मां की मौत से बेखबर मैदान पर चौके-छक्के लगा रहे थे चेतेश्वर पुजारा, क्रिकेटर बनने से पहले एेसे जीते थे जिंदगी
कानपुर। 25 जनवरी 1988 को गुजरात के राजकोट में जन्में चेतेश्वर पुजारा भारत के दाएं हाथ के मध्यक्रम बल्लेबाज हैं। पुजारा एक क्रिकेट फैमिली से ताल्लुक रखते हैं। उनके दादा शिवपाल पुजारा बेहतरीन लेगस्पिनर थे। वहीं पिता अरविंद और चाचा विपिन सौराष्ट्र की तरफ से रणजी मैच खेल चुके हैं। हालांकि चेतेश्वर अपनी फैमिली से टीम इंडिया के लिए खेलने वाले पहले शख्स हैं। पुजारा भारतीय टीम में खेल पाएं इसके लिए उनके पिता ने काफी मेहनत की। क्रिकइन्फो की वेबसाइट पर पब्लिश एक आर्टिकल में पुजारा के टेस्ट क्रिकेटर बनने की पूरी कहानी है। आइए आप भी पढें....
चेतेश्वर पुजारा अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। ऐसे में उन्हें घर पर काफी दुलार-प्यार मिला। चेतेश्वर के पिता चाहते थे कि, उनका बेटा एक बेहतर टेस्ट क्रिकेटर बने। इसके लिए उन्होंने चेतेश्वर को ट्रेनिंग देना शुरु कर दिया। पुजारा बताते हैं उनके पहले क्रिकेट कोच पिता ही थे। वह उनको क्रिकेट के गुर सिखाते थे। पुजारा जैसे-जैसे बड़े होते गए उन्होंने पहले स्कूल फिर क्लब स्तर पर क्रिकेट खेलना शुरु कर दिया। साल 2005 की बात है तब पुजारा भावनगर में मैच खेलने गए थे। मैच खत्म होने के बाद पुजारा जब वापस घर लौटे तो उनके ऊपर दुख का पहाड़ टूट गया। उनकी मां रीना दुनिया को अलविदा कह चुकी थीं। दरअसल पुजारा की मां रीना को कैंसर था।
चेतेश्वर पुजारा मानते हैं कि वह आज जो कुछ भी है, अपने पिता की वजह से हैं। दरअसल पिता अरविंद काफी सख्त कोच रहे। वह बाकी स्टूडेंट्स और चेतेश्वर में कोई अंतर नहीं समझते थे। अगर पुजारा कोई गलती करते तो सबके सामने उन्हें डांट लगा देते थे। यही नहीं चेतेश्वर जब अच्छा खेलते तो उनके पिता 'अच्छा खेले' और 'अच्छा शाॅट' के अलावा कोई और तारीफ नहीं करते।
चलते मैच में गिरी बर्फ तो दौड़ आई कार, Ind vs Nz ही नहीं ये 10 मैच भी रोके गए अनोखी वजहों से5 मैचों के बराबर गेंद अकेले पुजारा खेल गए, बना दिया विश्व रिकाॅर्ड