पंचायत ने दाल में तड़का लगाने पर रोक लगाई
पंचायत ने इसकी वजह बताते हुए कहा है कि दाल में बघार लगाने और मछली-मुर्गा पकाने से पालतू मवेशी मर सकते हैं। इसलिए मवेशियों को जिंदा रखने के लिए बघार और छोंक पर रोक लगा दी गई है।पंचायत के फ़रमान के बावजूद कुछ शौकीनों ने मछली पका ली तो उनसे जुर्माना वसूला गया।ये मामला बैतूल से 25 किलोमीटर दूर घोड़ाडोंगरी ब्लॉक के मेंढापानी गांव का है जिसकी आबादी करीब एक हज़ार है।गांव में जब एक के बाद एक कई पालतू मवेशी मरने लगे तो चिंतित गांव वालों में तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं। अंधविश्वास ने इन्हें और बढ़ाया।तांत्रिक का फ़रमान
गांव के निवासी धर्मदास धुर्वे ने बताया, "मारे गए पशुओं में समान लक्षण पाए गए थे। मरने से एक हफ़्ते पहले वे खाना छोड़ देते थे। ऐसा क्यों हो रहा था, हमें पता नहीं लग रहा था। इसलिए ग्राम पंचायत ने भगत की सलाह पर अमल का फ़ैसला किया। इसका असर यह हुआ कि पशुओं के मरने का सिलसिला बंद हो गया।"
इस बीच पाढर के पशु अस्पताल ने गांव के पशुओं का टीकाकरण भी कर दिया है। अस्पताल की डॉ. कीर्ति ठाकरे ने गांव वालों को बताया कि मवेशी गलाघोंटू बीमारी के कारण मारे गए।सरपंच राजेश धुर्वे कहते हैं, "हमें नहीं मालूम कि दाल में बघार नहीं लगाने का असर है या टीकाकरण का, बहरहाल पशुओं का मरना बंद हो गया है। पंचायत का फ़ैसला 20 अगस्त तक लागू रहेगा।"