खालसा मेरे रूप है खास, खालसा में हऊं करौं निवास
पटना (ब्यूरो)। दशमेश गुरु गोङ्क्षवद ङ्क्षसह ने छुआछूत, भेदभाव, ऊंच-नीच जैसी सामाजिक कुरीतियों को समाप्त करने के लिए 324 वर्ष पूर्व खालसा पंथ की स्थापना कर अनुयायियों को हमेशा न्यारा रहने का संदेश दिया। उक्त बातें शुक्रवार को कथावाचक ज्ञानी सुखदेव ङ्क्षसह और ज्ञानी सतनाम ङ्क्षसह ने तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में बैसाखी के मौके पर आयोजित विशेष दीवान में देश-विदेश के श्रद्धालु के बीच कहीं। तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में बैसाखी मनाने वाले श्रद्धालुओं का दिनभर तांता लगा रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत हजूरी रागी जत्था भाई जोगिन्दर ङ्क्षसह के कीर्तन से हुई। अरदास-हुकुमनामा व कड़ाह प्रसाद वितरण के बाद हजूरी रागी जत्था के भाई कविन्दर ङ्क्षसह ने शबद-कीर्तन किया। इसके बाद तीन दिनों से चल रहे अखंड-पाठ की समाप्ति हुई। दिनभर भजन-कीर्तन, कथा-प्रवचन का दौर चलता रहा।
कथावाचक ज्ञानी सुखदेव ङ्क्षसह ने खालसा पंथ पर प्रकाश डालते हुए कहा कि खालसा शब्द खालिस से बना है। जिसका अर्थ है विशुद्ध, निर्मल व बिना मिलावट के। खालसा का संबंध अकाल पुरुष से है। जिसे आप ईश्वर परमात्मा, वाहे गुरु, अल्लाह, गाड कह लें। खालसा पंथ एक अत्यंत पावन मार्ग है।
कथावाचक ज्ञानी सतनाम ङ्क्षसह ने कहा कि दशमेश गुरु अपने आप में सार्वदेशिक, सार्वभौमिक एवं विश्व बंधुत्व का प्रतीक थे। श्री गुरु गोङ्क्षवद ङ्क्षसह ने लोगों को शस्त्रधारी होने के लिए कहा, समय आने पर शस्त्रों को उपयोग करने की प्रेरणा दी। बैसाखी के दिन खालसा के रूप में उन्होंने एक नए समाज का सृजन किया।
1699 में खालसा की स्थापना 13 अप्रैल 1699 को सिखों के दशमेश गुरु गोङ्क्षवद राय जी (जो बाद में गुरु गोङ्क्षवद ङ्क्षसह के नाम से विख्यात हुए) ने आनंदपुर साहिब के श्री केश गढ़ साहिब में खालसा पंथ की स्थापना की। दशमेश पिता ने Óपंज प्यारेÓ भाई दया राम, भाई धर्मचंद, भाई मुहकम चंद, भाई हिम्मत राम तथा भाई साहब चंद से अमृत छका (चखा) और उन्हें सिख के रूप में मान्यता दे ङ्क्षसह की उपाधि दी। उसी समय गुरु जी ने सिखों के लिए पंच ककार-केस, कंघा, कच़्ा, कच्छा एवं कृपाण धारण करने का विधान बनाया। उस दिन हजारों प्राणियों ने अमृतपान किया और ऊंच-नीच, जाति-पाति व भेदभाव को त्याग कर एक ही ईश्वर की संतान बना खालसा यानी शुद्ध खालिस बन गए। इस प्रकार दलित-शोषित मानवता की रक्षा के लिए अकाल पुरुष की फौज तैयार हो गई। खालसा पंथ की स्थापना करके गुरु गोङ्क्षबद ङ्क्षसह जी ने चिडिय़ों में बाज जैसी शक्ति भर दी।अमृत छके 40 संगत ने
खालसा पंथ के स्थापना दिवस पर 40 लोगों ने अमृत छके। देश-विदेश से आए सिख श्रद्धालुओं ने पंगत में बैठ लंगर चखा। विशेष दीवान में अध्यक्ष सरदार जगजोत ङ्क्षसह सोही, महासचिव सरदार इंद्रजीत ङ्क्षसह, कनीय उपाध्यक्ष सरदार गुरुङ्क्षवदर ङ्क्षसह, पूर्व महासचिव सरदार सरङ्क्षजदर ङ्क्षसह समेत अन्य थे।