'अब गाने मूवी प्रमोशन के लिए ज्यादा यूज होते हैं' : विशाल ददलानी
मुंबई (मिड-डे)। विशाल ददलानी उन लोगों में से हैं जो पुराने गानों को नया बनाने के ट्रेंड का सपोर्ट नहीं करते। हालांकि, जब उन्होंने 'बागी 3' के लिए अपने साथी म्यूजिक कम्पोजर शेखर रवजियानी के साथ 'दस बाहने' का रीमिक्स करने का फैसला किया तो लोग चौंक गए। उनका कहना था कि उन्होंने अपना गाना बचाने के लिए यह कदम उठाया था। इस इंटरव्यू में उन्होंने बताई पूरी कहानी।
आपको इस रीमिक्स के बारे में कब पता चला? भूषण कुमार और अहमद खान ('बागी 3' के डायरेक्टर) से आपने क्या बात की?विशाल: हमें इसके बारे में एक महीने पहले पता चला था। जब मैंने म्यूजीशियन्स को पुराने गानों के भरोसे न रहने की बात करते हुए ट्वीट किया तो हमारे पुराने दोस्त अहमद ने कॉल करके कहा कि उन्होंने अपनी मूवी में 'दस बहाने' को यूज किया है। हमने साजिद नाडियडवाला (प्रोड्यूसर) से बात की और दोनों ने बहुत प्यार से हमें बताया कि वे इसकी शूटिंग कर चुके हैं और अगर हमें सही नहीं लगता तो वे इसमें बदलाव भी करने को तैयार हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि अगर हम चाहते हैं कि इसे हटा दिया जाए तो वह ऐसा भी करने को तैयार हैं। इसके बाद हम कुछ भी ऐसा नहीं कर सकते थे जिससे उनका नुकसान हो। भूषण हमारे स्टूडियो आए और हमसे मदद मांगी, हम पहले से शूट हो चुके इस ट्रैक पर जो कर सकते थे वो किया। हमारे पास दो ऑप्शंस थे-हम लीगल रास्ता अपनाकर सबको परेशान कर सकते थे या मामले को ठंडा कर देते। हमने दूसरा रास्ता चुना क्योंकि सब हमारे दोस्त थे। हम बस यह उम्मीद करते रहे कि काश वे पहले हमारे पास आते।
आपने रीमिक्स के लिए मेघदीप बोस (म्यूजिक प्रोड्यूसर) को क्या इंस्ट्रक्शंस दिए?शेखर: अनफॉर्चुयूनेटली, हम टेम्पो और पहले से शूट हो चुके वर्जन के लिरिक्स में फंस गए थे। हमने मेघदीप से कहा कि इसे जितना पॉसिबल हो सके ओरिजनल गाने के करीब बनाने की कोशिश करें, खासकर आवाज और ग्रूव्स के हवाले से।क्या आप फाइनल रिजल्ट से खुश हैं? क्या आप कहेंगे कि आपने यह प्रोसेस एंज्वॉय किया?विशाल: ओरिजनल तो ओरिजनल ही होता है। सच कहूं तो मुझे इसे नयापन देने की कोई जरूरत महसूस नहीं हुई। यह बहुत साल पहले तो नहीं बना था। अगर हमें इतनी देर से इसमें शामिल न किया जाता तो हम इसे शायद अलग तरह से अप्रोच करते। खैर, हम खुश हैं कि इसके चलते बहुत से नए लोग ओरिजनल गाने को सर्च करेंगे।फिल्म इंडस्ट्री में 20 साल बिताने के बाद, आपके मुताबिक आपने फिल्म म्यूजिक ट्रेंड्स में सबसे बड़ा बदलाव क्या देखा है?
शेखर: फिल्म म्यूजिक बिजनेस पहले ट्रेंड सेट करता था पर अब लगता है कि वह उन्हें फॉलो करता है। फिल्ममेकर्स शायद भूल गए हैं कि यूनीक टोनल क्वालिटी की पूरी मूवी और गानों के लिए क्या वैल्यू होती है, जो डायलॉग्स के साथ पूरी कहानी सुनाते हैं। आजकल गाने सिर्फ मूवी प्रमोट करने के लिए यूज होते हैं, जरूरी नहीं है कि वे नजरिए का हिस्सा भी हों। दुख की बात यह है कि झंकार बीट्स, ओम शांति ओम, टशन या टाइगर जिंदा है जैसे गाने बहुत रेयर हो गए हैं। वे ऐसे गाने हैं जिनके जरिए लोगों को थिएटर्स से उतर जाने के बाद भी मूवीज याद रहती थीं। मूवीज आज भले ही ज्यादा पैसा बनाती हों और गाने करोड़ों लोगों तक पहुंचते हों पर अब ऐसा कम ही दिखता है कि ऑडियंस मूवी के इमोशंस गानों के जरिए जिए। शुक्र है कि कुछ फिल्ममेकर्स बचे हैं जो इसकी कद्र करते हैं।आप हमें अपने फ्यूचर प्रोजेक्ट्स के बारे में क्या बता सकते हैं?विशाल: हम फिलहाल दो मूवीज कर रहे हैं, एक 'यशराज फिल्म्स' की है और एक अली अब्बास जफर (प्रोड्यूसर) की खाली पीली है। हम दो इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स के लिए भी म्यूजिक तैयार कर रहे हैं।
sonia.lulla@mid-day.com