पटना का मोस्ट वांटेड गोप नागपुर से अरेस्ट
पटना (ब्यूरो)। बिहार एसटीएफ की विशेष टीम ने पटना के मोस्टवांटेंड अपराधी रवि गोप को महाराष्ट्र के नागपुर से छापेमारी कर गिरफ्तार किया है। बिहार पुलिस को रवि गोप की लंबे समय से तलाश थी। उस पर 50 हजार का इनाम भी घोषित था। रवि गोप पर पटना जिले में लूट, हत्या और रंगदारी से संबंधित 16 संवेदनशील कांड दर्ज हैं।
पहचान छिपाकर कर रहा था बिजनेस
सूत्रों के अनुसार, रवि गोप महाराष्ट्र में अपनी पहचान छिपाकर स्क्रैप का बिजनेस कर रहा था। महाराष्ट्र में रहकर भी अपने गुर्गों के जरिए वह पटना के कारोबारियों से रंगदारी के लिए धमकाता रहता था। पिछले कई माह से बिहार एसटीएफ की टीम रवि गोप के बारे में सूचना जुटा रही थी। इसी बीच उसके महाराष्ट्र के नागपुर में रहने की सूचना मिली। सत्यापन के बाद एसटीएफ की टीम ने दस अगस्त को रवि गोप को छापेमारी कर पकड़ लिया। रवि गोप पर सिर्फ पटना के कदमकुआं थाने में एक दर्जन प्राथमिकी दर्ज है। इसके अलावा पीरबहोर थाना और फुलवारीशरीफ थाना में भी प्राथमिकी की गई है।
पुलिस के पास तस्वीर तक नहीं थी रवि गोप की, एक गलती से चढ़ा हत्थे
पटना शहर के बीचोबीच हुई कई चर्चित हत्याओं के बाद कुख्यात रवि गोप को पकडऩे के लिए तेज-तर्रार पुलिसकर्मियों की फौज लगाई जाती थी, लेकिन 15 वर्षों में कोई उसकी तस्वीर तक जुटा नहीं पाया। हालांकि, उसकी एक गलती का फायदा इतने वर्षों बाद पुलिस को मिला और केवल तीन दिनों की मशक्कत के बाद रवि पुलिस की गिरफ्त में आ गया। सूत्र बताते हैं कि उसने एक मुकदमे के ट्रायल को लेकर अधिवक्ता से मोबाइल पर बात की थी। उसी केस से जुड़े एक व्यक्ति ने एसटीएफ के एक डीएसपी को इसकी जानकारी दी। इसके बाद पुलिस ने अधिवक्ता का काल रिकार्ड खंगाला तो उसमें रवि के एक सहयोगी का नंबर मिला। उसी नंबर की लोकेशन के आधार पर एसटीएफ के दारोगा समेत दो जवानों की टीम महाराष्ट्र के नागपुर पहुंची और रेकी करने लगी। पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद महाराष्ट्र पुलिस के सहयोग से रवि को उसके फ्लैट से धर दबोचा गया।
सख्ती पर उजागर कर दी पहचान
बताया जाता है कि पुलिस के पास रवि की एक किशोरावस्था की तस्वीर थी, जो उसके वर्तमान हुलिए से बिल्कुल अलग बताई जाती है। रवि को उठाने के बाद एसटीएफ ने मोबाइल से उसकी तस्वीर खींच कर कुछ करीबी लोगों को भेजी, मगर वे भी पहचानने का दावा नहीं कर रहे थे। छानबीन के बाद पुलिस ने रवि से सख्ती से पूछताछ की तो उसने अपनी पहचान उजागर कर दी। सूत्रों की मानें तो एसटीएफ उसके स्क्रैप कारोबार के कार्यालय भी गई थी, लेकिन वह ग्राहकों से खुद संपर्क नहीं करता था।
बताया जाता है कि पटना से फरार होने के बाद रवि नेपाल भाग गया था। वहां उसने एक कंपनी का कार्यालय भी खोला था। इसके बाद चंडीगढ़ से दवा तैयार करा अपनी कंपनी के नाम से बेचा करता था। उसने रंगदारी से वसूली गई रकम को कई धंधों में निवेश किया और करोड़ों की संपत्ति बना ली। सूत्र बताते हैं कि वर्तमान में भी अशोक राजपथ से लेकर पटना सिटी तक के कई प्रतिष्ठानों से रवि के गुर्गे रंगदारी वसूल रहे थे। उसके दर्जन भर गुर्गे कई दवा कंपनियों के स्टाकिस्ट हैं।