ग्लोबल वाॅच की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ हैं कि चीन आर्थिक रूप से कमजोर देशों में अपनी पकड़ बनाने के लिए वहां के भ्रष्ठ नेताओं का इस्तेमाल कर रहा है। रिपोर्ट में उदाहरण के तौर पर नेपाल के पीएम के भ्रष्टाचार का उदाहरण दिया गया है।


काठमांडू (एएनआई)। चीन आर्थिक रूप से कमजोर देशों में पैठ बनाने के लिए वहां के भ्रष्ठ नेताओं का इस्तेमाल करता है। यह खुलासा ग्लोबल वाॅच एनालिसिस की एक रिपोर्ट में हुआ है। ग्लोबल वाॅच एनालिसिस में प्रकाशित रिपोर्ट के लेखक रोलैंड जैक्वार्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीन की इस नीति से न सिर्फ उनकी कंपनियों के कारोबार को बढ़ाने में मदद मिल रही है बल्कि वह उस देश की राजनीति में भी चुपके से अपनी घुसपैठ बना रही है। ऐसा वह लंबे समय तक अपने हक में उस राष्ट्र को प्रभावित करने के लिए करती है। रिपोर्ट में यह आरोप लगाया गया है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की व्यक्तिगत आय में साल दर साल बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है।पीएम ओली ने 5.5 मिलियन डाॅलर जमा किए हैं मीराबॉड बैंक के जिनेवा शाखा में


ओली यहां के कम्युनिस्ट पार्टी के नेता हैं। रिपोर्ट में यह भी आरोप है कि ओली ने यह धन विदेशों में छिपा रखा है। जैक्वार्ड ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पक्के तौर पर कहा जा सकता है कि ओली का मीराबॉड बैंक के जिनेवा शाखा में खाता है। बैंक की यह शाखा बुलेवार्ड जॉर्जेस-फेवन स्थित एक बिल्डिंग में स्थित है। जैक्वार्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके अकाउंट में 5.5 मिलियन डाॅलर जमा है। यह राशि लांग टर्म डिपाॅजिट और शेयरों में निवेश किए गए हैं। इससे ओली और उनकी पत्नी राधिका साक्या को हर साल आधा मिलियन की आय होती है। जैक्वार्ड साफ करते हैं कि ओली पर बिजनेस डीलिंग में चीन की मिलीभगत से भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे हैं।दोनों कार्यकाल में लगे भ्रष्टाचार के आरोप, चीनी मददगारों के नाम भी सामने आए

रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015-16 में पहले कार्यकाल के दौरान उन पर पहला भ्रष्टाचार का यह आरोप लगा था कि वे नेपाल स्थित चीनी राजदूत की मदद से कंबोडिया के टेलीकम्युनिकेशन सेक्टर में निवेश करना शुरू कर दिया था। वह कथित डील ओली के नजदीकी विश्वासपात्र एक नेपाली कारोबारी आंग शेरिंग शेरपा ने फाइनल करवाया था। इसमें कंबोडियाई प्रधानमंत्री हुन सेन और नोम पेन्ह, बो जियानगो स्थित एक उच्च चीनी राजनयिक ने मदद की थी। ओली के दूसरे कार्यकाल में भी भ्रष्टाचार के ऐसे ही आरोप लग रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री रहते उन्होंने सरकारी नियमों को दरकिनार करके चीनी कंपनियों को नेपाल के लिए परियोजनाओं में काम करने की इजाजत दी। दिसंबर 2018 में डिजिटल एक्शन रूम बनाने के लिए बिना किसी निविदा आमंत्रित किए चीनी टेलीकाॅम कंपनी हुवावे को ठेका दे दिया गया जबकि नेपाल की सरकारी टेलीकाॅम कंपनी इस काम को करने में दक्ष थी।

Posted By: Satyendra Kumar Singh