चीन ने दावा किया है कि यह 'बहुत संभव' है कि वह दुनिया के शीर्ष व्यापारिक देश के रूप में अमरीका को पीछे छोड़ दे.


कई दशकों तक यह तमगा अमरीका के पास था.ताज़ा आंकड़े के अनुसार, पिछले साल चीन का कुल व्यापार 7.6 प्रतिशत की दर से बढ़कर 4.1 खरब डॉलर (करीब 246 खरब रुपये) हो चुका है.अमरीका ने अभी पूरे वर्ष के आंकड़े जारी नहीं किए हैं लेकिन 2013 के पहले 11 महीने में इसका कुल व्यापार 3.5 खरब डॉलर (210 खरब रुपये) था.चीन 2009 में दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक देश बना था. अर्थव्यवस्था में विस्तार के कारण वहां आयात भी बढ़ा है.चीन के कस्टम विभाग के एक अधिकारी झेंग यूईशेंग ने बताया, ''लगभग यह निश्चित है कि चीन ने व्यापार के मामले में अमरीका को पछाड़ दिया है.''अमरीका अपने आंकड़े अगले महीने जारी करने वाला है.आंकड़ों पर विवादहालांकि हाल के महीनों में चीन के निर्यात के आंकड़ों की सटीकता पर संशय रहा है.


अनुमान लगाए जा रहे हैं कि चीन के कुछ निर्यातक आंकड़ों को बढ़ाचढा कर पेश कर करते हैं ताकि देश में फंड लाने के प्रतिबंध से छुटकारा मिल सके.हालांकि आंकड़ों को दुरुस्त करने के लिए चीन के नीति निर्माताओं ने कुछ उपाय भी किए हैं.

पिछले साल मई महीने में चीन के विदेशी विनिमय नियामक स्टेट एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज (एसएएफई) ने कहा था कि वो निर्यात के दस्तावेज़ो की जांच करेगा और गलत जानकारी देने वाली फर्मों पर तगड़ा जुर्माना लगाएगा.बीजिंग में एचएसबीसी से जुड़ी सुन जुनवेई के अनुसार, ''ये हालिया उपाय फर्जी व्यापारिक गतिविधियों पर अंकुश लगा सकते हैं.''''हमें लगता है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल इन गतिविधियों में कमी आएगी.''चीन फिर भी आगेकुछ विश्लेषकों का कहना है कि अगर बढ़ा चढ़ा कर पेश किए गए आंकड़ों को ध्यान में रखा जाए तब भी चीन अमरीका से आगे ही होगा.आईएचएस में एशिया-प्रशांत के मुख्य अर्थशास्त्री राजीव बिस्वास ने बीबीसी को बताया, ''चीन और अमरीका के बीच कुल व्यापार का अंतर 2013 में लगभग 250 अरब डॉलर (1500 अरब रुपये) होने की संभावना है.''''इतना बड़ा अंतर एक बड़ी बात है और संभावना है कि आंकड़ों में ज़रा सा भी फेरबदल दोनों देशों के शीर्ष क्रम में बड़ा बदलाव ला देगा.''बिस्वास ने कहा कि चालू वर्ष में यह अंतर और बढ़ सकता है.2013 में चीन का निर्यात 7.9 प्रतिशत की दर से बढ़ा, जबकि आयात 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा.

Posted By: Subhesh Sharma