देश में चीन के खिलाफ चल रहे गुस्से के बीच बीसीसीआई ने साफ कह दिया है कि आईपीएल की टाइटल स्पाॅन्सर वीवो को फिलहाल हटाया नहीं जाएगा। वीवो चाइनीज मोबाइल कंपनी है और भारतीय क्रिकेट बोर्ड के साथ उसका 2022 तक का करार है।


नई दिल्ली (पीटीआई)। बीसीसीआई अगली बार चाइनीज कंपनियों के साथ करार को लेकर समीक्षा कर सकता है। मगर इस समय वीवो को आईपीएल के टाइटल स्पाॅन्सर से नहीं हटाया जाएगा। शुक्रवार को बोर्ड के कोषाध्यक्ष अरुण धूमल ने कहा, चीनी कंपनी से आने वाला पैसा भारत की आर्थिक स्थिति में मदद करता है। ऐसे में अभी वीवो के साथ करार खत्म नहीं कर सकते। इस सप्ताह के शुरू में गलवान घाटी में दोनों देशों के बीच सीमा संघर्ष के बाद देश में चीन के खिलाफ काफी गुस्सा है। इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए, ऐसे में भारतीय नागरिकों ने चीनी सामान का विरोध करना शुरु कर दिया है।बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रुपये मिलते


एक तरफ जहां लोग चाइनीज सामान का बहिष्कार करने सड़कों पर उतर आए। वहीं बीसीसीआई अपने आईपीएल स्पाॅन्सर वीवो के साथ फिलहाल करार खत्म करने के पक्ष में नहीं है। बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रुपये मिलते हैं और पांच साल का यह सौदा 2022 में खत्म होगा। धूमल ने पीटीआई से कहा, "जब आप भावनात्मक रूप से बात करते हैं, तो आप तर्क को पीछे छोड़ देते हैं। हमें चीनी कंपनी का समर्थन करना और भारत हित में चीनी कंपनियों से हाथ मिलाने के बीच के अंतर को समझना होगा। जब हम चीनी कंपनियों को भारत में अपने उत्पादों को बेचने की अनुमति दे रहे हैं, जो भी पैसा वे भारतीय उपभोक्ता से ले रहे हैं, वे इसका हिस्सा बीसीसीआई को दे रहे हैं (ब्रांड प्रचार के रूप में) और बोर्ड उस पैसे पर 42 प्रतिशत कर का भुगतान भारत सरकार को कर रहा है। इसलिए, बोर्ड भारत के कारण का समर्थन कर रहा है न कि चीन का।'भारतीय ब्रांड को प्रायोजित करने में कोई बुराई नहीं

सिर्फ वीवो नहीं चीन की एक और मोबाइल निर्माता कंपनी ओप्पो टीम इंडिया की जर्सी स्पाॅन्सर थी। हालांकि पिछले साल ही बाइजू ने इसको रिप्लेस कर लिया। धूमल ने कहा कि वह सभी चीनी उत्पादों पर निर्भरता कम करने के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक इसकी कंपनियों को भारत में कारोबार करने की अनुमति है, तब तक आईपीएल जैसे भारतीय ब्रांड को प्रायोजित करने में कोई बुराई नहीं है। धूमल ने कहा, 'अगर वे आईपीएल का समर्थन नहीं कर रहे हैं, तो वे उस पैसे को वापस चीन ले जाने की संभावना रखते हैं। यदि वह पैसा यहां रखा जाता है, तो हमें इसके बारे में खुश होना चाहिए। हम उस पैसे के साथ हमारी सरकार का समर्थन कर रहे हैं (उस पर करों का भुगतान करके)।चीन से पैसा ले रहे, दे नहीं रहेधूमल कहते हैं, 'अगर मैं एक चीनी कंपनी को क्रिकेट स्टेडियम बनाने का ठेका दे रहा हूं, तो मैं चीनी अर्थव्यवस्था की मदद कर रहा हूं। जीसीए ने मोटेरा में दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम बनाया और यह ठेका एक भारतीय कंपनी (एलएंडटी) को दिया गया। पूरे देश में हजारों करोड़ रुपये का क्रिकेट बुनियादी ढांचा बनाया गया था और किसी भी अनुबंध को चीनी कंपनी को नहीं दिया गया था।" धूमल ने कहा कि बीसीसीआई पसंद के लिए खराब हो जाती है जब प्रायोजकों को आकर्षित करने की बात आती है, चाहे वह भारतीय हो या चीनी या किसी अन्य राष्ट्र से।"अगर वह चीनी धन भारतीय क्रिकेट को समर्थन देने के लिए आ रहा है, तो हमें इसके साथ ठीक होना चाहिए। मैं एक व्यक्ति के रूप में चीनी उत्पादों पर प्रतिबंध लगाने के लिए सहमत हूं, हम अपनी सरकार का समर्थन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन चीनी कंपनी से प्रायोजन प्राप्त करके, हम भारत की मदद कर रहे हैं।"

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari