प्रधानमंत्री मोदी की अरुणाचल प्रदेश यात्रा का विरोध करते हुए चीन ने इसे दोनों देशों के बीच सीमा विवाद सुलझाने की प्रक्रिया में बाधक बताया है. चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्‍ता हुआ चुनयिंग ने बताया कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच द्व‍िपक्षीय संबंधों को सही से सुलझाने के लिए उचित नहीं है.


चीन ने किया मोदी का विरोधप्रधानमंत्री मोदी कल से अपनी अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर हैं जहां उन्होंने राज्य दिवस पर होने वाले समारोह में हिस्सा लिया. पीएम मोदी ने अरुणाचलवासियों को विश्वास दिलाते हुए कहा कि आने वाले दिनों में यहां विकास की लहर दिखाई देगी. वहीं चीनी सरकार ने पीएम मोदी की इस यात्रा को दोनों देशों के मध्य सीमा विवाद सुलझाने की प्रक्रिया में एक रुकावट बताया. चीनी विदेशमंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बयान देते हुए कहा कि भारत की गतिविधियां दोनों देशों के मध्य विवादों को सुलझाने और कंट्रोल करने के लिहाज से ठीक नहीं कहा. उन्होंने यहां तक कहा कि इससे दोनों देशों के मध्य द्विपक्षीय रिश्तों पर भी असर पड़ेगा. मोदी के बयान का विरोध
चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने विदेश मंत्रालय प्रवक्ता हुआ चुनयिंग के हवाले से कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अरुणाचल प्रदेश के विवादित क्षेत्र की यात्रा की थी. इसके साथ शिन्हुआ ने कहा कि मोदी अरुणाचल प्रदेश की स्थापना समारोह में भी शामिल हुए. वहीं चीनी विदेशमंत्रालय प्रवक्ता हुआ ने कहा कि चीन ने कभी भी तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी है और चीन-भारत सीमा के पूर्वी हिस्से पर चीनी सरकार का रुख स्पष्ट है. इस भूभाग पर काफी गहरा विवाद है. अरुणाचल प्रदेश को बताया चीनी हिस्साचीन की सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ ने अपनी खबर में दावा किया है कि अरुणाचल प्रदेश की स्थापना व्यापक रूप से चीन के तीनों क्षेत्र मोन्युल, लोयुल और लोअर सोयुल में हुई थी. यह क्षेत्र इस समय अवैध रूप से भारत के कब्जे में हैं. रिपोर्ट कहती है कि यह तीनो क्षेत्र हमेशा से चीनी रहे हैं और अवैध मैकमोहन रेखा एवं चीन-भारत की ट्रेडिशनल सीमा रेखा के बीच आता है. उल्लेखनीय है कि चीन ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अरुणाचल प्रदेश यात्रा पर भी विरोध दर्ज किया था.

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Posted By: Prabha Punj Mishra