सीईओ मिलते हैं तो क्या बातें करते हैं?
'वे पूरी तस्वीर को नहीं समझ पाते हैं.''वे वो नहीं देख पा रहे हैं, जो हम देख पा रहे हैं.'मल्टीनेशनल कंपनियों के लीडर जब एकत्रित होते हैं तो किस मुद्दे पर बात करते हैं?हाल ही में जब 20 सीईओ और कंपनियों के सीनियर एक्ज़िक्यूटिव मिले तो इस बारे में ख़ासी चिंता हुई कि उन्हें और उनकी कंपनियों के बारे में क्या राय बन रही है.इनमें बैंकिंग, रिटेल, उत्पादन, आयल और गैस सेक्टर के बड़े अधिकारी शामिल थे. सारे के सारे मीडिया, निवेशकों, मजदूर संघ और राजनेताओं की राय पर बैकफ़ुट पर दिखे.ये ज़ाहिर है कि मेरे कई सहयोगी, खुद को गलत समझे जाने के मुद्दे पर एक दूसरे से हमदर्दी जता रहे थे.
क्या कंपनी के कर्मचारी और मिडिल मैनेजर बदलाव ला सकते हैं? बोर्ड सदस्य कारोबार के तौर तरीकों को बदल सकते हैं क्या? कारोबारी लीडर खुद को कैसे बदल पाते हैं?दावोस की बैठक हो या फिर मुख्य कार्यकारी अधिकारियों की कोई और बैठक, सेक्टर से जुड़ी बैठकें हों या फिर पेशेवर संस्थाओं की बैठक, इनका उद्देश्य लोगों को एक मंच पर लाना होता है.
इन जगहों पर नई चीजों को सीखने का मौका मिलता है, कारोबार कैसे किया जाए, ये भी जानने को मिलता है. खास बात ये है कि अपने जैसी सोच वाले लोगों से मिलने का मौका मिलता है.ख़ुद को चुनौती देना ज़रूरी
कारोबारी लीडर और उनके कारोबार के लिए खुद का ईको चेंबर सबसे अहम होता है. अगर कुछ ग़लत होने पर आप दूसरों पर ऊंगली उठाने लगें तो ख़तरे की घंटी बजनी चाहिए....क्योंकि, हो सकता है, समस्या दूसरे लोग हों ही नहीं.(लुसी मार्कस पुरस्कार विजेता लेखिका हैं, बोर्ड चेयरमैन हैं और कई संस्थाओं की गैर-कार्यकारी निदेशक हैं. वे मार्कस वेंचर कंसल्टिंग की सीईओ भी हैं)