आईजीआईएमएस के कॉडियोलॉजी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. बीबी सिंह ने बताया कि गर्मी के महीने में जो बीपी और डायबिटीज के पेशेंट हैं अपना दवा का पावर कम कर लें. साथ ही इलेक्ट्रोलाइट्स चेक करते रहे हैं. उन्होंने बताया कि हृदयघाट से बचाव की कई दवाएं ऐसी होती हैं जिनसे पसीना व यूरीन ज्यादा होता है और इससे इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलित होने पर हार्ट का रीडम तेज हो सकता है या गड़बड़ा सकता है. आईजीआईसी के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ. संतोष पाण्डेय ने बताया कि गर्मी के सीजन में किडनी के मरीज को सतर्कता से रहने की आवश्यकता है.

पटना ब्‍यूरो। गर्मी के कारण लोगों को घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। जो बाहर निकल रहे हैं उन्हें सांस लेने में परेशानी, चक्कर, गैस, अधिक पसीना, हीट स्ट्रोक सहित कई तरह की बीमारी की चपेट में आ रहा हैं। यहां तक की हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर होने की संभावना बन गया है। क्योंकि बीपी और हृदयघाट से बचाव की कई दवाएं ऐसी होती हैं जिनसे पसीना व यूरीन ज्यादा होता है और इससे इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलित होने की संभावना रहता है। गर्मी ने अस्पतालों के ओपीडी का पारा बढ़ा दिया है। रोजाना यहां सैकड़ों की संख्या में हीट स्ट्रोक के मरीज पहुंच रहे हैं।

ब्लड प्रेशर, डायबिटीज चेक कराते रहे
आईजीआईएमएस के कॉडियोलॉजी विभाग के पूर्व एचओडी डॉ। बीबी सिंह ने बताया कि गर्मी के महीने में जो बीपी और डायबिटीज के पेशेंट हैं अपना दवा का पावर कम कर लें। साथ ही इलेक्ट्रोलाइट्स चेक करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि हृदयघाट से बचाव की कई दवाएं ऐसी होती हैं जिनसे पसीना व यूरीन ज्यादा होता है और इससे इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलित होने पर हार्ट का रीडम तेज हो सकता है या गड़बड़ा सकता है। आईजीआईसी के असिस्टेंट डायरेक्टर डॉ। संतोष पाण्डेय ने बताया कि गर्मी के सीजन में किडनी के मरीज को सतर्कता से रहने की आवश्यकता है।

इन बातों का रखे ध्यान
-शरीर को नम रखने के लिए थोड़ी-थोड़ी देर में पानी या तरल पदार्थ का सेवन करते रहें। लेकिन हृदय रोगियों को सावधानी बरतनी चाहिए। अधिक पानी पीने से हृदय पर दबाव बढ़ सकता है।
-ताजे फल-सब्जियों का सेवन करें। नमक, तम्बाकू व कैफीनयुक्त चाय-काफी जैसे पदार्थों का सेवन कम करें।
-आसपास के वातावरण को ठंडा रखें, तेज धूप में बाहर जाने से बचें और सोते समय सबसे ठंडे स्थान का चयन करें।
-सुबह 10 से 4 के बीच धूप में निकलने से बचें, यदि जाना पड़े तो पानी साथ में रखें और पीते रहें।
- हल्के रंग के ढीले सूती कपड़े पहने, हल्का खाना खाएं।

हीट स्ट्रोक, डायरिया, बुखार और खांसी के सबसे अधिक मामले
पीएमसीएच के डॉक्टरों ने बताया कि मौसम जनित बीमारियों की चपेट में आने वाले मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। हीट स्ट्रोक, डायरिया, बुखार, खांसी, जुकाम उल्टी, दस्त, नेत्र रोग, चर्म रोग पीडि़त मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। अस्पताल में प्रतिदिन इन बीमारियों से पीडि़त औसतन 800 के आसपास मरीज इलाज के लिए ओपीडी में पहुंच रहे हैं। सभी विभागों के ओपीडी को मिलाकर तकरीबन 2200 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। जबकि सामान्य दिनों में इनकी संख्या 1400 के आसपास रहती है।

चर्म रोग से पीडि़त मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी
पटना मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों ने बताया कि तल्ख धूप और गर्मी के साथ ही चर्म रोग से पीडि़त मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया कि ज्यादातर मरीज पटना के ग्रामीण इलाके से आते हैं। अधिकांश मरीज स्केबीज, एलर्जी और दाद से संबंधित बीमारी से पीडि़त रहते हैं। डॉक्टरों की माने तो गंदे कपड़े ज्यादा देर तक पहनने से ये बीमारी पनपता है। धूल मिट्टी त्वचा पर जमने, पसीना ज्यादा देर तक शरीर में होने के कारण त्वचा रोग को बढ़ावा मिलता है। त्वचा में लाल चकत्ते, दाने निकलने या दाद दिखने पर तुरंत योग्य चिकित्सकों से सम्पर्क करें।

चर्म रोग से बचने के उपाय
-विटामिन सी युक्त फलों का सेवन करें
-तौलिया और पहने हुए कपड़े अच्छी तरह धोएं
-धूप में कपड़ों को अच्छी तरह सुखाना चाहिए
-पड़ों को प्रेस करना चाहिए
- पसीने वाले कपड़े ज्यादा देर तक न पहने
-संक्रमित रोगियों से परहेज करें
-धूल मिट्टी से बचें
- पानी खूब पीएं

केस 1
अपने पिता का इलाज कराने के लिए आए चंदन ने बताया कि पिछले दो दिनों से पिता जी को बुखार के साथ चक्कर आ रहा था। अस्पताल आने पर पता चला कि हीट स्ट्रोक का मामला है। समय पर अस्पताल पहुंच गए इसलिए डॉक्टरों ने एडमिट कर जान बचा ली।

केस 2
बाढ़ से अपने पति का इलाज कराने के लिए आई सुनीता ने बताया कि गर्मी की वजह से पूरे शरीर में इंफेक्शन हो गया है। लाल दाने निकलने लगे हैैं। हमेशा खुजलाहट होती है। यहां आने के बाद पता चला कि धूप में काम करने और बॉडी केयर नहीं करने की वजह से बीमारी पनपा है। डॉक्टर से दिखाने के बाद ओपीडी में दवा मिली है।

अस्पतालों में आने वालें मरीज एक नजर में
पीएमसीएच ओपीडी 2200
इमरजेंसी 150

आईजीआईएमएस ओपीडी 3000
इमरजेंसी 200

आईजीआईसी ओपीडी 400
इमरजेंसी 150

न्यू गार्डिनियर रोड ओपीडी 500
इमरजेंसी 20
एनएमसीएच 1500
इमरजेंसी 100


तापमान बढऩे की वजह से हीट स्ट्रोक के मामले बढ़े हैं। हीट शरीर के टोटल पानी को सोख लेता है। जिससे बॉडी का संतुलन बिगड़ रहा है। किडनी, लीवर की बीमारी से पीडि़त मरीजों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। अस्पताल में पूरे राज्य से मरीज आते हैं इसलिए मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है।
-डॉ। विद्यापति चौधरी, प्रिंसिपल, पीएमसीएच

हीटवेव के दौरान बॉडी को ठंडा रखने की पूरी कोशिश करें। गर्मी से बचने के लिए सूती कपड़े का इस्तेमाल करें। टाइट कपड़े पहनने से बचें। शराब, चाय और कॉफी की जगह फल और हरी सब्जी का सेवन करें। साथ ही पानी खूब पीएं।
- डॉ। राणा एसपी सिंह, सीनियर फिजिशियन, पटना

गर्मी के दिनों में बीपी से पीडि़त मरीजों में इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलित होने पर हार्ट का रीडम तेज हो सकता है या गड़बड़ा सकता है। ऐसे मरीज को सतर्क रहने की आवश्यकता है।
- डॉ। संतोष पाण्डये, असिस्टेंट डायरेक्टर

Posted By: Inextlive