लंदन में शाही परिवार की चार पीढ़ी के लोगों के बीच बुधवार को एक समारोह में ब्रिटेन के नन्हे राजकुमार जॉर्ज का बपतिस्मा संस्कार किया गया. इस संस्कार के लिए पानी जॉर्डन नदी से मंगवाया गया.


बपतिस्मा एक ईसाई संस्कार है जिसमें किसी व्यक्ति के सिर पर पवित्र जल गिराकर उसे ईसाई चर्च के अनुसार धर्म में सम्मिलित किया जाता है. ज़्यादातर जगहों पर ये संस्कार काफी छोटी उम्र में ही कर दिया जाता है.करीब 31 साल पहले 1982 में जॉर्ज के पिता राजकुमार विलियम्स के लिए भी यही संस्कार किया गया था. तब से अब तक इस संस्कार में कई बदलाव हुए हैं. आइए डालते है इन संस्कारों पर एक नज़र और जानते हैं क्या बदला है बीते 31 वर्षों में.अब कम ही लोग करवाते हैं बपतिस्माबीते दशकों में बपतिस्मा करवाने वाले लोगों की संख्या में भारी गिरावट आई है. चर्च ऑफ़ इंग्लैंड में साल 1980 तक हर तीन में से एक ईसाई बच्चे का बपतिस्मा संस्कार होता था, लेकिन साल 2011 तक ये आँकड़ा हर दस में एक बच्चे का हो गया.
बपतिस्मा कराने वालो की सालाना संख्या में भी गिरावट आई है. साल 1980 में 2,66,000 बच्चों का बपतिस्मा किया गया था जबकि साल 2011 में ये संख्या 1,40,000 पर जा पहुंच गया.बढ़ गई है ‘गॉड पैरेंट्स’ की संख्या


बपतिस्मा कराने वाले लोगों की संख्या में गिरावट तो आई है लेकिन प्रति बच्चे के ‘गॉड पैरेंट्स’ यानी गुरूओं की संख्या बढ़ गई है. राजकुमार जॉर्ज के सात गॉड पैरेंट्स हैं, जबकि एलिज़ाबेथ हर्ले के बेटे के छह ‘गॉड फादर’ होंगे.सिर्फ सेलेब्रिटी ही नहीं आम लोगों के बीच भी ये ट्रेंड काफ़ी लोकप्रिय हो रहा है.गुरू का धार्मिक होना ज़रूरी नहीबपतिस्मा के लिए राजकुमार जॉर्ज को पारंपरिक सफेद चोंगे जैसे वस्त्र पहनाएं गए, लेकिन अब कम ही बच्चों को ऐसे चोंगे पहनाए जाते हैं.कीन का कहना है किचर्च सिर्फ यही कहता है कि बच्चों को सफेद कपड़ों में लपेटा जाना चाहिए जो कि येशु के साथ नए जीवन का सूचक होता है.गिफ़्ट देना अब भी फैशन मेंब्रिटेन में बपतिस्मा एक बड़ा व्यापार है. कपड़ों के डिजाइनर वेरा वांग और जॉन लीविस ने बपतिस्मा समारोह के लिए दिए जाने वाले तोहफ़ों की बिक्री में 8 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा दर्ज किया.बपतिस्मा में बच्चों को चांदी के तोहफें दिए जाने का रिवाज़ है लेकिन अब नए तरह के तोहफे भी दिए जा रहे हैं.गर्म किया जाता है बपतिस्मा का पानीबपतिस्मा के दौरान बच्चे अब भी रोते हैं लेकिन सर्द ब्रिटेन में माथे पर ठंडा पानी पढ़ने पर चुप रहना कठिन ही होता है.

स्ट्रैटफोर्ड ने कहा, “चर्चों में पानी गर्म किया जा रहा है क्योंकि अब लोग ऐसा कर सकते हैं. कुछ वर्षों पहले तक तो चर्चों में बिजली तक नहीं थी.”आसान भाषासाल 1980 तक बपतिस्मा संस्कार में 17वी सदी की भाषा का प्रयोग किया जाता था. लेकिन नए ‘सर्विस बुक’ के आने के बाद ये संस्कार काफी सहज हो गया है.लेकिन आज के ज़माने की भाषा में इसे ढाले जाने से कुछ लोग नाखुश भी है.बपतिस्मा की अहम पंक्ति ‘क्या आप ईश्वर के सामने अपना समर्पण करते हैं?’ में भी भाषा पर सवाल उठाए गए हैं.

Posted By: Subhesh Sharma