PATNA NEWS मूक बधिर बच्चों के इलाज में न करें देरी,जितनी जल्दी इलाज शुरू करेंगे, सफलता की संभावना उतनी अधिक
पटना ब्यूरो। बच्चे अगर जन्मजात मूक बधिर हों, आपकी बात सुन और समझ नहीं पा रहे हों तो उनका इलाज शुरू कराने में देरी न करें। जितनी जल्दी उनका इलाज शुरू होगा उतना सफल परिणाम आएगा। ऐसे बच्चों के लिए कोक्लियर इम्प्लांट अबतक का सबसे सटीक इलाज है। इस महंगे इलाज को भी सरकारी योजना की मदद से मुफ्त में कराया जा सकता है। इसलिए देर करना किसी भी सूरत में समझदारी का काम नहीं है। मूक बधिर बच्चों के इलाज में अभिभावकों की ओर से बरती जाने वाली लापरवाही से सतर्क करते हुए ईएनटी रोग और कोक्लियर इम्प्लांट विशेषज्ञ डॉ। अभिनीत लाल ने ये बातें कहीं। सरकार कर रही है मदद
डॉ। लाल ने कहा कि भारत सरकार एडीआईपी और बिहार सरकार सीएमआरएफ योजना के तहत पांच साल से कम उम्र के सभी मूक बधिर बच्चों के मुफ्त इलाज का जिम्मा उठा रही है। सरकार ने इस योजना से लाभान्वित हो सकने वाले बच्चों की खोज के लिए कई टीमें भी बनाई हैं। इसके तहत डॉ। लाल के प्रनिधाना ईयर एंड हेड नेक क्लिनिक को भी 10 जिलों में ऐसे बच्चों को चिन्हित करने का जिम्मा दिया गया है। उन्होंने कहा कि हम लगातार ऐसे बच्चों की खोज में रहते हैं जिन्हें इस इलाज की जरूरत है। हालांकि इन 10 जिलों के बाहर के भी अभिभावक भी अन्य स्रोत से जानकारी जुटाकर हमारे पास पहुंचते हैं और हम उनका भी मुफ्त इलाज करते हैं। इसके अलावा मूक बधिर बच्चों के इलाज में हंस फाउंडेशन भी काम कर रहा है। यह फाउंडेशन पांच साल से कम उम्र के बच्चों के इलाज में भी आर्थिक मदद करता है। कॉक्लियर इम्प्लांट सबसे उपयुक्त डॉ। लाल ने कहा कि जहां तक इलाज का सवाल है, कम सुनने या नहीं सुन पाने वाले मरीजों के लिए कोक्लियर इम्प्लांट सबसे उपयुक्त इम्प्लांट है। यह इम्प्लांट हमारे देश में पिछले 30 सालों से किया जा रहा है। तकनीक के विकास के साथ इसकी सफलता दर बढ़ती जा रही है। कोक्लियर इम्प्लांट के लिए मरीज के उम्र की कोई बाध्यता नहीं है।