ब्रिटेन में इंटरनेट पर बच्चों के अधिकारों की निगरानी करने वाली संस्था 'चाईल्ड एक्सप्लॉयटेशन एंड ऑनलाइन प्रोटेक्शन सेंटर' कोएप के मुताबिक इंटरनेट पर बच्चों के यौन शोषण का जाल फैलता जा रहा है और उन्हें अलग-अलग तरीकों से फंसाया जा रहा है.

संस्था के मुताबिक़ जो लोग इसमें शामिल हैं वो इसके लिए वेबकैम, इंस्टेंट मैसेंजर और सोशल नेटवर्किंग साइट्स का इस्तेमाल करते हैं. कोएप और बर्मिंघम विश्वविद्यालय के साझा शोध में ये बात सामने आई है कि अपराध करने वाले बच्चों से मिलने के इच्छुक नहीं हैं और उनका यौन शोषण ऑनलाइन ही हो रहा है.

हिम्मत टूट जाती है
कोएप की एक प्रवक्ता का कहना है कि गिरोह के लोग पीड़ित के अकाउंट को हैक कर देते हैं और उन्हें धमकी देते हैं कि उनसे जो कहा जाए उन्हें वही करना होगा. लगातार मिलने वाली धमकियों के बाद पीड़ित इतना टूट जाते हैं कि किसी काम के लिए मना करने की उनकी हिम्मत टूट जाती है.

कोएप के प्रमुख निदेशक पीटर डेविज़ ने कहा, "ब्रितानी बच्चों को कहीं से भी निशाना बनाया जा सकता है, और अपराधी अधिक से अधिक बच्चों को अपने जाल में फंसाने की कोशिश करते हैं."

दो भाई
शोध के दौरान ऐसा मामला सामने आया जिसमें कुवैत में रहने वाले दो भाईयों ने विश्व भर में 110 बच्चों को अपना शिकार बनाया और उन्हें ऑनलाइन यौन क्रियाओं के लिए बाध्य किया. दोनों भाईयों को पिछले साल ब्लैकमेल के दोष में क़ैद हुई.

संस्था का कहना है कि दोनों इस तरह का व्यवहार करते थे कि बच्चों को लगता था कि वो शोसल नेटवर्किंग साइट्स या मैसेंजर पर उनकी जान पहचान का कोई व्यक्ति है. वो बच्चों से बहला फुसलाकर उनका पासवर्ड हासिल कर लेते थे जिसके बाद उन्हें वेबकैम पर यौन क्रियाएं करने के लिए मजबूर किया जाता था.

कोएप ने कहा है कि स्मार्ट फ़ोन 12 से 15 साल के बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हैं लेकिन उनमें से दो तिहाई के फोन-सेट्स में अभिवावकों की निगरानी वाले ऐप मौजूद नहीं है. संस्था ने कहा कि बच्चों को ऑनलाइन पर सुरक्षित रखना माता-पिता और अभिवावकों की ज़िम्मेदारी है. उसका कहना है कि बच्चों को ऑनलाइन पर सुरक्षित रहने की ट्रेनिंग दी जा सकती है.

 

Posted By: Garima Shukla