Chaitra Navratri 2021 : 13 अप्रैल से शुरू हो रही नवरात्रि, जानें कलश स्थापना समय, पूजन सामग्री व विधि
पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Chaitra Navratri 2021 चैत्र नवरात्रि को वासंतीय नवरात्रि भी कहा जाता है। चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 13 अप्रैल से हो रही है। इस साल भगवती देवी दुर्गा का आगमन इस बार अश्व पर हो रहा है। इन नौ दिनों में भक्त पूरी श्रद्धा से मां दुर्गा की भक्ति में लग जाते हैं। नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि की शुरुआत में सुबह कलश की स्थापना की जाती है। इस साल अश्विनी नक्षत्र में घट स्थापना करें। इस बार पूरे नवरात्र,नवरात्र में कोई तिथि छय नहीं,वृद्धि नहीं।
चावल, सुपारी,रोली,मौली,जौ,सुगंधित पुष्प,केसर,सिंदूर,लौंग,इलायची,पान,सिंगार सामग्री, दूध- दही,गंगाजल,शहद,शक्कर,शुद्ध घी, वस्त्र,आभूषण, विल्बपत्र, जनेऊ,मिट्टी का कलश,मिट्टी का पात्र,दूर्वा,इत्र,चंदन,चौकी,लाल वस्त्र,धूप-दीप,फूल,नैवेद्य,अबीर,गुलाल,स्वच्छ मिट्टी,थाली,कटोरी,जल,ताम्र कलश,रुई,नारियल आदि।
पूजन विधि
आज से नव संवत्सर राक्षस नामक संवत्सर का विनियोग करना चाहिए।आज से चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का पूजन आरम्भ होता है। सम्मुखी प्रतिपदा शुभ होती है।अतः वही ग्राह्म है।अमायुक्त प्रतिपदा में पूजन नहीं करना चाहिए।नवरात्र व्रत स्त्री-पुरुष दोनों ही कर सकते हैं।यदि स्वयं न कर सकें तो पति-पत्नी,पुत्र अथवा किसी ब्राह्मण को प्रतिनिधि बनाकर व्रत पूर्ण कराया जा सकता है।व्रत में उपवास अयाचित (बिना मांगे प्राप्त भोजन),नक्त या एक मुक्त भोजन करना चाहिए।
घट-स्थापना
घट-स्थापना के लिए पवित्र मिट्टी से वेदी का निर्माण करें,फिर उसमें जौ या गेहूं बोयें तथा उस पर यथा शक्ति मिट्टी,तांबे,चांदी या सोने का कलश स्थापित करें। उपरोक्त्त सामग्री एकत्रित कर प्रथम मां दुर्गा का चित्र स्थापित करें एवं पूर्वमुखी होकर मां दुर्गा की चौकी पर लाल वस्त्र बिछायें, मां दुर्गा के बायीं ओर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर चावल के नौ कोष्ठक,नवग्रह एवं लाल वस्त्र पर गेहूं के सोलह कोष्ठक षोडशमातृ के बनाएं, एक मिट्टी के कलश पर स्वास्तिक बनाकर उसके गले मे मौली बांधकर उसके नींचे गेहूं या चावल डाल कर रखें, उसके बाद उस पर नारियल भी रखें,नारियल पर मौली भी बांधे,उसके बाद तेल का दीपक एवं शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें एवं मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर हल्का सा गीला कर उसमें जौ के दाने डालें,उसे चौकी के बाई तरफ कलश के पास स्थापित करें।अब सर्व प्रथम अपने बाएं हाथ में जल लेकर दायें हाथ से स्वयं को पवित्र करें और बार-बार प्रणाम करें।उसके बाद दीपक जलाएं एवं दुर्गा पूजा का संकल्प लेकर पूजा आरम्भ करें।
दीपक स्थापन
पूजा के समय घृत का दीपक भी जलाना चाहिए तथा उसकी गंध,अक्षत,पुष्प आदि से पूजा करें।
दीपक स्थापन मंत्र इस प्रकार है:-
भो दीप ब्रह्मरूपस्त्वं हर्यान्धकारिनिवारक।
इमा मया कृतां पूजां गृहँसतेजः प्रवर्धय।
कुछ लोग अपने घरों में दीवारों पर अथवा काष्ठपट्टिका पर चित्र बनाकर इस चित्र की तथा घृतदीपक द्वारा अग्नि से प्रज्ज्वलित ज्योति की पूजा अष्टमी अथवा नवमी तक करते हैं।