Police थानों में बनाए गए लोहे के भारी भरकम बक्सों में दशकों से जमा होता आ रहा है सरकारी खजाना। इनमें रखा जाता है ग्रामीण क्षेत्रों के डाकघरों का सारा माल अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही परंपरा आजादी के 70 साल बाद भी कायम।

वाराणसी: 'ये अंग्रेजों के जमाने का बक्सा है। इसमें हर रोज खजाना भरा जाता है 'यह शोले फिल्म के 'मैं अंग्रेजों के जमाने का जेलर हूं' टाइप डॉयलाग नहीं है। बल्कि ग्रामीण इलाकों के थाने में होने वाली रोजमर्रा की बातचीत का हिस्सा है। दूरदराज वाले इलाकों में डाकघरों में जमा होने वाला लोगों का पैसा, डाक टिकट, मुहरें और अन्य कीमती सामान हर रोज थानों में जमा कराया जाता है। यह प्रक्रिया अंग्रेजी हुकूमत के समय से चल रही है। देश के आजाद होने के बाद भी इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।

 

बहुत खास है ये बक्सा

1- खजाना रखने के लिए बने सेफ वाल्ट मोटे लोहे की चादर से बने हैं

2- एक बक्से का वजन लगभग 150 किलो होगा

3- बक्से के ढक्कन का वजन ही अकेले 15 से 20 किलोग्राम तक होता है

4- बक्से जमीन में लगभग दो फुट भीतर तक गाड़े हुए हैं।

5- कुछ थानों में रखे बक्से एक सदी पुराने तक हैं

6- बड़ी कुंड़ी और उसमें बक्से में लगने वाले मोटे ताले जनता का धन सुरक्षित रखते हैं।

7- कोई अनहोनी हुई भी तो थाने के ये बक्से पूरी तरह सुरक्षित हैं

 

 

हर रोज होता है सील

पुलिस रेग्युलेशन के मुताबिक, थाने में जमा कराया जाने वाला डाकघर का माल बाकायदा जीडी में दर्ज किया जाता है। डाकघर के कर्मचारी इसे सुरक्षा गार्ड के सामने सील करते हैं। सुबह सील तोड़कर दो सिपहियों के साथ पूरा माल डाकघरों को पहुंचाया जाता है।

 

 

 

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सुरक्षा की नजरिए से यह प्रक्रिया अपनाई जाती है ताकि जनता का पैसा सुरक्षित रहे। यह व्यवस्था अंग्रेजों के समय से स्थापित है। आज भी हर रोज इन बक्सों में डाकखानों का माल जमा किया जाता है। इसका बकायदा रिकार्ड रखा जाता है।  - अर्जुन आलोक उप डाकपाल, चोलापुर डाकघर

Posted By: Chandramohan Mishra