जब मोबाइल गायब होता है तब आप इसकी शिकायत पुलिस में करते हैं. फिर पुलिस उस मोबाइल की खोज के लिए उसे ट्रैकिंग पर डालती है. बहुत सारे मोबाइल ट्रैक भी हो जाती है. लेकिन कुछ ऐसे मोबाइल भी होते हैं जिसे पुलिस तमाम कोशिशों के बाद भी नहीं ढूंढ पाती.

पटना ब्‍यूरो।

अब इसके पीछे का जो कारण पता चला वह न केवल चौंकाने वाला है बल्कि पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को चिंता में भी डालने वाला है। मोबाइल हैंडसेट का अपना एक आईएमईआई नंबर होता है। जिससे उस मोबाइल की पहचान कर उसे खोजा जाता है। लेकिन अब सॉफ्टवेयर की मदद से उक्त आईएमईआई नंबर को बदला जा सकता है। जिसके बाद चोरी की मोबाइल एक नई पहचान के साथ यूज होने लगती है। फिर इसका मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हो सकता है।

ऐसे बदल जाता है आईएमईआई नंबर


आईएमईआई नंबर बदलने के लिए कई साफटवेयर आते हैं। जिसकी मदद से किसी भी फोन का आसानी से आईएमईआई नंबर को रिराइट किया जा सकता है। अब आप यह सवाल पूछ सकते हैं कि जब इन सॉफ्टवेयर की मदद से आईएमईआई नंबर को बदला जाता है तब सरकार या सुरक्षा एजेंसियां इसे रोकती क्यों नहीं है। तब इसके पीछे का कारण यह है कि उक्त साफ्टवेयर का प्राइम यूज मोबाइल में साफ्टवेयर रिराइट करने का है। लेकिन मोबाइल बनाने वाले लोग इसका इस्तेमाल साफ्टवेयर रिराइट के साथ आईएमईआई रिराइट करने में भी करते हैं जो कानूनी तौर पर गलत है।

रजिस्टर्ड आईएमईआइ नंबर से ही रिराइट किया जाता है

आईएमईआई नंबर मोबाइल फ़ोन निर्माता, अपने द्वारा नियुक्त रिपोर्टिंग निकायों के ज़रिए, हर डिवाइस को यह नंबर जारी करते हैं। ये रिपोर्टिंग निकाय, ग्लोबल सिस्टम फ़ॉर मोबाइल कम्युनिकेशंस एसोसिएशन (क्रत्रस्रू्र) से टीएसी नंबर हासिल करते हैं। नाम नहीं जारी करने की शर्त पर ग्रे मार्केट के एक शख्स ने बताया कि पहले वह यह काम करता था। अब उसने यह काम छोड़ दिया है। उसने हजारों मोबाइल सेट का आईएमईआई नंबर बदला है। उक्त शख्स ने बताया कि जो आईएमईआई पहले से इस्तेमाल में है या नहीं भी है तो उसी नंबर से रिराइट किया जा सकता है। यानी कि जो नंबर पहले से अस्तित्व में है उसी को किसी दूसरे हैंडसेट में रिराइट के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

एक ही आईएमईआई से चलते कई मोबाइल


पहले से इस्तेमाल में चल रहे आईएमईआई नंबर को दूसरे हैंडसेट में रिराइट करने से यह होता है कि एक ही नंबर से दो या फिर उससे अधिक मोबाइल चलने लगता है। इससे सुरक्षा एजेंसियों की मुश्किलें भी बढ़ जाती है। क्योंकि जब एक ही आईएमईआई नंबर से एक अधिक फोन चल रहे होते हैं तब किसी एक को ट्रैक करने पर अलग-अलग लोकेशन दिखाता है। वहीं इसमें वैसे निर्दोष लोग भी फंस जाते हैं जिनका मोबाइल आधारित क्राइम में कोई भूमिका नहीं होती है।

चाइनिज मोबाइल का आईएमईआई नंबर बदलना होता है आसान


ग्रे मार्केट के पूर्व सदस्य ने बताया कि चाइनिज मोबाइल कंपनियों का नंबर बहुत बार करप्ट हो जाता है। जिसके बाद मोबाइल काम करना बंद कर देता है। जब आप इसे किसी मोबाइल दुकान में ले जाते हैं तब नियमत: आईएमईआई की मांग आपसे वह करता है। लेकिन बहुत सारे फोन धारक को अपने नंबर के बारे पता नहीं होता है। जिसके बाद ग्रे मार्केट में पांच सौ सात सौ रुपये में दूसरे किसी मोबाइल का आईएमईआई नंबर को रिराइट करर उसे आसानी से चालू कर दिया जाता है।

दो हजार में मिलता है सॉफ्टवेयर


ग्रे मार्केट के पूर्व सदस्य के अनुसार ग्रे मार्केट में आईएमईआई रिराइट साफ्टवेयर 15 सौ से दो हजार में आसानी से मिल जाता है। वहीं आईएमईआई रिराइट करने के लिए पांच सौ से लेकर दो हजार रुपये तक ग्रे मार्केट में चार्ज किया जाता है।

वर्जन
इस तरह के मामले अभी तक मेरे संज्ञान में नहीं आया है। अगर आता है तब इस पर निश्चित तौर पर कार्रवाई की जायेगी। क्योंकि यह एक अति गंभीर मामला है।
मानवजीत सिंह ढिल्लो
ईओयू एंड साइबर क्राइम डीआईजी

imei नंबर की खास बातें

imei, 16 अंकों का होता है।

यह नंबर, फ़ोन की पहचान करता है।

imei नंबर, डिवाइस की सेटिंग में, बैटरी पैक के नीचे, या डिवाइस के बॉक्स पर होता है।

डुअल सिम फ़ोन में दो ढ्ढरूश्वढ्ढ नंबर होते हैं, एक हर सिम स्लॉट के लिए।

imei, फ़ोन की स्क्रीन पर दिखाने के लिए, *प्त06प्त डायल किया जा सकता है।

imei का इस्तेमाल, डिवाइस को सर्टिफ़ाई करने और ट्रैक करने के लिए किया जाता है।

अगर फ़ोन खो जाए या चोरी हो जाए, तो imei की मदद से इसे ढूंढा जा सकता है।

imei से जुड़ी जानकारी, मोबाइल ट्रैकर ऐप में डालकर भी हासिल की जा सकती है।

Posted By: Inextlive