एक तरफ रेलवे की ओर से यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम यानी सुरक्षा कवच लगाने की बात की जा रही है. दूसरी तरफ ट्रेन दुर्घटना को रेलवे रोक नहीं पा रही है. ये हम नहीं पिछले तीन-चार साल में हुए रेल हादसे के रिकॉर्ड बता रहे हैं. सोमवार को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में मालगाड़ी और सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस के टकराने से चार डिब्बे पटरी से उतर गए. हादसे में 10 यात्रियों की मौत हो गई.

पटना ब्‍यूरो एक तरफ रेलवे की ओर से यात्रियों की सुरक्षा को लेकर एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम यानी सुरक्षा कवच लगाने की बात की जा रही है। दूसरी तरफ ट्रेन दुर्घटना को रेलवे रोक नहीं पा रही है। ये हम नहीं पिछले तीन-चार साल में हुए रेल हादसे के रिकॉर्ड बता रहे हैं। सोमवार को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में मालगाड़ी और सियालदह जाने वाली कंचनजंघा एक्सप्रेस के टकराने से चार डिब्बे पटरी से उतर गए। हादसे में 10 यात्रियों की मौत हो गई। इस तरह के हादसे अगर पूर्व मध्य रेल के क्षेत्र में होए तो बड़ा हादसा हो सकता है। क्योंकि ईसीआर रेल क्षेत्र में भी सुरक्षा कवच पर रेलवे की ओर से काम न के बराबर हुआ है। पढि़ए रिपोर्ट

बंगाल की तरह बिहार में भी हो सकता है हादसा
बंगाल के जलपाईगुड़ी में कंचनजंघा एक्सप्रेस और मालगाड़ी में हुए टकराव जैसी दुर्घटना बिहार में भी हो सकता है। क्योंकि पूर्व मध्य रेल के किसी भी डिविजन में एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम यानी सुरक्षा कवच अभी नहीं लगाया गया है। जबकि सुरक्षा कवच लैस करने का दावा रेलवे पिछले कई सालों से कर रहा है। जलपाईगुड़ी रेल सेक्टर और ट्रेन इस डिवाइस से लैस नहीं था इसलिए हादसा हुआ। पूर्व मध्य रेल के ट्रैक पर अगर लाल सिग्नल को तोड़ते हुए ट्रेन आगे बढ़ती है तो यहां भी बड़ा हादसा हो सकता है क्योंकि कवच पर कई डिविजनों में काम बांकी है।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय डिवीजन में हुआ ट्रायल
पूर्व मध्य रेल के अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा कवच से लैस करने के लिए एक बार टेंडर हुआ था। फिर से टेंडर की प्रक्रिया पूरी की गई है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय डिविजन के पंडित दीनदयाल जंक्शन से प्रधानखांटा तक ट्रेनों के संचालन में सुरक्षा के लिए कवच सिस्टम को ट्रायल किया गया था। इसे 2024 के अंत तक पूरा करने लक्ष्य रखा गया है, लेकिन कार्य की रफ्तार को देखकर 2024 के अंत तक कार्य पूर्ण होता नहीं दिख रहा है।

फिर से किया गया है टेंडर
पूर्व मध्य रेल के अधिकारियों ने बताया कि कवच सिस्टम से रेल सेक्टर और ट्रेन को लैस करने के लिए फिर से टेंडर किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह की योजना में बहुत ज्यादा खर्च होता है। इसलिए रेलवे बोर्ड के निर्णय के बाद ही कार्य शुरू होता है। दीनदायाल उपाध्याय डिविजन में ट्रायल के बाद अन्य डिवीजनों में लागू करने के लिए टेंडर हुआ है। एक साथ देश भर के कई डिवीजनों में कार्य शुरू होगा।

क्या है कवच
रेलवे अधिकारियों ने बताया कि कवच एक टक्कर रोधी तकनीक है। ये ट्रेन की दुर्घटना को कम करने में सहायक है। यह प्रौद्योगिकी माइक्रो प्रोसेसर, ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और रेडियो संचार के माध्यमों जुड़ा होता है। ये सिस्टम एक निश्चित दूरी पर एक ही ट्रैक पर दूसरी ट्रेन के आने का संकेत देती है। जिससे ट्रेन के इंजन में लगे उपकरण पायलट को मैसेज देता रहता है। इमरजेंसी के समय अपने आप ब्रेक लगा देती है।

इस तरह काम करती है कवच सिस्टम
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि पायलट द्वारा निर्धारित गति के अनुसार ट्रेन को नियंत्रित नहीं कर पाने या लाल सिग्नल को तोड़ते हुए आगे बढऩे की स्थिति में ब्रेक्रिंग सिस्टम अपने आप एक्टिव हो जाता है। जिससे दो ट्रेनों के बीच होने वाली टक्कर को रोकता है। इस सिस्टम को कवच कहते हैं। अधिकारियों ने बताया कि कवच सिस्टम सिग्नल के साथ सम्पर्क बनाए रखती है। इसका मैसेज कन्ट्रोल व ट्रेन परिचालन से जुड़े अधिकारियों को मिलता रहता है। इमरजेंसी के समय लोको पायलट को कार्रवाई करने के लिए सचेत करता है। कवच सिस्टम, साइट टक्कर, आगे पीछे की टक्कर को रोकने में सक्षम है।


पूर्व मध्य रेल के सभी डिवीजनों में यात्री सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रेलवे को कवच सिस्टम लगाने की आवश्यकता है। जिससे ट्रेन हादसों पर लगाम लगेगा।
- भरत कुमार, पब्लिक

जलपाईगुड़ी रेल ट्रैक अगर कवच सिस्टम से लैस होता तो कंचनजंघा एक्सप्रेस और मालगाड़ी में हुए टकराव में लोगों की जान नहीं जाती। इसे पूरे देश की रेल सिस्टम में लगाने की आवश्यकता है।
- राजीव कुमार, पब्लिक

पटना से राजधानी सहित कई महत्वपूर्ण ट्रेनों का संचालन होता है। बावजूद ईसीआर के ट्रैक कवच सिस्टम से युक्त नहीं है। समय रहते रेलवे को एक्टिव होने की आवश्यकता है। तभी रेल हादसा कम होगा।
- रामभजन प्रसाद, पब्लिक


दीनदयाल उपाध्याय डिवीजन में कवच पर ट्रायल हुआ है। जल्द ही जोन के अन्य डिविजन भी कवच से लैस होगा। इसके लिए टेंडर किया गया है।
- सरस्वतीचन्द्र, सीपीआरओ, पूर्व मध्य रेलवे

Posted By: Inextlive