PATNA : फ्लाइट से ट्रैवलिंग आपके टाइम को काफी हद तक सेव कर देती है. लेकिन यह सफर अब आपकी जान पर भारी पड़ रहा है. एक्सपर्ट्स मानते हैं कि हवाई यात्रा में जेनरली पैसेंजर्स एक ही पोश्चर में देर तक बैठते हैं जिससे उनके ब्लड सर्कुलेशन पर असर होता है.


अगर आप रेग्यूलर हवाई सफर करते हैं तो ख्याल रखना होगा कि इसका सीधा असर आपके हार्ट पर पड़ रहा है। डॉक्टर्स के पास इस तरह के कई केसेज आने लगे हैं। हार्ट और फेफड़ों के एक्सपर्ट मानते हैं कि प्लेन पर ऐसा एक ही पाश्चर में लगातार बैठने से होता है। वैसे एक ही पाश्चर में अधिक समय तक खड़े रहने की वजह से भी ऐसा हो रहा है। इससे लोग डीवीटी यानि डीप वेन थ्रोम्बोसिस के शिकार हो रहे हैं। एक्सपर्ट की मानें तो इस कंडीशन में हार्ट तक ब्लड नहीं पहुंच पाता है। लिहाजा इस तरह के केसेज बढ़ रहे हैं। कई सारे केसेज में ऑपरेशन तक की नौबत आ रही है। बता दें कि हर दिन 1500-2000 लोग प्लेन से सफर करते हैं। इस दौरान इन्हें अपने पैरों की देखभाल खुद करनी चाहिए, वरना एक ही सीट पर बैठे-बैठे पांव का हाल बुरा तो होगा ही, बड़े खतरे के भी चांस हो सकते हैं। दिल को चाहिए 250 एमएल ब्लड


एम्स के कार्डियक स्पेशलिस्ट डॉ। संजीव कुमार ने बताया कि प्लेन से लगातार सफर करने से पांव की नस से होकर ब्लड की सप्लाई कम हो जाती है। क्योंकि वेन में ब्लड जमा होने लगता है और प्रॉपर रूप से दिल तक नहीं पहुंच पाता है। अगर 250 एमएल से कम ब्लड हार्ट तक पहुंचता है तो जान के लिए खतरा बन जाता है। एक बीट की धड़कन में 250 एमएल ब्लड की जरूरत कम से कम पड़ती है। इसके शिकार सिर्फ पुरुष ही नहीं बल्कि महिलाए भी होती हैं। बढ़ रही पेशेंट्स की संख्या कॉमन-सी दिखने वाली डीवीटी अब जान पर बन आयी है। हर दिन पांच से सात पेशेंट इस तरह के शहर के कई कार्डियक और चेस्ट स्पेशलिस्ट के पास आते रहते हैं। पहले कुछ वार्निंग, फिर एक्सरसाइज और अंतत: ऑपरेशन तक करवाया जा रहा है। डीवीटी दिन ब दिन पटनाइट्स के लाइफ स्टाइल में को बदल रही है। ब्लड क्लॉटिंग से खतराएक ही पाश्चर में अमूमन रहने से डीवीटी फिर पल्मूनिटरी फेमबोलोसिस का चांस काफी रहता है। इसमें पांव की नसों में ब्लड जमा हो जाता है। यह धीरे-धीरे पांव की नसों से होकर हार्ट या फेफड़ों में पहुंचने लगता है और फिर उसका इंफेक्शन इतना अधिक हो जाता है कि जान पर बन आता है। इस तरह दिखता है असर * पांव में लगातार सूजन बढऩे लगता है।* दर्द रहता है साथ ही मूवमेंट कम हो जाता है।

* पांव की स्किन रुखड़ा होने लगती है।* उसमें ईचिंग भी होने लगती है।* कई बार ब्लैक स्पॉट दिखने लगता है।* दिल और फेफड़ों में दर्द शुरू हो जाता है।ऐसे बच सकते हैं* डीवीटी से बचने के लिए लगातार एक ही पाश्चर में न बैठें।* पांव और हाथ का अधिक से अधिक मूवमेंट करते रहें।* पांव में किसी भी तरह के दर्द को इग्नोर न करें। * फौरन डॉक्टरी सलाह लें।* हमेशा तन कर बैठें और नीचे पांव का मूवमेंट करते रहना चाहिए।हाउस वाइफ के लिए भी खतरा अगर आप हाउस वाइफ हैं तो फिर आप भी खतरे के निशाने पर हैं। क्योंकि महिलाओं का कारोबार सिर्फ दो से तीन कमरे में ही सिमट जाता है। लिहाजा उनके पांव की वेन सूखने लगती है और ब्लड की सप्लाई दिल तक नहीं पहुंच पाती। इससे मौत भी हो सकती है।क्यों होता है डीवीटी* किसी बीमारी या गर्भ में बिस्तर पर लेटे रहना पड़ रहा है।* आप अधिकतर खड़े होकर काम करते हैं, जैसे कि अध्यापक, नर्स, सर्जन या अन्य।* आप लंबे समय तक पैर नहीं चलाते हैं, जैसे कि बहुत देर की हवाई जर्नी।

* किसी भी प्रकार की सर्जरी जो कि पैर, जांघ, कमर पर किया गया हो। *  कैंसर होने से डीवीटी का खतरा बढ़ जाता है।*  धूम्रपान करने से डीवीटी का खतरा बढ़ जाता है।* दिल की बीमारी जिसमें दिल कमजोर हो जाता है इसे कांजेस्टिव हार्ट फेल्योर कहते हैं, इस स्थिति में दिल पूरे तरह से खून को पम्प करने में सक्षम नहीं होता है और खून पैरों में जमा होने लगता है।* पैर की नसों की कमजोरी से खून पैरों में जमा होने लगता है। सामान्य स्थिति में खून को पैर से दिल के तरफ लौटना चाहिए इसमें पैर में एक तरफ  जाने के लिए वाल्व होता है, जो खून के बहाव को दिल के तरफ रखता है अगर नसों के वाल्व में कमजोरी आ जाता है तो खून के बहाव में रुकावट आ जाती है और फिर पैर में खून जमा होने लगता है।* अगर आप ओरल कांट्रासेप्टिव पिल्स लेते हैं।* अगर आपको मोटापा है।* अगर आपको मेनोपॉज हो चुका है।

Posted By: Inextlive