Chaitra Navratri 2021: मां दुर्गा के नौ दिनों के ये हैं नौ भोग, नवरात्रि में दुर्गा-सप्तशती के पाठ से पूरी होती है हर मुराद
पंडित राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Chaitra Navratri 2021: चैत्र नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना की जाती है। इस दाैरान मां को प्रसन्न करने लिए भक्तगण दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। दुर्गा सप्तशती के हर अध्याय का एक अलग महत्व व प्रभाव है। वहीं नवरात्रि के दाैरान भक्त मां दुर्गा के समक्ष विभिन्न प्रकार के भोग लगाते हैं। नौ दिनों के ये नौ भोग (नैवेद्य) भी कहे जाते हैं।
नवरात्रि में दुर्गा-सप्तशती के अध्याय से करें मनोकामनाएं पूर्ण
प्रथम अध्याय
प्रत्येक प्रकार की चिंता मिटाने के लिए।
द्वितीय अध्याय
मुकदमा आदि शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने के लिए।
तृतीय अध्याय
शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए।
चतुर्थ अध्याय
भक्ति प्राप्त करने के लिए।
पंचम अध्याय
भक्ति एवं शक्ति प्राप्त करने के लिए।
षष्ठम अध्याय
भय और बाधा निवारण के लिए।
सप्तम अध्याय
प्रत्येक मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए।
अष्टम अध्याय
वशीकरण के लिए।
नवम/दशम अध्याय
प्रत्येक कामना एवं पुत्र प्राप्ति के लिए।
एकादश अध्याय
व्यापार एवं सुख शांति के लिए।
द्वादश अध्याय
यश,मान-सम्मान प्राप्ति के लिए।
त्रयोदश अध्याय
प्रगाड़ भक्ति प्राप्ति के लिए।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ दिनों के नौ भोग(नैवेद्य)
पहले दिन
प्रथम नवरात्रि के दिन मां के चरणों मे गाय का शुद्ध घी अर्पित करना चाहिए।इससे आरोग्य की प्राप्ति तथा शरीर निरोगी रहता है।
दूसरे दिन
दूसरे नवरात्रि में मां को शक्कर का भोज लगाएं, घर के सभी सदस्यों को भी दें।इससे आयु में वृद्धि होती है।
तीसरे दिन
तृतीय नवरात्रि में मां को दूध से बनी मिठाई का भोग लगाकर ब्राह्मणों को दान दें।इससे दुखों से मुक्ति के साथ-साथ परम आनंद की प्राप्ति होगी।
चाैथे दिन
चतुर्थ नवरात्रि में माल-पुए का भोग लगाकर मंदिर में ब्राह्मणों को दान करने से बुद्धि का विकास के साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है।
पांचवें दिन
पंचम नवरात्रि में केले का नैवेध चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है।
छठे दिन
छठे नवरात्रि में शहद का भोग लगाने से आकर्षण शक्ति बढ़ती है।
सातवें दिन
सातवें नवरात्रि में गुड़ का भोग लगाने के बाद ब्राह्मणों को दान देने से आकस्मिक संकटों से रक्षा होती है।
आठवें दिन
आठवें नवरात्रि में नारियल का भोग लगाने से संतान संबंधित परेशानी से छुटकारा मिलता है।
नाैवें दिन
नवमी के दिन तिल का भोग लगाने से अनहोनी की आशंका खत्म होती है।