PATNA NEWS मच्छर से जंग के लिए बजट तो भरपूर पर जाता कहां है हुजूर !
पटना ब्यूरो। अगर आप से ये कहें कि पटना नगर निगम मच्छर मारने के नाम पर हर मंथ 2 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है बावजूद मच्छर दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है तो जानकर आश्चर्य होगा लेकिन ये हकीकत है। दरअसल, पटना के 75 वार्डों में 75 फॉगिंग मशीन से मच्छर भगाने के लिए धुएं उड़ाए जा रहे हैं। फॉगिंग मशीन के लिए प्रतिदिन एक टाइम एक गाड़ी में 25 लीटर डीजल और 3 लीटर पेट्रोल की खपत हो रही है। जबकि दो टाइम में 50 लीटर डीजल और 6 लीटर पेट्रोल खपत होने का प्रावधान है। इस हिसाब से प्रतिदिन एक टाइम में 1,72,500 रुपए का डीजल और 23,625 रुपए का पेट्रोल खर्च हो रहे हैं। इतना ही नहीं, फॉगिंग के लिए प्रतिदिन 2 से 3 लीटर केमिकल भी यूज हो रहे हैं जिसकी कीमत बाजार में करीब चार हजार रुपए है। बावजूद डेंगू के पेशेंट मिलने का सिलसिला थम नहीं रहा है। आज दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में पढि़ए मच्छर से जंग के लिए बजट तो भरपूर लेकिन जाता कहां है हुजूर। यानी मच्छर से जंग के लिए बजट से लोगों को कितना फायदा हो रहा है।
प्रतिदिन 2 लाख रुपए डीजल, पेट्रोल व केमिकल पर हो रहे खर्च
पटना में मच्छर भगाने के नाम पर 2023 में जुलाई से दिसंबर के बीच चार करोड़ रुपए से अधिक रुपए खर्च किए गए थे, इसके बाद भी डेंगू से पटनाइट्स परेशान हुए थे। 19 मौत के अलावा 14 हजार से अधिक लोग इसकी चपेट में आ गये थे। इस वर्ष 2024 में प्रतिदिन 2 लाख 125 रुपए डीजल, पेट्रोल व केमिकल पर खर्च हो रहे हैं।
मानसून की शुरुआत के साथ ही मच्छर जनित बीमारियों का खतरा बढऩे लगता है। इन बीमारियों के रोकथाम के लिए मच्छरों पर लगाम लगाना जरूरी होता है, जिसके लिए पटना में नगर निगम फॉगिंग और एंटी लार्वा छिड़काव की टीम बनाई गई है, जो शहर में घूम-घूम कर फॉगिंग कर रही है। टीम माउंटेन फॉगिंग मशीन, हैंड हेल्ड फॉगिंग मशीन और एंटी लार्वा स्प्रे मशीन के माध्यम से मच्छर भगाने का काम कर रही है। पटना नगर निगम की तरफ से 500 लोगों की टीम बनाई गई है। ये टीम रोस्टरवाइज पटना के सभी 75 वार्डों में फॉगिंग और एंटी लार्वा छिड़काव कर रही है।
मच्छर से जंग 2023 में खर्च
-जुलाई से दिसंबर के बीच 2023 में 4 करोड़ रुपए हुए खर्च।
-साल 2024 में अब तक मच्छर भगाने के लिए हर मंथ 1 करोड़ 40 लाख रुपए खर्च हो रहे हैं।
- पटना के 75 वार्डों में जारी है फॉगिंग कार्य।
-1875 लीटर डीजल प्रतिदिन खपत।
-1,72,500 रुपए प्रति दिन डीजल पर खपत।
-225 लीटर पेट्रोल प्रतिदिन खपत।
-23,625 रुपए प्रति दिन पेट्रोल पर खपत।
- एक फॉगिंग मशीन में एक टाइम में प्रतिदिन 25 लीटर डीजल और 3 लीटर पेट्रोल की खपत।
-फॉगिंग में प्रति दिन 4 हजार रुपए का लग रहा केमिकल।
-मच्छर भगाने के लिए 500 टीमें की गई हैं गठित।
फॉगिंग के नाम पर औपचारिकता पूरी
मच्छर भगाने के लिए पटना नगर निगम शहर के 75 वार्डों में करोड़ों रुपए खर्च कर फॉगिंग कार्य कर रहा है लेकिन दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने जब पड़ताल की तो पता चला कि 15 दिन में एक बार ही फॉगिंग हो रही है जबकि फॉगिंग के नाम पर प्रतिदिन पेट्रोल और डीजल का बिल बन रहा है। पटना नगर निगम कर्मचारी संघ के प्रधान महासचिव नंद किशोर दास ने बताया कि डेंगू के लिए जितना ईंधन खर्च हो रहा है उस हिसाब फॉगिंग नहीं हो रही है। उन्होंने बताया कि शहर के 75 वार्डों में 75 फॉगिंग मशीन से फॉगिंग के नाम पर औपचारिकता की जा रही है, एक वाहन में प्रतिदिन दो टाइम में 50 लीटर डीजल और 6 लीटर पेट्रोल खर्च हो रहे हैं।
पटना सिटी में डेंगू पेशेंट के लिए एनएमसीएच में 30 बेड रिजर्व किए गए हैं। उपाधीक्षक डॉ सरोज कुमार ने बताया कि सेंटर ऑफ एक्सीलेंस कैंपस स्थित फैब्रिकेटेड अस्पताल भवन में 10 बेड पुरुष और 10 बेड महिला पेशेंट के लिए रिजर्व हैं। इसके अलावा चाइल्ड वार्ड में बेड रिजर्व है। आईजीआईएमएस में 5 बेड रिजर्व किए गए हैं। पीएमसीएच के प्रिंसिपल डॉ विद्यापति चौधरी ने बताया कि जरूरत के हिसाब डेंगू वार्ड बनाया जाएगा। अभी तक शहर में दो डेंगू पॉजिटिव पेशेंट मिले हैं। यहां अभी तक एक भी डेंगू पेशेंट नहीं पहुंचे हैं। अभी डेंगू के दो केस ही मिले हैं। पटना नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त प्रयास से केमिकल का छिड़काव हो रहा है। बारिश के मौसम में जहां पानी जमा है उसे साफ करते रहें। डेंगू का लार्वा नहीं पनपेगा।
- डॉ। सुभाष प्रसाद, जिला मलेरिया अधिकारी, पटना
पब्लिक वर्जन
बारिश के मौसम में प्रतिदिन फॉगिंग आवश्यक है। तभी मच्छर जनित बीमारियों पर अंकुश लगेगा। साथ ही केमिकल छिड़काव की रफ्तार भी बढ़ाने की जरूरत है।
- संजय कुमार, पब्लिक
- प्रमोद कुमार, पब्लिक डेंगू की रोकथाम के लिए जितना ईंधन खर्च हो रहा है उस हिसाब से जनता को लाभ नहीं मिल रहा है। डेंगू से बचाव के लिए नियमित रुप से फॉगिंग आवश्यक है।
- नंद किशोर दास, प्रधान महासचिव, पटना नगर निगम चतुर्थवर्गीय कर्मचारी महासंघ