पटना में भी नाबालिग दौड़ा रहे वाहन, पुणे की तरह हो सकती है पोर्श ड्राइव दुर्घटना
पटना ब्यूरो। पुणे की चर्चित पोर्श ड्राइव दुर्घटना पटना में भी हो सकती है। पटना की सड़कों पर भी नाबालिक बिना किसी रोक-टोक वाहन दौड़ा रहे हैं। एक आकड़ा के अनुसार राजधानी पटना में होने वाले एक्सीडेंट में 30 फीसदी चालक नाबालिक होते हैं। पटना में भी वाहन खरीदने के बाद पैरेंट्स अपने बच्चों को सौंप देते हैं। वो ये नहीं देखते कि हमारा बच्चा नाबालिक या बालिक। वह सड़कों पर वाहन को चला सकता है या नहीं। वाहन मिलने के बाद बच्चे भी ड्राइव के लिए शहर के नव निर्मित गंगा पथ या अटल पथ पर जाते हैं। ड्राइव करते वक्त न तो मोटर व्हीकल एक्ट के नियमों का पालन होता है, न ही स्पीड लिमिट का ध्यान रखते हैं। ये नाबालिक गाड़ी चलाने में इतना मस्त रहते हैं कि सामने किसी को भी ठोक देते हैं। ऐसी कई घटनाएं पटना में हो भी चुकी हैं। इसमें कई वाहन तो ऐसे भी होते हैं तो जिसपर नंबर प्लेट तक नहीं चढ़ा होता है। पुणे हादसे के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पड़ताल किया तो पता चला कि शो रूम से मिलने वाले टेंपरेरी नंबर प्लेट तक लगाना लोग भूलकर ड्राइव करना शुरू कर देते हैं। पढि़ए रिपोर्ट
भूल जाते हैं टेंपरेरी नंबर प्लेट लगाना
शोरूम से कार निकलते ही गाड़ी पर ऑनर को टेंपरेरी नंबर प्लेट आवंटित हो जाता है। नंबर प्लेट की जगह पर टेंपरेरी नंबर प्लेट चिपका दिया जाता है। कागज की होने की वजह से कई बार ये फट जाता है। ऐसी स्थिति में ऑनर को दूसरी कॉपी चिपकना अनिवार्य है। मगर ड्राइव करने के जुनून में बिना नंबर प्लेट के ही लोग ड्राइव करने लगते हैं। जबकि नियमानुसार टेंपरेरी नंबर पर व्यस्तम मार्गों पर वाहन नहीं चला सकते हैं। नाम न छापने की शर्त पर ट्रैफिक चेक पोस्ट पर चेकिंग करने वाले सिपाहियों ने बताया कि कार खरीदने के बाद नाबालिक के पैरेंट्स स्टेयरिंग थमा देते हैं। अनट्रेंड ड्राइवर होने की वजह से वे एक्सीडेंट कर देते हैं। जब तक बालिक न हो जाए कार चलाने की अनुमति पैरेंट्स न दें।
150 से 200 की स्पीड में करते हैं ड्राइव
अटल पथ और गंगा ड्राइव पर एक्सीडेंट में कार ड्राइवर और उसमें सवार लोगों की मौत अक्सर होती है। ज्यादातर एक्सीडेंट स्पीड लिमिट में न चलाने की वजह से होती है। ट्रैफिक पुलिस के सिपाहियों ने बताया कि ज्यादा स्पीड में होने की वजह से चालक कार पर नियंत्रण खो देते हैं और डिवाइडर या सामने से आ रही गाड़ी टकरा जाती है। कई बार ऐसे लोगों की भी जान चली जाती है जिनकी कोई गलती नहीं होती है। कार ड्राइवर 150 से 200 किमी प्रति घंटे की रफ्तार में ड्राइव करते हैं। जब तक स्पीड कन्ट्रोल नहीं करेंगे हादसे बंद नहीं होगा।
24 मार्च को आरा-पटना मुख्य मार्ग पर दो कारों की आमने-सामने टक्कर हो गई। टक्कर इतनी जबर्दस्त थी कि कार के परखच्चे उड़ गए। इस घटना में कार सवार दो लोगों की मौत मौके पर ही हो गई। जबकि कार सवार चार लोगों गंभीर रूप से घायल हो गए थे। डॉक्टरों के अनुसार बचने के बाद भी वे कई सालों तक काम के नहीं रहेंगे। एक्सीडेंट की मुख्य वजह अत्याधिक स्पीड बताया गया था। केस 2
अटल पथ पर बीते दिनों एक हाईस्पीड कार साइकिल सवार को कुचलते हुए डिवाइडर से टकरा गई और फुटपाथ पर लगी रेलिंग (पाइप) चालक के बगल वाली सीट पर बैठे युवक के कंधे से आर-पार हो गई। करीब 45 मिनट बाद पुलिस ने गैस कटर से रॉड के अगले और पिछले हिस्से को कटवाया, फिर जख्मी को अस्पताल में एडमिट कराया। मगर, साइकिल सवार निर्दोष बुजुर्ग की मौत हो गई।
सरकार द्वारा बनाए गए नियम का अगर शो रूम संचालक और कार ऑनर पालन करें तो सड़क हादसे में कमी आएगी।
- अनुज सिंह, पब्लिक
-ललित कुमार ठाकुर, पब्लिक जब तक हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट न आ जाए तब तक कार ड्राइव नहीं करना चाहिए। कार ड्राइव करते समय मोटर व्हीकल एक्ट का पालन करें।
-विमलेश तिवारी, पब्लिक पुलिस को चाहिए कि ऐसी कार को जब्त कर लें। जबतक ड्राइवर बालिक न हो जाए हैंड ओवर न करें। तभी व्यवस्था में सुधार होगी।
-तपन कुमार, पब्लिक
बिना नंबर प्लेट या कार चलाने वाले नाबालिक ड्राइवर पर कार्रवाई की जाती है। ये अभियान लगातार चल रहा है। नियम के अनुसार शोरूम से बिना नंबर के वाहन नहीं निकल सकता है।
- दिलीप कुमार, मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर, पटना बिना रजिस्ट्रेशन के कोई भी गाड़ी हमलोग ऑनर को नहीं देते हैं। जो नियम परिवहन विभाग का है, उसे पालन करना ही होगा।
- गोपाल कुमार, मैनेज, मारुति सुजूकी