-ईहा अपने अस्तित्व के लिए वहां संघर्ष कर रही है जहां सिर्फ अंधियारा है

पटना ब्‍यूरो। वॉइस इन्टू थिएटर की ओर से मंजरी मणि त्रिपाठी द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक ईहा का मंचन प्रेमचंद रंगशाला में किया गया.ईहा नाटक स्लम के उन बच्चों के बारे में है जो शिक्षा से वंचित हैं जो जंगली फूल की तरह उग गए हैं और अपने वजूद का खाद और पानी भी खुद हीं जुटा रहे हैं उनके पास ना उनके हिस्से की धरती है और ना ही आसमान यह नाटक उन बच्चों के जीवन पे प्रकाश डालता है जो शिक्षा से वंचित हैं और उसी तबके की एक बच्ची ईहा अपने अस्तित्व के लिए वहां संघर्ष कर रही है जहां सिर्फ अंधियारा है ना उसके सर पे छत है और ना ही अपनी धरती वो अपने सपने और जि़म्मेदारियों के बीच जूझ रही है वो समझ चुकी है कि शिक्षा ही उसे बेहतर भविष्य की ओर ले जा सकती है पर क्या वो या ईहा जैसे तमाम बच्चे कभी स्कूल जा पाएंगे क्या उनके जीवन का अंधियारा कभी मिट पाएगा क्या ईहा कभी भी अपने हिस्से का आसमान ढूंढ पाएगी ?

मंच पर
लक्ष्मी, सुर्वी ,विकास, कोमल ,विक्की, खुशी, नेहा, अंकित, संध्या ,आनंद, रोली ,बादल, डुग्गु ,नैतिक ,राखी, समर,आकाश

मंच परे
संगीत- मो। जॉनी
नाल वादक - राजीव घोष
पोस्टर - कृष्ण समीद्ध ,अनिकेत कुमार एवं सैंटी कुमार
वस्त्र -विन्यास- सैंटी कुमार
रूप सज्जा - जितेंद्र कुमार जीतू
वस्त्र विन्यास - सैंटी कुमार
प्रकाश परिकल्पना - राजीव रॉय
प्रकाश परिकल्पना सहयोग - निखिल ठाकुर

Posted By: Inextlive