Festivities ki hat-trick
गोधन, भाई दूज और चित्रगुप्त पूजा साथ-साथअपनी-अपनी परंपरा का निर्वाह करते हुए सबने अलग-अलग तरह से सेलिब्रेट किया। मगधी कल्चर के हिसाब से एक ओर गोधन पूजा की गई, तो दूसरी ओर मिथिला और अंगिका के हिसाब से भाई दूज मनाया गया। कहीं गाली तो कहीं लगाया टीकागोधन पूजा में ऐसी मान्यता है कि बहनों द्वारा भाई को जितनी गालियां दी जाती हैं, उन्हें उतना ही आशीर्वाद लगता है। इसी तर्ज पर गोधन मनाने के दौरान बहनों ने भाइयों को जी भर के गालियां दी और बाद में जीभ में कांटा चुभो कर भाई को आशीष भी दिया। दूसरी ओर भाई दूज मनाने के दौरान बहनों ने भाई को टीका लगा कर उनकी लंबी आयु की कामना की।कलम-दवात की भी हुई पूजा
इधर कायस्थ समुदाय में विधिवत तरीके से भगवान चित्रगुप्त की पूजा-अर्चना की गई। इसमें किसी ने घर में तो किसी ने समुदाय में एकत्रित होकर भगवान चित्रगुप्त को साल भर की आय-व्यय का लेखा-जोखा बही के रूप में चढ़ाया। इस दौरान कलम-दवात की पूजा भी विधिवत तरीके से की गई। इसमें स्वावलंबन चित्रगुप्त सेना, बहादुरपुर, अशोक नगर चित्रगुप्त परिषद, गर्दनीबाग ठाकुरबाड़ी चित्रगुप्त पूजा समिति, नवचेतना चित्रगुप्त परिषद, पोस्टल पार्क और चित्रगुप्त महापरिवार, न्यू यारपुर में भी भगवान चित्रगुप्त की विशेष पूजा-अर्चना की गई।