ब्लॉग: मैं हूं अहमद, एक नाकाम 'लव जिहादी'
जिन हिंदू लड़कियों ने मुस्लिम युवकों से शादी की या इसके ठीक उलट होने वाली शादियों में धर्म परिवर्तन दूर की कौड़ी नज़र आती है.अब मेरी कहानी ही लीजिए. (बस व्यंग्य से गुरेज़ वाले उत्तेजित न हो!)ज़ुबैर अहमद के अनुभवलव जिहाद के विरोधियों को मैं ये यक़ीन दिलाता हूँ कि वो ज़्यादा परेशान न हों क्योंकि अधिकतर लव जिहादी अपने मिशन में नाकाम हो रहे हैं.मैंने एक हिंदू लड़की से शादी की थी, ये सोच कर कि मुसलमानों की 14 प्रतिशत आबादी में थोड़ी बढ़ोत्तरी होगी!और ये भी कि धर्म परिवर्तन के सारे रास्ते कठिन हो गए हैं इसलिए लव जिहाद का सहारा लिया जाए.
मगर लव जिहादी तो केवल मुसलमान ही हो सकते हैं, नहीं?मैंने बहुत कोशिश की थी कि मैं अपनी पत्नी पर मुस्लिम समाज का गहरा असर छोड़ूं, लेकिन हुआ इससे उलट.इस नाकाम लव जिहादी की समाज में नाक इसलिए कटती है क्योंकि उसका रहन-सहन काफ़ी 'हिंदुआना' है.
संतुष्टि इस बात को देख कर होती है कि मेरी तरह ही मेरे कई दोस्त नाकाम लव जिहादी हैं.एक मुस्लिम मित्र की हिंदू बीवी का हिंदू बेटा इस्लाम से कोसों दूर भागता है. जिहादी बाप पर क्या गुज़रती होगी?हमारे एक और साथी हैं जिन्होंने अपनी हिंदू पत्नी को मुस्लिम नाम दे दिया और सोचा कि उनका जिहाद सफल हो गया.लेकिन जब मोहल्ले के लोगों ने ये कहना शुरू कर दिया कि केवल शादी के लिए नाम के वास्ते मुस्लमान करने से ये लव जिहाद क़ुबूल नहीं होगा तो उसने सब्र कर लिया कि वो एक असफल लव जिहादियों की सफ में शामिल हो गया है.संतानें हिंदू
लेकिन अगर हिंदू भी लव जिहादी हो सकते हैं तो वो अधिक कामयाब हैं. मेरे ऐसे कई हिंदू दोस्त हैं जिनकी पत्नियां मुस्लिम हैं और संतानें अधिकतर मामलों में हिन्दू.मुझे ऐसा लगता है कि लव जिहाद के खिलाफ जिहाद छेड़ने वाले दल और उनकी सहयोगी संस्थाएं भी नाकाम जिहादियों की लाइन में शामिल होंगे, क्योंकि इस जिहाद के पीछे उनका उद्देश्य क्या है यह हिंदूओं की बहुमत आबादी को अच्छी तरह मालूम है.