मुगल-राजपूत शैली का नायाब धरोहर है पटना म्यूजियम
एशिया का एक प्रमुख संग्रहालयों में शुमार है
shambhukant.sinha@inext.co.in PATNA : राजधानी पटना कई बार बसा और बिखरा और आधुनिक काल में शहर के बीचो-बीच अवस्थित पटना संग्रहालय इन काल खंडों की हलचल जैसे सामाजिक - आर्थिक गतिविधियों के साक्ष्यों को खुद में समेटे हुए है। इसके बनने के पीछे की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। सबसे पहले सन् क्78फ् में कलकत्ता हाई कोर्ट के न्यायाधीश सर विलियम जोंस ने यहां के सामाजिक और सांस्कृतिक पहलूओं को समझने की आवश्यकता महसूस की। इसके बाद क्9क्ख् में पटना स्थित मनेर में खुदाई के दौरान कई पुरावशेष मिले। अंतत: ख्0 जनवरी, क्9क्भ् में बिहार-ओडिशा के प्रथम लेफ्टिनेंट जनरल गर्वनर सर स्टूआर्ट बेली के आवास पर डॉ सच्चिदानंद सिन्हा की मांग पर यह अस्तित्व में आया। 'मेरा पितर, मेरा शहर' के 9वीं कड़ी में पढि़ए पटना संग्रहालय के बारे मेंमैं पटना संग्रहालय हूं। इतिहास के विभिन्न काल खंडों में बनी वस्तुएं, जिसका भौगोलिक क्षेत्र उत्तर -पश्चिम में कंधार से लेकर दक्षिण पूर्व में उड़ीसा तक है। मैं कोलकाता के इंडियन म्यूजियम के बाद प्रस्तर प्रतिमा का दूसरा बड़ा संग्रहालय है। इसके अंतर्गत मौर्यकालीन दीदारगंज स्थित यक्षिणी, लोहानीपुर में जैन तीर्थकर का पत्थर का प्रस्तर, कंधार (अफगानिस्तान) से लाए गए प्रस्तर प्रतिमा संग्रह किया गया है। कुरकिहार और नालंदा से प्राप्त कांस्य प्रतिमा और टेराकोटा की रखी वस्तुएं खास आकर्षण हैं।
क्9ख्8 में बनकर हुआ तैयार करीब भ्00 फीट चौडे और 700 फीट लंबे भू-भाग में बने मेरा निर्माण कार्य क्9ख्भ् में प्रारंभ हुआ और दिसंबर, क्9ख्8 में बनकर तैयार हो गया.जिसे सात मार्च, क्9ख्9 में आम लोगों के लिए खोल दिया गया.बिहार -उडीसा के लेफ्टिनेंट जनरल सर स्टीफेंसन ने इसका उद्घाटन किया था। मैं विरासत को ही नहीं अपने स्वरूप में मुगल और राजपूत शैली (इंडो -सार शैली) को भी समेटे हुए हूं। इसके गुम्बद मुगल जबकि खिड़कियां (झरोखें) राजपूत शैली में बने हैं। इसका डिजाइन रायबहादुर विष्णु स्वरूप ने किया था। सिक्कों का संग्रह यहां दुर्लभ सिक्कों का शानदार संग्रह है। करीब फ्000 प्राचीन सिक्कों का यह संग्रह इस संग्रहालय को खास बनाता है। क्9क्ब् में कलकत्ता में स्थापित इंडियन म्यूजियम (पूर्व में ओरिएंटल म्यूजियम ऑफ बंगाल) के बाद एशिया का एक प्रमुख संग्रहालय में शुमार किया जाता है। ऐतिहासिक साक्ष्यों को संजोने, संरक्षण और प्रदर्शन के लिहाज से एक एक बेजोड़ म्यूजियम है। इंडियन म्यूजियम, कोलकाता के बाद प्रस्तर प्रतिमा का दूसरा बड़ा संग्रह है। शोध की दृष्टि से भी यहां की सामाग्री खास है।- डॉ शंकर सुमन, असिस्टेंट क्यूरेटर कम गाइड लेक्चरर, पटना संग्रहालय