बख्तियारपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के स्टूडेंट्स ने डेवलप किया कोच का एक अनोखा मॉडल-कोच वीथ नेचुरल वेंटिलेटेड एयर फ्लो सिस्टम मॉडल को बनाने में लगे सिक्स मंथ-नए मॉडल से ट्रेन में बिजली की कम होगी खपत रखरखाव पर भी कम होंगे खर्च

पटना ब्‍यूरो। अगर आपसे ये कहें कि जिस स्पीड से ट्रेन चलेगी उसके डबल रफ्तार से कोच में बैठे पैसेंजर्स को ठंडी हवा मिलेगी वो भी बिना पंखों के तो सुनकर आश्चर्य होगा। मगर यह सच है। दरअसल, पटना के चार इंजीनियरिंग स्टूडेंट्र्स ने एक ऐसा ट्रेन के कोच का मॉडल डेवलप किया है जो बिना बिजली के ठंडी हवा देगी। बख्तियारपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के मैकेनिकल डिपार्टमेंट के 8वें सेमेस्टर के स्टूडेंट पीयूष कुमार, तुषार सिन्हा, आर्यन गुप्ता और मुकुल कुमार ने प्रोफेसर अनिल कुमार यादव के मार्गदर्शन में छह माह में यह मॉडल तैयार किया है। प्रोफेसर अनिल कुमार यादव ने बताया कि ट्रेन कोच वीथ नेचुरल वेंटिलेटेड एयर फ्लो सिस्टम से ट्रेनों में बिजली की भी कम खपत होगी। इसके रखरखाव पर भी कम खर्च आएंगे। उन्होंने बताया कि कोच के इस नए मॉडल को भारतीय पेटेंट कार्यालय से मंजूरी मिल गई है। आने वाले समय में रेलवे में इस डिजाइन के कोच डेवलप किए जाएंगे।

तो 120 की स्पीड से मिलेगी हवा
बख्तियारपुर इंजीनियरिंग कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ। अनिल कुमार यादव ने बताया कि कोच को इस तरह डेवलप किया गया है कि अगर ट्रेन 60 की स्पीड से चलती है तो अंदर बैठे पैसेंजरों को 120 की रफ्तार से ठंडी हवा पहुंचेगी। इसके लिए कोच के बाहर डक्ट लगाए गए हैं। डक्ट द्वारा ही कोच में हवा प्रवेश करेगी।

इस तरह पहुंचेगी ठंडी हवा
प्रोफेसर डॉ। अनिल ने बताया कि डक्ट को फिजिक्स के सातत्य समीकरण यानी कंटिन्यूटी इक्वेशन के सिद्धांत पर तैयार किया गया है। जिससे की बाहर की हवा को दोगुनी रफ्तार से कोच में पहुंचाया जा सके। उन्होंने बताया कि जैसे ही ट्रेन रफ्तार पकड़ेगी हवा डक्ट में लगे पाइप के सहारे अंदर दोगुनी रफ्तार से प्रवेश करेगी। और अंदर बैठे पैसेंजरों को स्वच्छ ठंडी हवा मिलेगी।

सेंसर से होगा कन्ट्रोल
उन्होंने ने बताया कि ट्रेन कोच वीथ नेचुरल वेंटिलेटेड एयर फ्लो सिस्टम ट्रेन चलने पर कार्य करेगी। ट्रेन के रुकते ही ट्रेन में लगे पंखे चालू हो जाएंगे। इसके लिए कोच में सेंसर लगाया गया है। उन्होंने बताया कि अभी ट्रेनों में लगे पंखे बिजली से चलते हैं। एक ट्रेन में करीब 405 पंखे लगे होते हैं और प्रत्येक पंखे की बिजली खपत लगभग 75 वाट होती है। ऐसे में 12 घंटों में 365 यूनिट बिजली खपत होती है। इस सिस्टम के लागू होने के बाद आठ से दस घंटे बिजली की बचत होगी। इससे रेलवे को लाखों रुपये बचेंगे।

एक कोच पर चार से पांच लाख रुपये आएगी लागत
इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स ने बताया कि एक कोच को बनाने में करीब चार से पांच रुपये खर्च होंगे। इस डिजाइन को भारत सरकार के पेटेंट डिजाइन कार्यालय से पेटेंट मिल गया है। उन्होंने बताया कि कोच के चार तरह के डिजाइन तैयार किए गए हैं। जिसमें सर्कुलर, सेमी सर्कुलर सहित दो अन्य डिजाइन शामिल हैं।

Posted By: Inextlive