पुलिस की नजर में न आये इसके लिए अपराधी कई तरह के प्रपंच करते हैं. उन्हें पता है कि उनका मोबाइल ट्रेस हो सकता है पुलिस उनकी बातचीत को भी चाहे तो सुन सकती है. लोकेशन की जानकारी मिल सकती है.

पटना ब्‍यूरो।

ऐसे में इन शातिर अपराधियों ने भी पुलिस को चैलेंज करने की कोशिश की है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है राजधानी में कई लूट, डकैती और हत्या को अंजाम देने वाले अपराधियों ने भी पुलिस की पहुंच से बचने के लिए इंटरनेट नम्बर का यूज किया है। यानी भीओआईपी वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल का यूज किया है। पिछले दिनों पटना पुलिस ने संतोष उर्फ बकरिया सहित चार क्रिमिनल्स को गिरफ्तार किया था। इन लोगों से पूछताछ के बाद यह जानकारी पुलिस को मिली की पश्चिम बंगाल के बद्र्वमान जेल में बंद अपराधी निरांतक और बिट्टू से निर्देश लेते थे जो उन्हें ङ्कशढ्ढक्क जरिए दिये जाते थे।


डकैती करने वाले जगह की रेकी


पुलिस कुछ दिनों पहले ही पटना के कई हत्याकांड, सोना लूट और डकैती के मामलों में बड़ा खुलासा किया था। इस सारे जगाहों की अपराधियों ने पहले रेकी की थी। और इसका निर्देश जेल में बैठे अपराधी निरांतक ने इंटरनेट नम्बर के जरिए दिया था। जिसमे वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल का यूज किया गया था। इन नम्बरों को फ्री या फिर पैसे देकर अपराधी ले लेते हंै। इसे ट्रेस करना बेहत ही मुश्किल होता है। ऐसे में अपराधी इसका फायदा उठा रहे है। कई लोगों को इसकी जानकारी भी नहीं होती है। साइबर एक्सपर्ट की माने तो इसके लिए कई साफ्टवेयर भी अवेलेबल हैं जिनका यूज क्रिमिनल्स कर रहे है। क्योकि इंडिया में यह लीगल भी माना जाता है।

क्या है भीओआईपी कैसे करता है काम


भीओआईपी सर्विस आपकी वॉयस को डिजिटल सिग्नल में कंवर्ट कर देता है जो इंटरनेट के माध्यम कॉलर तक पहुंच जाती है। वायस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल को आईपी टेलीफोनी भी कहा जाता है। इंडिया में इसे यूज करने में कोई रेस्ट्रीक्शन नहीं है। इसके जरिए नेशनल और इंटरनेशन कॉल भी किये जा सकते हैँ। यहां कई कंपनियां हैं जो सर्विस प्रोवाइड करती है।

साइबर अपराधी खासतौर से कर रहे यूज


इस सबंध में पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार जब भी कोई फ्रॉड करने वाला फोन करता है तो वह पहली नजर में इंटरनेशनल नम्बर की तरह लगता है। और वह भीओआईपी का यूज भी हो सकता है। एक सीनियर पुलिस ऑफिसर ने बताया कि सीबीआई या फिर किसी बड़े अधिकारी बनकर जो कॉल किये जाते है वह ज्यादातर इंटरनेट के माध्यम से ही वीओआईपी कॉल होते हैं। इन्हें ट्रेस करना नामुमकिन हो जाता है। क्योकि आईपी की थ्रू कॉल किया जाता है जिससे इसे ट्रेस करने में परेशानी होती है। इसके तहत कोई भी अपने नम्बर पर भी इसकी सुविधा ले सकता है या फिर अपना अलग नम्बर भी ले सकते हैं।

मामा को भांजे ने ही परेशान किया


पुलिस की फाइलों में इस तरह की पहले केस को देखे तो सबसे पहले बख्तियारपुर का एक केस सामने आया था जिसमें एक बड़े बिजनेसमैन को कॉल कर धमकी दी जा रही थी। पटना पुलिस ने इसे ट्रेस करना शुरू किया तो आईपी एडरेस गुजरात का मिला और उसे गिरफ्तार भी किया गया। तब यह खुलासा हुआ कि जिस व्यक्ति से शिकायत की थी वह उसका ही भांजा निकला। पैसे की लालच में वह मामा को ही परेशान कर रहा था। वारदात 2016 की है।

Posted By: Inextlive