हेलमेट पहने होते तो बच जाते आईटी पार्क में काम कर रहे लेबर
पटना ब्यूरो।
-अटल पथ स्थिति निर्माणाधीन आईटी पार्क में ग्रेनाइट स्लैब से दबकर दो की मौत-घटना के बाद निर्माण एजेंसी के सभी पदाधिकारी साइट छोड़कर हुए फरार
-खगडिय़ा के रहने वाले थे दोनों मजदूर
-ट्रक से नीचे उतारते समय एक साथ कई ग्रेनाइट स्लैब के बीच में आने से हुई मौत घटना की टाइम लाइन
2: 20 बजे अटल पथ स्थित आईटी पार्क में ट्रक से ग्रेनाइट स्लैब के नीचे आए मजदूर 2:45 बजे मौके पर मजदूरों ने घायल मजदूरों को बाहर निकाला और प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया 3 बजे पाटलिपुत्र थाने की पुलिस मौके पर पहुंची, वहां मौजूद अन्य मजदूरों का बयान दर्ज किया 4 बजे
परिजनों को सूचना देने के बाद दोनों शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया
वहीं तीन मजदूर उनकी सहायता के लिए नीचे थे। स्लैब ट्रक के दोनों ओर की पट्टी से टिकाकर रखी हुई थी। अचानक ट्रक की बाएं साइड की ग्रेनाइट स्लैब बीच में खड़े दो मजदूरों पर आ कर टिक गई। जिस वजह से 90 डिग्री का एंगल बन गया। जिसमें दोनों मजदूरों का सर फंस गया। एक ग्रेनाइट स्लैब की वजन 250 किलो रही होगी और इस तरह से 50 ग्रेनाइट स्लैब के बीचो-बीच आने से दोनों मजदूर का सर पूरी तरह से पिस गया और उनकी मौत स्पॉट पर ही हो गई। सवाल उठ रहे कि यदि मजदूर हेलमेट पहने होते तो उनकी जान शायद बच सकती थी।
ग्रेनाइट स्लैब के बीच फंसे मजदूरों की बॉडी आधे घंटे की देर से निकाली गई। क्योंकि घटना के बाद निर्माण एजेंसी के तमाम पदाधिकारी मौके से फरार हो गए। मजदूरों ने किसी तरह से स्लैब के बीच फंसे मजदूरों को बाहर निकाला और इस उम्मीद में प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए कि हो सकता है वे जिंदा हो। लेकिन वहां डॉक्टरों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया। खगडिय़ा के थे दोनों मजदूर
मृतक 30 वर्षीय गौतम यादव और 19 वर्षीय दिलखुश कुमार खगडिय़ा के बेलदौर थाना क्षेत्र के पिलगारा गांव के रहने वाले थे। वे पिछले दो महीने से साफ्टवेयर टेक्नोलाजी पाक्र्स आफ इंडिया (एसटीपीआई) के निर्माणाधीन आईटी पार्क के लिए ठेका मजदूर के तौर पर काम कर रहे थे। घटना के बाद पूरा ट्रक की ट्रॉली खून से लाल हो गया था। मांस के लोथड़े भी जहां-तहां बिखरे पड़े थे। गौतम के चचेरे भाई आशीष और संदीप को भी चोट लगी है। संदीप पर इस घटना का इस कदर असर हुआ कि वह मानसिक संतुलन खो चुका था। आशीष ने बताया कि वे सभी लोग एक ही गांव के हैं। जो यहां काम कर रहे थे।
एसटीपीआई पार्क के लिए दिल्ली बेस्ड रिद्धिमा कंस्ट्रक्शन निर्माण का काम रही है। कंस्ट्रक्शन साइट पर काम कर रहे मजदूर सेफ्टी हेलमेट नहीं पहने थे। स्लैब गिरने की वजह से 90 डिग्री का एंगल बन गया था। जिसमें मजदूरों का केवल सर फंसा हुआ था। उनकी बाकी शरीर नीचे के गैप में सुरक्षित था। इस लिहाज से अगर वे सेफ्टी हेलमेट पहने होते तो शायद उनकी जान बच सकती थी। इसके अलावा इतनी बड़ी कंस्ट्रक्शन साइट पर कंपनी की ओर से न तो कोई मेडिकल ऐड की व्यवस्था रखी गई और न ही कोई एम्बुलेंस की व्यवस्था थी। क्रेन के बदले मजदूरों से उतरवाया जा रहा था स्लैब
मौके पर मौजूद मजदूरों ने बताया कि उन्होंने ग्रेनाइट स्लैब उतारने के लिए क्रेन की मांग की थी। लेकिन कंपनी का सुपरवाइजर इसे लेबर से ही मैन्यूली उतारने को कहा था। तीन से चार के करीब स्लैब उतारी भी गई थी। इस बीच हादसा हो गया।
पुलिस के आने के बाद मजदूरों ने कुछ देर के लिए हंगामा भी किया। कंपनी पर शोषण का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें महज तीन से चार सौ रुपये तक की मजदूरी दी जाती है। दिन भर काम भी लिया जाता है। मृतक गौतम यादव शादीशुदा था। उसकी पत्नी और चार बच्चे हैं अब उन्हें कौन देखेगा। नहीं पहुंची डायल 112
घटना के बाद मौके पर मौजूद लोगों ने मदद के लिए डायल 112 को फोन किया। लेकिन मौके पर न तो डायल 112 पहुंची न ही एम्बुलेंस सेवा की कोई गाड़ी मजदूरों को लेने पहुंची। वहीं घटनास्थल से महज सौ मीटर दूर मौजूद ट्रैफिक पुलिस के जवान भी स्पॉट की ओर आना उचित नहीं समझा। पोस्टमार्टम के लिए पीएचसीएच भेजा गया
शव को पुलिस ने कब्जे में लेकर पीएमसीएच में पोस्टमार्टम के लिए भेजा है। वहीं उसके परिजनों को इसकी सूचना दे दी गई है।