वीज़ा बॉन्ड नियमों के विरोध में ब्रितानी सांसद
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन की गृह मंत्री थेरेस मे का इस तरह से वीज़ा बॉन्ड लगाना एक ग़लत क़दम है, इसके कारण भारत में लोग नाराज़ हैं.उन्होंने ज़्यादा 'लचीले और तर्कसंगत' रुख़ अपनाने का अनुरोध किया.उन्होंने कहा कि वे लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी की सांसद सारा टीथर के साथ सहानुभूति रखते हैं, जिन्हें अप्रवासन और कुछ दूसरे मुद्दों पर पार्टी की नीतियों के कारण पद छोड़ना पड़ा.वीज़ा बॉन्ड से निराश सांसदसारा टीथर ने आब्ज़र्बर अख़बार को बताया कि ज़्यादा जोख़िम वाले देशों की श्रेणी के क्लिक करें पर्यटकों पर वीज़ा बॉन्ड लगाने के कारण उन्होंने अगले चुनाव में खड़े न होने का फ़ैसला किया है."इस वीज़ा के कारण भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, घाना और नाइजीरिया जैसे देशों से आने वाले कुछ नागरिकों को छह महीने के वीज़ा के लिए लगभग तीन लाख रुपए की राशि वीज़ा बॉन्ड के तहत जमा करानी होगी. "
-वीज़ा बॉन्ड का प्रस्तावलिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता और उपप्रधानमंत्री निक क्लेग ने सबसे पहले मार्च में ज़्यादा जोख़िम वाले देशों से आने वाले पर्यटकों से वीज़ा बॉन्ड लेने की बात कही थी.
लेकिन केबल ने दावा किया कि एक हज़ार पाउण्ड (लगभग एक लाख रुपए) का वीज़ा बॉन्ड लगाने की निक क्लेग की योजना को, कंजर्वेटिव पार्टी के कैबिनेट सदस्यों ने जानबूझकर ग़लत तरीके से पेश किया.ब्रिटेन आने वालों को आसानीइस बारे में विंस केबल ने बीबीसी रेडियों-4 के टुडे प्रोग्राम कार्यक्रम में कहा, ''निक क्लेग ने दर असल ये कहा था कि अगर भारतीय उप-महाद्वीप से आने वाले किसी पर्यटक को वीज़ा नहीं मिल पाता है तो एक विकल्प के तौर पर वे वीज़ा बॉन्ड के साथ ब्रिटेन की यात्रा पर आ सकते हैं."
"गृह मंत्री थेरेस मे का इस तरह से वीज़ा बॉन्ड लगाना एक ग़लत क़दम है, इसके कारण भारत में लोग नाराज़ हैं."-विंस केबल, ब्रिटेन के वाणिज्य मंत्रीउन्होंने यह भी कहा कि वीज़ा बॉन्ड संबंधी थेरेसा मे के प्रारूप से भारत जैसे प्रमुख व्यवसायिक देशों के साथ रिश्तों पर असर पड़ सकता है.ये वीज़ा बॉन्ड योजना नवंबर से शुरू की जाने वाली है और इसका मुख्य उद्देश्य अल्पावधि वाले वीज़ा की समाप्ति के बाद ब्रिटेन में रह रहे उच्च ख़तरे वाले देशों के नागरिकों की रोक थाम करना है.इस वीज़ा के कारण भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, घाना और नाइजीरिया जैसे देशों से आने वाले नागरिकों को छह महीने के वीज़ा के लिए लगभग तीन लाख रुपए की राशि वीज़ा बॉन्ड के तहत जमा करानी होगी. अगर वे निर्धारित समय से ज़्यादा ब्रिटेन में रहते हैं तो उनकी यह राशि ज़ब्त कर ली जाएगी.थेरेसा मे का कहना है कि वीज़ा ख़त्म होने के बाद भी लोगों का ब्रिटेन में रूके रहना ब्रिटेन की अप्रवासी व्यवस्था की सबसे बड़ी समस्या है और ये व्यवस्था उच्च ख़तरे वाले देशों से ब्रिटेन आने वाले लोगों को नियंत्रित करना चाहती हैं.