हिंदी फिल्मों में नहीं होती लॉजिक नाम की कोई चीज, ये 10 सुबूत देखकर क्या कहेंगे?
1- आखिरी सांस तक फंसा रहेगा राज
तमाम पुरानी सुपरहिट हिंदी फिल्मों में ऐसे कई सीन आपने देखे होंगे जिनमें कोई बूढ़ा बुजुर्ग बिल्कुल मर रहा होता है। उसकी सांसे अटक रही होती है, फिर भी वह मरते-मरते आखरी सांस तक एक अधूरा राज बता जाता है कि फिल्म का हीरो उस का नहीं बल्कि दीवान साहब का बेटा है।
कानून की धुलाई के मामले में भी हमारे हिंदी फिल्मी हीरो कमाल हैं। फिल्म का हीरो सरेराह 50 लोगों को ठोक पीटकर बिछा देता है और पुलिस कभी भी उसे पकड़ने के लिए नहीं आती। ऐसा लगता है कि अपना हीरो कानून के दायरे में ही नहीं आता।
5- एैरे गैरे सभी बन जाते है माइकल जैक्सन के सपूत
हिंदी फिल्मों में हीरो या हीरोइन राह चलते या शॉपिंग मॉल में कब अचानक डांस करना शुरू कर दें, कोई नहीं जानता। सबसे मजेदार बात तो यह है आकाशवाणी के रूप में बज रहा गाने का संगीत सुनकर आस पास खड़े आम लोग भी गणेश आचार्य जैसा धमाकेदार डांस करना शुरू कर देते हैं। ऐसा लगता है कि वो सभी लोग मां के पेट से डांस करना सीख कर आए हैं।
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7- कोर्ट में भी हीरोगिरी से बाज नहीं आते एक्टर
हिंदी फिल्मों में Hero या कोई दूसरा एक्टर कोर्ट केस के दौरान अचानक ही यह कहता है कि जज साहब मैं अपना केस खुद लड़ूंगा या फिर दूसरी पेशी के दौरान अचानक ही कह देता है कि मैं पेश करता हूं अपना आखरी गवाह जो इस केस का रुख ही पलट देगा। सच्चाई तो यह है कि कोर्ट केस के दौरान इन सभी कामों के लिए जज से पहले से परमिशन लेनी पड़ती है।
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9- बम डिफ्यूज करना बच्चों का खेल
हिंदी फिल्मों का हीरो शायद मां के पेट से ही बम डिफ्यूज करना सीखकर आता है।उसे हमेशा पता होता है की दांत से या कटर से वो लाल या पीला वाला तार काट दो और बम अपने आप डिफ्यूज हो जाएगा।