ऐसे वक्त में जब अमरीका एशिया में चीन के 'नकारात्मक असर' को देखते हुए भारत को अहम सहयोगी के रूप में देख रहा है। चीन ख़ुद को दुनिया के मंच पर केंद्रीय भूमिका में देख रहा है। कम्युनिस्ट पार्टी के सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के भाषण पर चीन समेत दुनिया के कई मुल्कों की निगाहें थीं।

 

 

 

तीन घंटे लंबे दिए भाषण में शी जिनपिंग ने अपनी उपलब्धियां गिनवाईं और भविष्य के लिए अपना रोडमैप बताया। शी जिनपिंग ने कहा, ''चीन एक नए युग में प्रवेश कर चुका है, जहां हमें दुनिया के केंद्रीय मंच पर अपनी जगह लेनी चाहिए।

चीनी विशेषताओं के साथ समाजवाद के तहत मुल्क ने तेजी से विकास किया। ये दिखाता है कि दूसरे मुल्कों के पास एक नया विकल्प है।''

 

जिनपिंग को मिलेगा मौका?

इस सम्मेलन का मकसद चीन के अगले प्रमुख को चुनना और नीतियों का ऐलान करना है। सम्मेलन में शी जिनपिंग के पार्टी प्रमुख बन रहने की संभावना जताई जा रही है।

हर पांच साल में आयोजित होने वाली कांग्रेस मंगलवार तक चलेगी। कड़ी सुरक्षा के बीच इस सम्मेलन में दो हज़ार से ज़्यादा प्रतिनिधि शामिल होंगे।

कांग्रेस के ख़त्म होने पर पार्टी में नए सदस्य शामिल हो सकते हैं। ये सदस्य चीन के सर्वोच्च निर्णय लेने वाली द पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी में शामिल होंगे। ये कमेटी देश को चलाती है।

 

2012 से सत्ता में हैं जिनपिंग

चीनी राष्ट्रपति साल 2012 में जब सत्ता में आए थे, चीन की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी।

लेकिन संवाददाताओं का कहना है कि चीन पहले के मुक़ाबले ज़्यादा सत्तावादी बनी है। क्योंकि इस दौरान वकीलों और कार्यकर्ताओं की गिरफ़्तारी और सेंसरशिप बढ़ी है।

 

 

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बीबीसी चीनी सेवा की संपादक कैरी ग्रेसी का विश्लेषण

शी जिनपिंग पहले के राष्ट्र प्रमुखों से ज़्यादा मुखर नेता रहे हैं। सम्मेलन के दौरान अपनी लंबे भाषण में वो काफी आत्मविश्वास से भरे नज़र आए।

जिनपिंग ने अपने पांच सालों की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि पार्टी ने असंभव लक्ष्य पूरे किए, विश्व में चीन की भूमिका बढ़ी है।

लेकिन इसमें जो बात सबसे ज़्यादा ध्यान खींचने वाली है, वो है वैचारिक विश्वास।

हाल ही में पार्टी की मीडिया ने पश्चिमी लोकतंत्र में फैले संकट की तुलना चीन की मजबूती और एकता से की थी। शी जिनपिंग अपने भाषण में कहते हैं कि वो विदेश राजनीतिक प्रणाली की नकल नहीं करेंगे।

जिनपिंग ने कहा, ''कम्युनिस्ट पार्टी हर उस बात का विरोध करेगी, जो चीन के नेतृत्व को नकारेगी।''

 

 

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फिर से लिखा जाएगा संविधान?

चीन की सरकारी मीडिया का कहना है कि पार्टी अपने संविधान को फिर से लिख सकती है, ताकि जिनपिंग की वर्क रिपोर्ट और राजनीतिक विचारों को इसमें शामिल किया जा सके। ऐसे करने से जिनपिंग का क़द पार्टी के पूर्व दिग्गजों माओ त्से तुंग और डेंग शियाओ पिंग जितना हो जाएगा।

बीबीसी के बीजिंग संवाददाता जॉन सडवर्थ का कहना है कि कुछ लोग शी जिनपिंग को माओ के बाद का सबसे ताक़तवर नेता मान रहे हैं। कांग्रेस पर पैनी नज़र रखी जा रही है ताकि उन संकेतों पर पता लगाया जा सके कि एक आदमी के हाथ में कितनी शक्ति दी जानी है।

जिनपिंग ने अपने शासन के दौरान पार्टी और चीनी समाज में नियंत्रण कसा है। लेकिन वो आम नागरिकों के बीच मिले विशाल समर्थन को इंजॉय भी कर रहे हैं।

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Posted By: Chandramohan Mishra