व्यस्त जीवनशैली और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं में स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। हालांकि आज के समय में राहत की बात यह है कि बेहतर तकनीक और अत्याधुनिक संसाधनों ने उनके स्वास्थ्य की देखभाल को आसान बनाने में काफी मदद की है


पटना ब्‍यूरो। व्यस्त जीवनशैली और स्वास्थ्य संबंधी जागरूकता की कमी के कारण महिलाओं में स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। हालांकि आज के समय में राहत की बात यह है कि बेहतर तकनीक और अत्याधुनिक संसाधनों ने उनके स्वास्थ्य की देखभाल को आसान बनाने में काफी मदद की है। इसके बावजूद यह जरूरी है कि महिलाएं अपने स्वास्थ्य की नियमित जांच कराते रहें और किसी बड़ी समस्या के आने से पहले सतर्क हो जाएं। महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर 'अंतरराष्ट्रीय महिला स्वास्थ्य दिवस' पर मंगलवार को फोर्ड हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की स्री रोग विशेषज्ञ डॉ। जागृति भारद्वाज ने ये बातें कहीं। अस्पताल में मरीजों से बातचीत के क्रम में उन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य को लेकर कई विशेष जानकारियां दीं।


डॉ। जागृति ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर, स्तन कैंसर, पीसीओएस, इनफर्टिलिटी, हृदय रोग, ऑस्टियोपोरोसिस, तनाव, मानसिक स्वास्थ्य और मोटापा जैसी कई बीमारियां महिलाओं को विशेष रूप से प्रभावित करती हैं। हालांकि इन बीमारियों से बचाव के लिए महिलाओं के पास कई विकल्प मौजूद हैं जिनको उपयोग में लाकर वे इन बीमारियों से दूर रह सकती हैं।

उन्होंने कहा कि 35 वर्ष की आयु के बाद नियमित पैप स्मीयर जांच से सर्वाइकल कैंसर का जल्दी पता लगाया जा सकता है। इसी तरह नियमित जांच से शुरुआती अवस्था में ही स्तन के कैंसर का भी पता लगाया जा सकता है। किसी भी तरह के कैंसर में शुरुआती दौर में इलाज शुरू हो जाय तो उसके ठीक होने की संभावना ज्यादा रहती है। जीवनशैली और आहार में बदलाव करके महिलाएं पीसीओएस को नियंत्रित कर सकती हैं। पीसीओएस नियंत्रित होने पर कई तरह की बीमारियां खुद ही दूर हो जाती हैं। इसमें मोटापा भी शामिल है। मोटापे को रोकने के लिए स्वस्थ भोजन और व्यायाम को भी अपनाना जरूरी है। इनफर्टिलिटी के लिए पीसीओएस और मोटापा दोनों जिम्मेदार होते हैं। इसके अलावा तनाव

Posted By: Inextlive