प्रियंका दो बच्चे की मां हैं. पटना के खगौल रोड में रहती हैं. सुबह जब बच्चे स्कूल जाते हैं तब वह रोटी में घी लगाकर देती हैं. लेकिन जबसे घी में जानवरों की चर्बी मिले होने की रिपोर्ट आई है. तब से वे अपने बच्चों को फिलहाल रोटी में घी लगाकर देना बंद कर चुकी हैं. प्रियंका कहती हैं कि पहले तो विश्वास ही नहीं हुआ कि ऐसा भी कुछ हो सकता है.

पटना ब्‍यूरो।

लेकिन जब तिरूपति घी विवाद से जुड़ी खबरें देखी तो यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि अगर तिरूपति के लड्डू में यूज घी में अगर जानवरों की चर्बी की बात हो सकती है। तब आम घी जो बाजार में उपलब्ध होते हैं। उसमें क्या कुछ मिला नहीं हो सकता है।

लिट्टी में लगे घी में कोई खुशबू नहीं


लिट्टी-चोखा बिहार का एक प्रसिद्ध व्यंजन है। पटना में आपको जगह-जगह लिट्टी चोखा के स्टॉल मिल जायेंगे। लेकिन एक बात आपने जरूर गौर की होगी कि लिट्टी में जो घी मिलाया जाता है। क्या वह असली है। उसकी प्यूरिटी क्या है और प्यूरिटी को लेकर उसकी सियोरिटी क्या है। पटना के तारा मंडल से लेकर पूरे नेहरू पथ पर लिट्टी-चोखा के सैकड़ों स्टॉल मिल जायेंगे। लेकिन वहां लिट्टी में लगे घी में खुशबू नहीं होती है।

कैसे बनता है नकली घी


नकली घी बनाना कानूनी अपराध है। और ऐसा करना मानवता के विरुद्ध भी है, क्योंकि जब कोई ऐसा करता है तो इसका सीधा मतलब है कि वह आदमी अपना मुनाफा कमाने के लिए दूसरों की जान भी खतरे में डाल रहा है। एक्सपट्र्स बताते हैं की मिलावटी चीजों के इस्तेमाल से किडनी, लीवर और दिल पर असर पड़ता है। इससे कैंसर तक हो सकती है। पेट और स्किन की बीमारी तो तत्काल दिखने लगती है, लेकिन बाकी गंभीर बीमारियां धीरे-धीरे घेरती है।

इन चीजों से बनता है नकली घी

हेल्थ एक्सपर्ट्स ने बताया की नकली घी बनाने में रंग, एसेंस, पॉमोलीन (पॉम आइल) और वनस्पति घी का प्रयोग किया जाता है। दिखावे के लिए थोड़ा सा असली देसी घी भी डाला जाता है। खाद्य पदार्थों में दुकानदार अपने-अपने ढंग से मिलावट करते हैं। नकली घी बनाने में सबसे ज्यादा नेपाली डालडा का इस्तेमाल किया जाता है। नेपाली डालडा को धीमी आंच पर एक घंटे तक भूनने के बाद सोंधी-सोंधी खुशबू आने लगती है। फिर, अन्य सामग्रियों को मिलाकर तैयार किए जाने वाले नकली घी को शुद्ध देसी घी के नाम पर डिब्बे में पैक कर खुले बाजार में बेच दिया जाता है। पिघलने के बाद नकली होने का पता न चले, इसलिए उसमें फ्लेवर और सेंट डाला जाता है।

नकली घी की पहचान

घी मिलावटी है या नहीं। इसका पता लगाने के लिए आप एक बर्तन में एक चम्मच घी गर्म कर लें। अगर घी तुरंत पिघल जाता है और इसका रंग बदलकर भूरा हो जाता है तो यह शुद्ध देशी घी है। अगर घी पीले रंग में बदलता है तो यह मिलावटी है।

पटना में हर महीने 50 टन घी की आवक

पटना में हर महीने 50 टन घी की आवक है। जिसमें एक बड़ी मात्रा नकली घी का भी होता है। फतुहा व पटना सिटी एरिया इस मामले में हब के तौर पर विकसित हुआ है। जहां बड़े पैमाने पर बड़े स्टॉकिस्ट घी का मांगाते हैं फिर उसे पूरे शहर में भेजी जाती है।

वर्जन
हमने नकली घी के खिलाफ ऑपरेशन चलाया है। कई दुकानों पर छापेमारी कर वहां से सैम्पल कलेक्ट किया गया है। इन सैम्पल को जांच के लिए लैब में भेजा गया है। जांच रिपोर्ट उम्मीद है कि अगले हफ्ते आ जायेगी। अगर इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है तो कार्रवाई की जायेगी।
अजय कुमार
फूड इंस्पेक्टर पटना

Posted By: Inextlive