पटना में जुगाड़ गाडिय़ां चल रही बेरोक-टोक
पटना (ब्यूरो)। जहां एक ओर शहर में डीजल से चलने वाली गाडिय़ों पर पाबंदी है और आदेश नहीं मानने वालों पर जुर्माना किया जा रहा है। वहीं, डीजल-केरोसिन से चलने वाली जुगाड़ गाडिय़ां बेरोकटोक चल रही है। इनके बरोक-टोक चलने का कन्सर्न यह है कि ये डीजल और केरोसिन से चलने की वजह से शहर की हवा में जहर घोल रहे हैं। जुगाड़ गाडिय़ां मनमाने तरीके से शहर के तमाम जगहों पर चल ही रही है। जुगाड़ गाडिय़ों का प्रयोग कमर्शियल पर्पस से हो रहा है। इस नाते यह सरकारी राजस्व की भी क्षति पहुंचा रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस मामले की पड़ताल की। पेश है रिपोर्ट।
14 गुना ज्यादा नुकसानदेह
प्रदूषण के मामले में जुगाड़ से चलने वाली गाडिय़ां अन्य वाहनों से ज्यादा नुकसानदेह है। ये दूसरे आम वाहनों की तुलना में 14 गुना ज्यादा कार्बन मोनो आक्साइड वातावरण में छोड़ते हैं। पर्यावरण विषयों के जानकार नरेंद्र कुमार ने बताया कि गाडिय़ों से निकलने वाले प्रदूषण को लेकर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। सभी को जिम्मेदार बनना होगा। ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे और वातावरण में जहर न घुले।
शहर में चल रही बेरोक-टोक
जुगाड़ गाडिय़ां पटना के तमाम शहरी क्षेत्र में चल रहे हैं और इनका भरपूर कमर्शियल यूज हो रहा है। ये गाडिय़ां पटना के आशियाना-दीघा, राजीव नगर, बेली रोड, आर ब्लॉक, अशोक राजपथ, कुर्जी मोड़, राजेंद्र नगर टर्मिनल, बाइपास आदि जगहों पर सैंकड़ों की संख्या में दौड़ रहे हैं। हद तो यह है कि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने संडे को पटना के विभिन्न इलाकों में जुगाड़ से चलती गाडिय़ों को देखा तो परिवहन विभाग से सवाल किया कि ये कैसे चल रही है? दावा किया गया कि कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
कोई नियम नहीं, तब भी परिचालन
जुगाड़ गाडिय़ों पर नकेल कसना भी मुश्किल है। इनका न तो रजिस्ट्रेशन है और न परमिट। यदि एक्सीडेंट हो जाए या कोई आपराधिक घटना तो इन गाडिय़ों के मालिक को पकडऩा मुश्किल हो जाएगा। सरकार के पास इनका न तो रिकार्ड है न लाइसेंस है और न रोड परमिट। फिर भी इनका परिचालन हो रहा है। ये गाडिय़ां मुख्यत: कंस्ट्रक्शन और दुकानों में किराना सामना पहुंचाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है। जहां एक ओर शहर में डीजल से चलने वाली गाडिय़ों पर पाबंदी है और आदेश नहीं मानने वालों पर जुर्माना किया जा रहा है। वहीं, डीजल-केरोसिन से चलने वाली जुगाड़ गाडिय़ां बेरोकटोक चल रही है। इनके बरोक-टोक चलने का कन्सर्न यह है कि ये डीजल और केरोसिन से चलने की वजह से शहर की हवा में जहर घोल रहे हैं। जुगाड़ गाडिय़ां मनमाने तरीके से शहर के तमाम जगहों पर चल ही रही है। जुगाड़ गाडिय़ों का प्रयोग कमर्शियल पर्पस से हो रहा है। इस नाते यह सरकारी राजस्व की भी क्षति पहुंचा रहे हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने इस मामले की पड़ताल की। पेश है रिपोर्ट।
14 गुना ज्यादा नुकसानदेह
प्रदूषण के मामले में जुगाड़ से चलने वाली गाडिय़ां अन्य वाहनों से ज्यादा नुकसानदेह है। ये दूसरे आम वाहनों की तुलना में 14 गुना ज्यादा कार्बन मोनो आक्साइड वातावरण में छोड़ते हैं। पर्यावरण विषयों के जानकार नरेंद्र कुमार ने बताया कि गाडिय़ों से निकलने वाले प्रदूषण को लेकर कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। सभी को जिम्मेदार बनना होगा। ताकि पर्यावरण स्वच्छ रहे और वातावरण में जहर न घुले।
शहर में चल रही बेरोक-टोक
जुगाड़ गाडिय़ां पटना के तमाम शहरी क्षेत्र में चल रहे हैं और इनका भरपूर कमर्शियल यूज हो रहा है। ये गाडिय़ां पटना के आशियाना-दीघा, राजीव नगर, बेली रोड, आर ब्लॉक, अशोक राजपथ, कुर्जी मोड़, राजेंद्र नगर टर्मिनल, बाइपास आदि जगहों पर सैंकड़ों की संख्या में दौड़ रहे हैं। हद तो यह है कि दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम ने संडे को पटना के विभिन्न इलाकों में जुगाड़ से चलती गाडिय़ों को देखा तो परिवहन विभाग से सवाल किया कि ये कैसे चल रही है? दावा किया गया कि कड़ी कार्रवाई की जा रही है।
जुगाड़ गाडिय़ों पर नकेल कसना भी मुश्किल है। इनका न तो रजिस्ट्रेशन है और न परमिट। यदि एक्सीडेंट हो जाए या कोई आपराधिक घटना तो इन गाडिय़ों के मालिक को पकडऩा मुश्किल हो जाएगा। सरकार के पास इनका न तो रिकार्ड है न लाइसेंस है और न रोड परमिट। फिर भी इनका परिचालन हो रहा है। ये गाडिय़ां मुख्यत: कंस्ट्रक्शन और दुकानों में किराना सामना पहुंचाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है।
बात सस्ता इंधन खपाने की
जुगाड़ गाडिय़ों का प्रयोग आखिर क्यों? जुगाड़ गाडिय़ां डीजल के साथ केरोसीन जैसे सस्ते ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा देते हैं। दूसरी ओर, प्रशासन का ध्यान इनके उपर नहीं होने के कारण लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके मेनटेनेंस आदि पर भी खर्च बेहद कम है। जुगाड़ गाड़ी का प्रचलन सबसे पहले पश्चिम बंगाल में प्रारंभ हुआ। यहां से पटना में भी ये गाडिय़ां लाई जाने लगी। धीरे-धीरे यह पटना की सड़कों पर फर्राटा भरने लगी। ये वाहन तिपहिया वाहन जेनेरेटर इंजन से चलता है। इसमें ईंधन के रूप में केरोसिन व डीजल का उपयोग किया जाता है।
परिवहन विभाग, पटना से मिली जानकारी के अुनसार, एक अप्रैल से डीजल के ऑटो को बंद दिया गया है। जो चल रहे हैं उनके उपर जुर्माना लगाया जा रहा है। लगातार धर -पकड़ की जा रही है। सैटरडे को परिवहन विभाग की टीम ने 18 ऑटो और बस से 3 लाख 22 हजार रुपए जुर्माना वसूला। जुर्माना नहीं भरने पर गाड़ी जब्त कर ली गई। यह कार्रवाई आगे भी जारी रखे जाने की बात कही गई। दावा कार्रवाई का
डीटीओ पटना श्री प्रकाश ने बताया कि जुगाड़ गाड़ी के लिए परिवहन विभाग द्वारा कोई नियम नहीं बनाया गया। सड़कों पर इसका परिचालन भी अवैध है। विभागीय कार्रवाई की जा रही है। शनिवार को पटना में सरकारी या प्राइवेट डीजल सिटी बस शहर में चलाते पकड़े जाने पर 30 हजार रुपए जुर्माना किया गया। इससे भी नहीं माने तो परमिट रद किया जाएगा। शहर भर में सघन अभियान चलाया गया है।
जुगाड़ गाडिय़ों का प्रयोग आखिर क्यों? जुगाड़ गाडिय़ां डीजल के साथ केरोसीन जैसे सस्ते ईंधन के प्रयोग को बढ़ावा देते हैं। दूसरी ओर, प्रशासन का ध्यान इनके उपर नहीं होने के कारण लगातार बढ़ते जा रहे हैं। इसके मेनटेनेंस आदि पर भी खर्च बेहद कम है। जुगाड़ गाड़ी का प्रचलन सबसे पहले पश्चिम बंगाल में प्रारंभ हुआ। यहां से पटना में भी ये गाडिय़ां लाई जाने लगी। धीरे-धीरे यह पटना की सड़कों पर फर्राटा भरने लगी। ये वाहन तिपहिया वाहन जेनेरेटर इंजन से चलता है। इसमें ईंधन के रूप में केरोसिन व डीजल का उपयोग किया जाता है। तीन लाख से ज्यादा वसूले
परिवहन विभाग, पटना से मिली जानकारी के अुनसार, एक अप्रैल से डीजल के ऑटो को बंद दिया गया है। जो चल रहे हैं उनके उपर जुर्माना लगाया जा रहा है। लगातार धर -पकड़ की जा रही है। सैटरडे को परिवहन विभाग की टीम ने 18 ऑटो और बस से 3 लाख 22 हजार रुपए जुर्माना वसूला। जुर्माना नहीं भरने पर गाड़ी जब्त कर ली गई। यह कार्रवाई आगे भी जारी रखे जाने की बात कही गई। दावा कार्रवाई का
डीटीओ पटना श्री प्रकाश ने बताया कि जुगाड़ गाड़ी के लिए परिवहन विभाग द्वारा कोई नियम नहीं बनाया गया। सड़कों पर इसका परिचालन भी अवैध है। विभागीय कार्रवाई की जा रही है। शनिवार को पटना में सरकारी या प्राइवेट डीजल सिटी बस शहर में चलाते पकड़े जाने पर 30 हजार रुपए जुर्माना किया गया। इससे भी नहीं माने तो परमिट रद किया जाएगा। शहर भर में सघन अभियान चलाया गया है।