Patna News : घी की प्यूरिटी को लेकर नहीं है कोई सियोरिटी
पटना ब्यूरो। लेकिन जब तिरूपति घी विवाद से जुड़ी खबरें देखी तो यह सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि अगर तिरूपति के लड्डू में यूज घी में अगर जानवरों की चर्बी की बात हो सकती है। तब आम घी जो बाजार में उपलब्ध होते हैं। उसमें क्या कुछ मिला नहीं हो सकता है। लिट्टी में लगे घी में कोई खुशबू नहीं
लिट्टी-चोखा बिहार का एक प्रसिद्ध व्यंजन है। पटना में आपको जगह-जगह लिट्टी चोखा के स्टॉल मिल जायेंगे। लेकिन एक बात आपने जरूर गौर की होगी कि लिट्टी में जो घी मिलाया जाता है। क्या वह असली है। उसकी प्यूरिटी क्या है और प्यूरिटी को लेकर उसकी सियोरिटी क्या है। पटना के तारा मंडल से लेकर पूरे नेहरू पथ पर लिट्टी-चोखा के सैकड़ों स्टॉल मिल जायेंगे। लेकिन वहां लिट्टी में लगे घी में खुशबू नहीं होती है। कैसे बनता है नकली घी
नकली घी बनाना कानूनी अपराध है। और ऐसा करना मानवता के विरुद्ध भी है, क्योंकि जब कोई ऐसा करता है तो इसका सीधा मतलब है कि वह आदमी अपना मुनाफा कमाने के लिए दूसरों की जान भी खतरे में डाल रहा है। एक्सपट्र्स बताते हैं की मिलावटी चीजों के इस्तेमाल से किडनी, लीवर और दिल पर असर पड़ता है। इससे कैंसर तक हो सकती है। पेट और स्किन की बीमारी तो तत्काल दिखने लगती है, लेकिन बाकी गंभीर बीमारियां धीरे-धीरे घेरती है।
पटना में हर महीने 50 टन घी की आवक
पटना में हर महीने 50 टन घी की आवक है। जिसमें एक बड़ी मात्रा नकली घी का भी होता है। फतुहा व पटना सिटी एरिया इस मामले में हब के तौर पर विकसित हुआ है। जहां बड़े पैमाने पर बड़े स्टॉकिस्ट घी का मांगाते हैं फिर उसे पूरे शहर में भेजी जाती है। वर्जनहमने नकली घी के खिलाफ ऑपरेशन चलाया है। कई दुकानों पर छापेमारी कर वहां से सैम्पल कलेक्ट किया गया है। इन सैम्पल को जांच के लिए लैब में भेजा गया है। जांच रिपोर्ट उम्मीद है कि अगले हफ्ते आ जायेगी। अगर इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है तो कार्रवाई की जायेगी।
अजय कुमार
फूड इंस्पेक्टर पटना