Chaitra Navratri Shubh Muhurat 2022: चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है। इस बार भगवती देवी दुर्गा का आगमन अश्व पर हो रहा है। साथ ही मां दुर्गा का गमन हाथी पर हो रहा है।


पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Chaitra Navratri 2021 चैत्र नवरात्रि को वासंतीय नवरात्रि भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 2 अप्रैल से हो रही है। इस साल भगवती देवी दुर्गा का आगमन अश्व पर हो रहा है। जिसका परिणाम नेष्टकारक, नेताओं और शासकों को कष्ट, व अनेक नेता अपनी सत्ता हों खो भी सकते हैं। साथ ही भगवती देवी दुर्गा का गमन हाथी पर हो रहा है। जिसका परिणाम अत्यधिक वर्षा होना है। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि की शुरुआत में सुबह कलश की स्थापना की जाती है। इस बार पूरे नवरात्र में कोई तिथि छय नहीं,वृद्धि नहीं है। इस वर्ष दिनांक 10 अप्रैल 2022, रविवार को रामनवमी पर विशेष "शुभ सुकर्मा योग" के साथ अतिशुभ "रविपुष्य" योग बन रहा है। इस योग में नये कार्य का शुभ आरम्भ करना अतिशुभ रहेगाl इस दिन स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त भी है। पूजन सामग्री
चावल, सुपारी,रोली,मौली,जौ,सुगंधित पुष्प,केसर,सिंदूर,लौंग,इलायची,पान,सिंगार सामग्री, दूध- दही,गंगाजल,शहद,शक्कर,शुद्ध घी, वस्त्र,आभूषण, विल्बपत्र, जनेऊ,मिट्टी का कलश,मिट्टी का पात्र,दूर्वा,इत्र, चंदन,चौकी,लाल वस्त्र,धूप-दीप,फूल,नैवेद्य, अबीर,गुलाल,स्वच्छ मिट्टी,थाली,कटोरी,जल,ताम्र कलश,रुई,नारियल आदि।पूजन विधि


आज से नल नामक संवत्सर का विनियोग करना चाहिए।आज से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का पूजन आरम्भ होता है। सम्मुखी प्रतिपदा शुभ होती है। अतः वही ग्राह्म है।अमायुक्त प्रतिपदा में पूजन नहीं करना चाहिए।नवरात्र व्रत स्त्री-पुरुष दोनों ही कर सकते हैं।यदि स्वयं न कर सकें तो पति-पत्नी,पुत्र अथवा किसी ब्राह्मण को प्रतिनिधि बनाकर व्रत पूर्ण कराया जा सकता है।व्रत में उपवास अयाचित (बिना मांगे प्राप्त भोजन),नक्त या एक मुक्त भोजन करना चाहिए।घट स्थापना

घट-स्थापना के लिए पवित्र मिट्टी से वेदी का निर्माण करें,फिर उसमें जौ या गेहूं बोयें तथा उस पर यथा शक्ति मिट्टी,तांबे,चांदी या सोने का कलश स्थापित करें।उपरोक्त्त सामग्री एकत्रित कर प्रथम माँ दुर्गा का चित्र स्थापित करें एवं पूर्वमुखी होकर माँ दुर्गा की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें, माँ दुर्गा के बायीं ओर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर चावल के नौ कोष्ठक,नवग्रह एवं लाल वस्त्र पर गेहूं के सोलह कोष्ठक षोडशमातृ के बनाएं, एक मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बनाकर उसके गले मे मौली बांधकर उसके नींचे गेहूं या चावल डाल कर रखें, उसके बाद उस पर नारियल भी रखें,नारियल पर मौली भी बांधे,उसके बाद तेल का दीपक एवं शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें एवं मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर हल्का सा गीला कर उसमें जौ के दाने डालें,उसे चौकी के बाई तरफ कलश के पास स्थापित करें।अब सर्व प्रथम अपने बाएं हाथ में जल लेकर दायें हाथ से स्वयं को पवित्र करें और बार-बार प्रणाम करें।उसके बाद दीपक जलाएं एवं दुर्गा पूजा का संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें।घट स्थापना मुहूर्त1. प्रातः काल सूर्योदय से प्रातः काल 8:29 बज़े तक । 2. प्रातः काल 7:42 बज़े से प्रातः काल 8:29 बजे तक विशेष:- इस बार आज के दिन मिश्री,काली मिर्च एवं नीम के पत्तों का सेवन करना त्रिदोषघ्न व सर्व रोग निवारक है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में "सम्मुखी" शुभ होती है,अतः उसे ही ग्राह्म करना चाहिए। महासप्तमी/महाष्टमीदिनाँक 8 अप्रैल 2022,शुक्रवार को अन्नपूर्णा परिक्रमा प्रारम्भ होगी एवं शनिवार को दुर्गाष्टमी वाले दिन रात्री में समाप्त होगी।महानवमी(अबूझ मुहूर्त )दिनाँक 10 अप्रैल 2022,रविवार को महानवमी पूजन होगा।इस दिन मध्यान्ह कर्क लगन में रामावतार है। इस दिन बेहद खास "रविपुष्य योग" के साथ "सुकर्मा योग" भी बन रहा है।

Posted By: Kanpur Desk