PATNA NEWS चंद्रव्यपिनी चतुर्थी में चन्द्रदेव व गणपति की होगी पूजा
पटना ब्यूरो। बिहार में खासकर मिथिलांचल क्षेत्र में चौठचंद्र की पूजा में चंद्रमा की पूजा बड़ी धूमधाम से की जाती है.श्रद्धालु चंद्रदेव को नाना प्रकार के पकवान का भोग अर्पित कर उनसे जीवन में शीतलता व आरोग्यता का वर मांगते है। चंद्रदेव को अर्पित करने वाले भोग प्रसाद मिथिलावासी के घरों में पूरी निष्ठा व पवित्रता के साथ बनाया जाता है.सूर्यास्त के बाद चंद्रमा के प्रकट होने पर घर के आंगन या छतों पर कच्चे चावल को पीसकर बने अरिपन से अल्पना बनाई जाती है.उसी पर केला पत्ता रख पूजा-पाठ के सभी सामग्रियों को उस पर रखकर विघ्नहर्ता गणेश व चंद्रदेव की विधिवत पूजा होती है। इस दिन चन्द्रमा के पूजन एवं अर्घ्य देने से मनोविकार से मुक्ति, आरोग्यता, ऐश्वर्य, संतान के दीर्घायु होने का वरदान मिलता है। मान्यता है कि इस दिन चन्द्रमा के दर्शन मात्र से अपयश व कलंक का दोष लगता है । इसी दिन गणेश भगवान ने चन्द्रमा को श्रापमुक्त करके शीतलता एवं सौंदर्य का वरदान दिए थे।
-रवियोग के सुयोग में मनेगा चौठचंद्र व्रतआचार्य राकेश झा ने कहा कि मिथिला के प्रसिद्ध त्योहार चौठचंद्र (चौरचन) व्रत भाद्रपद शुक्ल चंद्रव्यपिनी चतुर्थी में 6 सितंबर शुक्रवार को चित्रा नक्षत्र एवं शुक्ल योग के साथ रवियोग के सुयोग में मनाया जाएगा.इस दिन शुक्रवार दिन, रवियोग एवं तुला लग्न होने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है ढ्ढ ऐसे उत्तम संयोग में चद्रदेव की पूजा फलदायी होगी। शुक्रवार 6 सितंबर की संध्या बेला में श्रद्धालु संतान के दीर्घायु, आरोग्य एवं निष्कलंक के लिए ऋतूफल, दही तथा पकवान हाथ में लेकर चंद्र दर्शन करेंगे।
मनुष्य व प्रकृति के बीच प्रेम का पर्व है चौरचन