Navratri 2020: हर दिन मां दुर्गा के अलग रूप की पूजा, गुरुवार को मां ब्रह्मचारिणी तो शुक्रवार को मां के चंद्रघंटा रूप की आराधना
Chaitra Navratri 2020 : चैत्र नवरात्रि में हर दिन मां दुर्गा के अलग- अलग रूपों को पूजा जाता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है। सभी देवियों को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग विधि से पूजन किया जाता है। किसी देवी को कोई रंग पसंद होता है तो किसी को अलग तरह का भोग। चलिए जानते हैं प्रथम दिन माता शैलपुत्री से लेकर नवमी को मां सिद्धिदात्री की किस तरह पूजा करें कि वो आपसे प्रसन्न हों।
प्रथम शैलपुत्री मान्यता है कि मां दुर्गा के प्रथम रूप शैलपुत्री की अराधना करने से भक्तों को केमद्रुप योग के दोष से मुक्ति मिलती है, निर्णय क्षमता बढ़ती है, संपत्ति, शासन, आभूषण आदि की प्राप्ति होती है। रक्त, गर्भाशय, नेत्र, आहारनली, उदर, कफ, मिर्गी आदि रोगों में कमी होती है। पूजा में गुड़हल और केवड़ा का पुष्प अवश्य चढ़ाएं।द्वितीय ब्रह्मचारिणी
माता दुर्गा के दूसरे रूप ब्रह्मचारिणी की पूजा से साधक को श्रेष्ठ बुद्धि, अध्ययन, व्यापार, कार्यक्षेत्र में सफलता व विवेकशीलता मिलती है। आंत, स्वांस, गला, वाणी, नासिका, त्वचा, मस्तिष्क आदि रोगों से मुक्ति मिलती है। पूजा में चंपा, गुड़हल का फूल चढ़ाने से मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तृतीय चंद्रघंटामां दुर्गा के तृतीय रूप की पूजा करने से देवगुरु बृहस्पति के ग्रह दोष दूर होते हैं। गजकेसरी योग का लाभ मिलता है। मधुमेह, टाइफाइड, किडनी, मोटापा, मांस-पेशियों में दर्द, पीलिया जैसे रोगों से मुक्ति मिलती है। उन्नति, धन, स्वर्ण, ज्ञान, शिक्षा आदि की प्राप्ति होती है। मां को पीले कनेर का पुष्प अत्यंत प्रिय है, इसलिए भक्त पूजा में इस फूल को अवश्य चढ़ाएं।
चतुर्थ कूष्मांडा मां कूष्मांडा की पूजा करने से ग्रहों के राजा सूर्य के दोषों से मुक्ति मिलती है। धन लाभ, आरोग्यता, शक्ति, प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। कूष्मांडा के साधक को नेत्र, केश, मस्तिष्क, हृदय, मेरूदंड, सिर, उदर, रक्त, पित्त, अस्थि रोगों से मुक्ति मिलती है। लाल पुष्प व गुलाब का फूल अवश्य चढ़ाएं। पंचम स्कंदमातामां दुर्गा के पांचवें रूप देवी स्कंदमाता की पूजा से साधक को मंगल ग्रह के अंगारक योग के दोषों से मुक्ति मिलती है। बल, पराक्रम की प्राप्ति होती है। शत्रु व दुर्घटना का भय दूर होता है। रक्त, निर्बलता, कुष्ठ आदि रोगों में कमी होती है। गुड़हल, मौलश्री का पुष्प मां को अत्यंत प्रिय है। इसे पूजा में मां को जरूर चढ़ाएं। षष्ठम कात्यायनीमां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी की पूजा से राहु जनित व काल सर्प दोष दूर होते हैं। समय-समय पर आ रही कठिनाइयों से मुक्ति मिलती है। कार्यक्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। मस्तिष्क, त्वचा, अस्थि, संक्रमण आदि रोगों से मुक्ति मिलती है। कैंसर रोगों की आशंका भी कटती है। कदंब और श्वेत कमल का पुष्प चढ़ाएं।
सप्तम कालरात्रिकालरात्रि मां की पूजा करने से शनि ग्रह के विष योग जनित ग्रह दोष दूर होते हैं। मृत्यु तुल्य कष्टों से मुक्ति मिलती है। सभी क्षेत्रों में सफलता मिलेगी। हड्डी संबंधी रोगों, स्वांस, फालिस आदि रोगों से मुक्ति मिलेगी। निराशा, चिंता, भय दूर होगी। बेला व सफेद कमल का फूल मां को अत्यंत प्रिय है, इसे जरूर चढ़ाएं। अष्टम महागौरीमां दुर्गा के आठवें रूप महागौरी मां की पूजा करने से पुत्र ग्रह से जनित ग्रह दोष दूर होते हैं। व्यापार, दांपत्य जीवन, सुख-समृद्धि, धन आदि से वृद्धि मिलेगी। अभिनय, गायन, नृत्य आदि के क्षेत्र में सफलता मिलती है। त्वचा संबंधी रोगों में कमी आएगी। चमेली व केसर का फूल चढ़ाएं। नवम सिद्धिदात्रीमां दुर्गा के नवें रूप सिद्धिदात्री की आराधना से केतु के दोष दूर होते हैं। अचानक उन्नति, शेयर बाजार में लाभ मन मुताबिक, स्थानांतरण, कार्यक्षेत्र में सफलता, वास्तु दोषों के साथ ही जीवन की हर बाधा से मुक्ति मिलती है। चमेली, बेला का पुष्प मां को अत्यंत प्रिय है, पूजा के दौरान इसे जरूर चढ़ाएं।
- ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक पांडेय