विश्वविद्यालयों में परीक्षा संचालन में आड़े आ रही राशि की दिक्कत, सत्र में देर तय
पटना ब्यूरो। राज्य के विश्वविद्यालयों में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू है। इसके अतिरिक्त वार्षिक परीक्षाओं का संचालन भी अप्रैल में निर्धारित है। अब परीक्षाओं के संचालन को लेकर केंद्रों के निर्धारित होते ही वहां आवश्यक सामग्री को पहुंचाने से लेकर परीक्षा कराने के लिए राशि की बाधा आने लगी है। दरअसल, शिक्षा विभाग ने सभी विश्वविद्यालयों के बैंक खातों के संचालन पर रोक लगा दी है। इस कारण परीक्षा संचालन अधर में लटकता दिख रहा है। परीक्षा नहीं होने या विलंब से होने की स्थिति में विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक सत्र में विलंब तय है। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, मगध विश्वविद्यालय, बाबा साहब भीम राव अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा आदि विश्वविद्यालय की ओर से अप्रैल व मई में प्रस्तावित है। इसके बाद भी बैंक खाते के संचालन से रोक नहीं हटने पर विश्वविद्यालयों ने राज्य सरकार व राजभवन को पत्र लिखा है। इसमें शैक्षणिक सत्र नियमित करने को लेकर अविलंब बैंक खाता के संचालन से रोक हटाने का आग्रह किया है। अप्रैल में निर्धारित है स्नातक पार्ट वन, टू व थ्री की परीक्षा
विश्वविद्यालयों की ओर से जारी एकेडमिक कैलेंडर के अनुसार अप्रैल महीने में स्नातक पार्ट वन, टू व थ्री की परीक्षा निर्धारित है। मई महीने में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम के तहत स्नातक द्वितीय सेमेस्टर के अतिरिक्त पीजी के विभिन्न सेमेस्टर की परीक्षाएं निर्धारित है। ऐसे में परीक्षा केंद्रों को परीक्षा के लिए राशि एडवांस दिया जाना है, लेकिन सरकार की ओर से खाते के संचालन पर रोक होने के कारण राशि देना संभव नहीं दिख रहा है। इसके अतिरिक्त परीक्षा केंद्रों पर उत्तर पुस्तिका व प्रश्न पत्र पहुंचाना, वीक्षकों के भुगतान करना, परीक्षा संचालन के लिए पेयजल, जेनरेटर खर्च आदि के लिए भी एडवांस राशि नहीं मिलने के कारण केंद्राधीक्षक पैसा के लिए हाथ खड़ा कर रहे है। ऐसे में परीक्षा का संचालन व सत्र नियमितीकरण पर सीधा असर दिखेगा।पेंशनरों को नहीं मिल रही पेंशन, शिक्षक को वेतन पर आफतराज्य सरकार की ओर से विश्वविद्यालय के खाता संचालन पर रोक होने से पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में पेंशनरों को करीब तीन महीने तथा शिक्षकों को दो महीने से ही वेतन नहीं मिल रहा है। इसके कारण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। इसके अतिरिक्त आयकर की राशि भी जमा नहीं होने के कारण अब विश्वविद्यालयों को जुर्माना लगना तय माना जा रहा है।