Class Of '83 Movie Review: भ्रष्टाचार की सही क्लास लगाने आई है ये फिल्म
फिल्म : क्लास ऑफ़ 83
कलाकार : बॉबी देओल ,अनूप सोनी, जॉय सेनगुप्ता, विश्वजीत प्रधान , हितेश भोजराज, समीर परंजपे, निनाद महाजनी।
निर्देशक : अतुल सबरवाल
लेखन टीम : अभिजीत देशपांडे
ओटीटी चैनल : नेटफ्लिक्स
अवधि : एक घंटे 38 मिनट
निर्माता : रेड चिलीज
रेटिंग : तीन स्टार
बॉबी देओल ने लम्बे समय के बाद एक अच्छी फिल्म का चयन भी किया है और शानदार अभिनय भी किया है। यह फिल्म एक नए और फ्रेश कंटेंट के लिए देखी जानी चाहिए। अबतक हमने ऐसी फिल्में देखी हैं, जिसमें पुलिस प्रशासन की पूरी प्रक्रिया दिखाई जाती रही है कि वह संचालित किस तरह होती है , पहली बार है कि इनके पर्दे के पीछे की कहानी को दिलचस्प तरीके से प्रस्तुत किया जा रहा। सिम्बा, सिंघम को मापदंड मान कर पुलिस पर बनी फिल्में देखने वालों तो यह फिल्म देखनी ही चाहिए। पढ़ें पूरा रिव्यु
क्या है कहानी
कहानी 1983 के महाराष्ट्र की है, फिल्म के मुख्य किरदार आई पीएस ऑफिसर विजय सिंह (बॉबी देओल) के इर्द-गिर्द घूमती है । फिल्म के निर्देशक ने अपनी कहानी को काल्पनिक बताया है, लेकिन फिल्म काफी हद तक सच्ची घटनाओं पर ही आधारित हैं. इतिहास के पन्ने पलते जाएं तो इस फिल्म की सारी घटानाएं सामने आ जाएंगी। कहानी की शुरुआत 1982 से होती है। एक आई पीएस अफसर यह सोच कर देश की सेवा करना चाहता है कि वह नेहरू के हसीं सपने जो कभी उन्होंने देश के लिए देखे थे, उसे पूरा करेगा। लेकिन किस तरह वह शिकार होता जाता है, करप्शन और राजनीति का। यही फिल्म की कहानी है। उसका अपना संघर्ष काफी कुछ कह जाता है और उस दौर में जब भ्रष्टाचार अपने पांव पसार रहा था। और एक ईमानदार पुलिस अफसर किस तरह उस पूरे मायाजाल में फंसता है। यहीं कहानी का दिलचस्प पार्ट है।
क्या है अच्छा
फिल्म की अवधि बिल्कुल कहानी के साथ पूरी तरह से न्याय करती है। कलाकारों का चयन। फिल्म की मेकिंग का अंदाज़। किताबी कहानी को बखूबी अच्छे तरीके से प्रेजेंट किया है। लेखन टीम ने अभी किरदारों और घटनाओं को बखूबी से प्रेजेंट किया है। अच्छी बात यह भी है कि इसमें सिम्बा और सिंघम वाला बेमतलब का हीरोइज्म भी नहीं है।
फिल्म जिस तरह के कांसेप्ट के साथ बनी है. फिल्म के संवाद वैसे तगड़े नहीं है। अदाकारी
बॉबी देओल सरप्राइज हैं फिल्म के लिए. अतुल सबरवाल ने उन्हें क्या बखूबी से दर्शाया है। बॉबी में अजनबी वाले दिनों का तेवर नजर आया है। जॉय सेनगुप्ता को और किरदार मिलने चाहिए। अनूप सोनी ने अपने नियमित किरदारों की तुलना में अलग काम किया है। फिल्म की जान नए कलाकार हैं। अच्छा परफॉर्म किया है सबने। वर्डिक्ट : फिल्म नए कांसेप्ट और माउथ पब्लिसिटी के कारण जरूर देखी जायेगी।
Review By: अनु वर्मा