पटना में मौसम तेजी से करवट ले रहा है. हवा का लेवल दिनों-दिन खराब होते जा रहा है. एक्यूआई लेवल बढऩे से पटनाइट्स को आने वाले दिनों में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है. हवा की गति कम होने और बंगाल की खाड़ी में बनते दवाब की वजह से आने वाले दिनों में पटना में स्वच्छ हवा के लिए लोगों को जूझना पड़ सकता है.

पटना ब्‍यूरो।

पटना में संडे को कई एरिया में एक्यूआई लेवल सैटिस्फैक्शन ग्रेड से मोडरेट ग्रेड और फिर पुअर लेवल की ओर जा रही है।

कुछ एरिया के एक्यूआई 300


पटना के राजवंशी नगर में एक्यूआई लेवल 212, तारामंडल 176, समनपुरा 300, डीआरएम ऑफिस 181, इंडस्ट्रीयल एरिया 147, एसकेएम हॉल 104, इको पार्क एरिया में 74 रिकॉर्ड किया गया है। यानी कि पटना के कुछ एरिया के एक्यूआई लेवल 300 के आसपास या फिर उससे ऊपर जा चुका है। जो हम सभी के लिए बेहद ही चिंता का विषय है। मौसम विभाग के अनुसार यह स्थिति अगर रहती है तो आने वाले समय में लोगों के लिए मुश्किल हो सकता है। क्योंकि हवा में नमी बढऩे के कारण धूल कणों की मात्रा काफी बढ़ गई है। जिससे हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है। इस लेवल पर हवा में सांस लेने से बच्चों और बुजुर्गों को दिक्कत हो सकती है।

क्यों इसी समय पॉल्यूशन बढ़ता है


यह ट्रेंड लगभग हर साल देखा जाता है कि दशहरा के पहले से हवा का लेवल खराब होना शुरू हो जाता है। जो दिवाली और कार्तिक छठ यानी नवंबर और दिसंबर तक बेहद ही खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। ऐसे में सवाल है कि ऐसा क्यों होता है। एक्सपर्ट के अनुसार इसके लिए मेटालॉजिक्ल दिक्कतें भी काफी हद तक जिम्मेदार है।

बंगाल की खाड़ी में दबाव बढ़ जाना


1 बंगाल की खाड़ी में हवा का दबाव कम हो जाना और फिर बिहार व पटना के हवा का लगभग यहीं पर ठहर जाना बड़ा फैक्टर है।

ठंडी हवाएं और मौसम में बदलाव

2 ठंड की शुरुआत के साथ हवा का तापमान गिर जाता है और हवा की गति धीमी हो जाती है। इससे वायुमंडल में प्रदूषक तत्व अधिक समय तक बने रहते हैं और हवा में घुलकर एक्यूआई लेवल को खराब करते हैं।

वाहनों का उत्सर्जन
3 पटना में वाहनों की संख्या बढ़ रही है और इससे निकलने वाली धुआं भी एयर पॉल्यूशन में योगदान करता है। खासकर ठंड के मौसम में जब हवा का संचलन कम हो जाता है, तो प्रदूषक तत्व वायुमंडल में फंस जाते हैं।

निर्माण कार्य और धूल
4 पटना में चल रहे निर्माण कार्य, सड़क की धूल और अन्य औद्योगिक गतिविधियां भी वायु गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं। इन महीनों में निर्माण कार्य भी तेज होता है, जिससे धूल और पार्टिकुलेट मैटर हवा में बढ़ जाता है।

दिवाली और अन्य त्योहारों के पटाखे

5 अक्टूबर और नवंबर के महीनों में दीपावली और छठ जैसे बड़े त्योहार आते हैं, जिनमें पटाखे जलाए जाते हैं। पटाखों से निकलने वाले धुएं और रसायनों से वायु गुणवत्ता में गिरावट आती है।

कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करें बंद


पॉल्यूशन कंट्रोल की ओर से डीएम पटना को शहर में बढ़ते एक्यूआई लेवल को लेकर चेतावनी दी गई है। इसमें कहा गया है कि शहर में जो भी कंस्ट्रक्शन साइट चल रहे हैं वहां या तो काम बंद कर दिया जाए या फिर उसे सीमित कर दिया जाए। क्योंकि ऐसे एरिया में धूल कण कहीं ज्यादा उड़ते हैं जो हवा में घुलकर वहां के हवा को खराब करते हैं।

शहर में सड़कों पर नियमित तो पर हो वाटर स्प्रिंकलिंग

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से जिला प्रशासन और नगर निगम को शहर की सड़कों पर नियमित रूप से वाटर स्प्रिंकलिंग करने को कहा गया है। इसके अलावा हवा में भी पानी का छिड़काव को लेकर सलाह दी गई है। ताकि बढ़ते एक्यूआई लेवल को कंट्रोल किया जा सके।

पटनाइट्स अगर चाहे तो 30 प्रतिशत तक कम हो सकता है एयर पॉल्यूशन

एक्सपर्ट के अनुसार बढ़ते पॉल्यूशन लेवल में अगर पटनाइट्स अपनी ओर से कोशिश करें और फिर पीएमसी और जिला प्रशासन तमाम एहतियाती उपाय करें तो बढ़ते एक्यूआई लेवल को 30 प्रतिशत तक नीचे लाया जा सकता है। जो लोगों के लिए एक बड़ी राहत हो सकती है। इसमें धूल कण पर नियंत्रण करने से लेकर पानी का नियमित छिड़काव और सड़कों पर मिट्टी, बालू और स्टोन चिप्स रखने से मनाही के अलावा कंस्ट्रक्शन साइट पर जो भी गाडिय़ां काम कर रही है। उन्हें शहर में लाने से पहले उनके चक्के को धोया जाना शामिल हो। इसके अलावा बालू और स्टोन चिप्स की लाने वाले वालों की ट्रॉली पूरी तरह से कवर हो।

क्या कहते हैं पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष डॉ डीके शुक्ला ने बताया कि अभी स्थिति फिर भी कंट्रोल में है। लेकिन यह स्थिति आगे चलकर खराब हो सकती है। इसलिए जिला प्रशासन और निगम को कंस्ट्रक्शन साइट पर काम बंद करने से लेकर शहर में धूल कण और मिट्टी वाले एरिया में वाटर स्प्रिंकलिंग करवाने को कहा गया है। हम सभी मिलकर कोशिश करें तो 30 प्रतिशत तक पॉल्यूशन कम हो सकता है। इसके अलावा 70 प्रतिशत स्थिति नेचर पर डिपेंड करता है। इस बीच अगर शहर में बारिश हो जाए और बंगाल की खाड़ी में कम दवाब की स्थिति न बने तो फिर एक्यूआई लेवल में सुधार हो सकता है।

Posted By: Inextlive