चीन के विदेश मंत्री के भारत दौरे को चीनी मीडिया में बहुत ही अहम क़दम के तौर पर देखा जा रहा है. इसे इस तरीक़े भी देखा जा रहा है कि भारत के लिए चीन एक बड़ा बाज़ार है और भारत भी चीन से चीज़ें ख़रीदने के लिए तत्पर है.


चीन के विदेश मंत्री वांग यी और भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के बीच आपसी रिश्तों को बेहतर बनाने समेत विभिन्न मसलों पर चर्चा हुई.इस वक़्त चीन चाहता है कि सीमा विवाद को लेकर जितनी भी बातें हैं उन पर ज़्यादा ध्यान न केंद्रित किया जाए.इसकी बजाय दोनों देशों के बीच रिश्तों को और तरीक़े से बढ़ाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए.भारत-चीन रिश्तों पर उत्साहभारत के साथ रिश्तों को लेकर चीनी मीडिया और विदेश मंत्रालय में काफ़ी उत्साह है. लोग यह सोच रहे हैं कि नई सरकार और नए प्रधानमंत्री के चलते बहुत ही जल्दी से निर्णय लिए जाएंगे, उसमें ज़्यादा वक़्त नहीं लगेगा.भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन में लोग बहुत मज़बूत नेता मानते हैं.  चीन की मीडिया में यह बताया जा रहा है कि रिश्तों में एक बहुत ही बड़ी उड़ान लेने पर ज़ोर दिया जा रहा है.
चीन के अपने पड़ोसी देशों के साथ रिश्ते बिगड़ रहे हैं.इस संदर्भ में यह समझना ज़रूरी है कि अभी भी पश्चिमी समाज में मंदी है और वहाँ चीन का माल नहीं बिक रहा है. इसके अलावा चीन के माल का दाम बहुत बढ़ गया है. इसीलिए दूसरे देशों का माल ज़्यादा बिकने लगा है.


इसके साथ-साथ वियतनाम और दक्षिण कोरिया भी चीन को बाज़ार में चुनौती दे रहे हैं.इस वक़्त चीन को भारत का बाज़ार भी चाहिए. हालांकि पहले उनको भारत के बाज़ार की परवाह नहीं थी.ऐसा कहा जा रहा है कि  मोदी सरकार सौ हज़ार करोड़ ख़र्च करने को तैयार है.लेकिन चीन को सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि कहीं भारत जापान के नज़दीक न चला जाए.इसका कारण यह है कि जापान के प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक भाषण में यह कहा था, "आज अगर मैं मोदी को जापान आने को कहूँ तो वो फ़ौरन चले आएंगे."निवेशजापान के प्रधानमंत्री के इस बयान से लोग घबरा गए हैं. वे सोचने लगे हैं कि क्या वाक़ई भारत और जापान इतने अच्छे दोस्त बन गए हैं?लेकिन शिंज़ो आबे भी बहुत ही मंझे हुए खिलाड़ी हैं, उन्होंने जानबूझकर पानी में पत्थर फेंका और फिर उसका असर होने लगा.कई स्तरों पर ये खेल खेले जा रहे हैं. इसके कई आयाम हैं. लेकिन मैं मूल रूप से यह कहना चाहता हूँ कि चीन को आज भारत की ज़रूरत है.

भारत में दोनों देशों के  विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद प्रेस वार्ता में यह बात कही गई थी कि भारत ने चीन को निवेश के लिए अपने यहाँ आमंत्रित किया है.इस दौरान चीन की कंपनियों के भारत में आकर निवेश करने की बात भी कही गई. हालांकि प्रेस वार्ता में इस बात का ज़िक्र नहीं हुआ कि किस क्षेत्र की कंपनिया भारत में निवेश करेंगी?लेकिन चीन में तो लोग खुलकर कह रहे हैं कि आधारभूत संरचना के सारे प्रोजेक्ट्स हम करेंगे.इससे भी दो क़दम आगे चलकर चीन के एक सरकारी विशेषज्ञ ने यह कहा कि भारत के पास चीन के सिवा और कोई चारा ही नहीं है. चीन बड़े आधारभूत संरचना के प्रोजेक्ट्स को करने में भारत की मदद करेगा.

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari