चीन की एक अदालत ने पूर्व नेता बो शिलाई की अपील को अस्वीकार करते हुए पद के दुरुपयोग रिश्वतखोरी और घोटाले के आरोपों में उन्हें दी गई आजीवन कारावास की सजा को बरक़रार रखा है.


कम्युनिस्ट पार्टी के नेता रहे  बो शिलाई को सितंबर में दोषी करार दिया गया.एक ब्रितानी व्यापारी की हत्या में उनकी पत्नी पर आरोप साबित होने के बाद बो शिलाई को साल 2012 में पार्टी पद से हटा दिया गया था.इससे पहले, इसी महीने शेनडोंग प्रांत के हाई कोर्ट ने बो शिलाई की पुनर्विचार याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार किया था.चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक शुक्रवार सुबह हुई सुनवाई के बाद अदालत ने अपना फ़ैसला सुनाया.फ़ैसलाउनके अधिनस्थ रहे वांग लिजुन के शेंगडू स्थित अमरीकी दूतावास में शरण लेने के बाद उन पर आरोप लगने शुरू हुए थे और उन्हें पार्टी से निलंबित कर दिया गया था.इस घटना के बाद ब्रितानी व्यापारी नील हेवुड की मौत के मामले की भी जाँच हुई जिसमें बो शिलाई की पत्नी गू किलाई को हत्या का दोषी क़रार दिया गया.


हत्या से जुड़े गू के मामले को छिपाने में मदद करने के आरोप में वांग को भी पंद्रह साल की सजा हुई थी.राजनीतिक फेरबदलबो शिलाई भी करीब 2 करोड़ युआन की रिश्वत लेने के आरोपों के दोषी पाए गए. उन्हें अपनी पत्नी के जुर्म को छिपाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का अभियुक्त भी बनाया गया था.

दूसरी ओर करिश्माई नेता रहे बो शिलाई के समर्थकों को लगता है कि वे राजनीति उथलपुथल का शिकार हुए हैं.बो शिलाई का राजनीतिक करियर उस वक्त धराशाई हुआ जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी एक दशक में एक बार होने वाले राजनीतिक फेरबदल की तैयारी कर रही थी.बो शिलाई को निलंबन से पहले कम्युनिस्ट पार्टी के सबसे ऊँचे पद के दावेदार के रूप में देखा जा रहा था.उनका पतन चीन की राजनीति में पिछले कई दशकों में हुए सबसे बड़े घटनाक्रमों में से एक है.बो के मामले में अदालत का अंतिम फ़ैसला कम्यूनिस्ट पार्टी की नवंबर में देश के आर्थिक मामलों को लेकर होने वाले अहम बैठक से चंद हफ़्ते पहले आया है.

Posted By: Subhesh Sharma