्षति के पत्थरों के पुराने स्वरूप को प्रदान करती है। दावा है कि इस तकनीक का अब तक रोम के कैथोलिक चर्च को चमकाने में इस्तेमाल किया गया है। साथ ही यहां पढ़ें ऐत‍िहास‍िक भवनों की सफाई के ये दूसरे तरीके...


83 लाख रुपये में बनी थी यह ऐतिहासिक धरोहरचार मंजिला अद्र्ध गोलाकार संसद भवन को चमकाने की यह पहल उस समय शुरू की गई है, जब उसकी बाहरी दीवारों पर लगे पत्थर प्रदूषण और धूप के चलते बदरंग होने लगे हैं। मौजूदा संसद भवन का निर्माण कार्य वैसे तो वर्ष 1921 में शुरू किया गया था, लेकिन यह छह वर्ष बाद 1927 में बनकर तैयार हुआ था। तब इस ऐतिहासिक धरोहर को बनाने की लागत 83 लाख रुपये आई थी।नियमों का कड़ाई से पालन
इंटेक से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक यह काम कब तक पूरा होगा, यह बता पाना मुश्किल है, क्योंकि यह काम तभी होगा, जब संसद भवन खाली मिलेगा। वैसे भी यह एक बार में कम से कम एक-डेढ़ महीने ही खाली मिल पाता है। उनका कहना है कि तकनीक के तहत पानी को वाष्प बनाकर एक विशेष तरह के साबुन की मदद से निर्धारित प्रेशर पर पत्थरों को डाला जाता है। इससे पत्थरों की धुलाई के साथ एक खास तरह की कोटिंग भी होती है। इस पूरे अभियान का जो सबसे अहम पहलू है, वह यह है कि इस कामकाज से भवन का कोई भी हिस्सा खराब या क्षतिग्रस्त नहीं होना चाहिए। इसके लिए अफसरों की एक टीम हर दिन के कामकाज को बारीकी से जांचती है। हेरिटेज भवन होने के चलते सभी नियमों का कड़ाई से पालन किया जाता है।DOFF Systemडॉफ सिस्टम भी सफाई के लिए यूज की जाने वाली एक बेहतर क्लीनिंग टेक्नीक है। डॉफ प्रणाली का उपयोग रंग और तेल के कारण लगे मुश्किल दाग को छुटाने के लिए किया जाता है। यह सफाई प्रणाली उच्च तापमान में भाप के बल पर होती है। जब तापमान काफी ज्यादा होता है तो यह काफी अच्छे से काम करता है। गर्म पानी की हल्की धार के साथ दीवारें अच्छे से साफ हो जाती हैं। सफाई की दूसरी तकनीकों की अपेक्षा इसे ज्यादा सहूलियत भरा माना जाता है।story by अरविंद पांडेय, नई दिल्ली

 

Posted By: Shweta Mishra