एक्सप्रेस से पैसेंजर तक सब ट्रेनों में ठसमठस, यात्रियों की फजीहत
पटना ब्यूरो। होली से पहले घर पहुंचने वाले लोगों का तांता रविवार को भी रेल परिसरों में लगा रहा। लंबी दूरी से सफर कर आ रहे लोग ट्रेनों में यात्रियों की संख्या के हिसाब से पर्याप्त जगह न होने से परेशान रहे। पटना, दानापुर, पाटलिपुत्र और राजेंद्रनगर आने वाली ट्रेन की बोगियों में ठसमठस भीड़ रही। इनमें कामकाजी लोगों की संख्या काफी दिखीं। जनरल डब्बों की स्थिति नरकीय रही। दून एक्सप्रेस, संघमित्रा, श्रमजीवी एक्सप्रेस, कामाख्या ओखा, संपूर्ण क्रांति सभी ट्रेनों की स्थिति ऐसी ही नजर आई। ट्रेनों के जनरल डब्बे में, शौचालय में यात्रियों ने 12 से 18 घंटे का सफर किया। कई यात्रियों में इस ट्रेन के जनरल डब्बे में मारपीट की स्थिति भी बन आई। रविवार को पटना से गया, मोकामा, आरा, बक्सर, जहानाबाद और हाजीपुर की ओर जाने वाली ट्रेनों में भी यात्रियों का रेला रहा। पटना के दफ्तरों में होली की छुट्टी होने के बाद लोग परिवार के साथ घरों को लौटते दिखे। भीड़ को देखते हुए बड़ी संख्या में आरपीएफ और जीआरपी के जवानों की तैनाती रही।
होली स्पेशल ट्रेन भी कम पड़ी
रेलवे प्रशासन की तरफ से इस साल होली स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है, यह कोई नई बात नहीं है। हर साल होली स्पेशल ट्रेन चलाई जाती है और हर साल बिहार के लोग अपने घर परिवार के संग होली मनाने के लिए मशक्कत करके बिहार पहुंच रहे हैं। हर साल से सीख रेलवे प्रशासन कोई नई पहल नहीं करती है इस साल भी अभी 12 घंटे का सफर उन्होंने गेट पर बैठकर तय किया है। यात्रियों की मानें तो टिकट लेने के लिए पिछले 15 दिन से प्रयास कर रहे थे लेकिन टिकट नहीं मिला। जिस कारण से दिल्ली से गेट पर बैठकर पटना पहुंचे हैं। होली स्पेशल ट्रेन चल रही है लेकिन इसका फायदा सभी को नहीं मिल पाता है।
होली पर्व के चलते अन्य दिनों की अपेक्षा कई गुना भीड़ अधिक देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि होली में लोगों को शनिवार, रविवार और सोमवार 3 दिन की छुट्टी मिली है, स्कूल भी बंद हो गए हैं, इस कारण से त्योहार मनाने के लिए लोग अपने घर की तरफ रुख कर रहे हैं। होली को लेकर के पूर्व मध्य रेलवे प्रशासन के तरफ से 72 जोड़ी होली स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है।
स्पेशल ट्रेनों पर लोगों को भरोसा नहीं
रेलवे ने होली की भीड़भाड़ को देखते हुए भले ही 72 जोड़ी स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। इन पर मुसाफिरों को भरोसा नहीं है। नियमित ट्रेनों में नो रूम है, जबकि स्पेशल ट्रेनों में सीटें खाली हैं। यात्रियों का कहना है कि स्पेशल ट्रेनों का कोई भरोसा नहीं है। ट्रेन को कहां रोक दिया जाए, कुछ पता नहीं है। पटना से ही चलने वाली कई स्पेशल ट्रेनें अपनी निर्धारित समय से न खुल कर दो से तीन घंटे की देरी से रवाना हुई।
परिवार के साथ होली मनाने के लिए प्रवासी बिहारी यहां आने के बाद लोकल ट्रेनों या बसों से घर पहुंच रहे हैं। इसलिए छोटी, बड़ी, एसी, डिलक्स सभी तरह की बसों में यात्रियों की भीड़ दिख रही है। हालांकि, शहर से दूर होने की वजह से बैरिया स्थित पाटलीपुत्र बस टर्मिनल में बसों में अपेक्षा के मुताबिक भीड़ नहीं दिखीं। यहां से पूर्णियां, किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, बनारस यहां तक की जयपुर के लिए भी बसें रवाना होती है। बस टर्मिनल दूर होने की वजह से अब भी लोग बांकीपुर बस स्टैंड से ही बस पकडऩा बेहतर समझते हैं।
यहां भी उठानी पड़ी परेशानी
मेट्रो निर्माण की वजह से बांकीपुर पड़ाव से गिनी चुनी बसें संचालित हो रही है। यात्रियों को बस पकडऩे के लिए गंगा पाथवे आना पड़ रहा है। यात्रियों को टिकट लेने के बाद गंगा पाथवे आने में मशक्कत करनी पड़ रही है। तो बहुत से यात्रियों को पत्ता भी नहीं है। मालूम हो कि बांकीपुर बस स्टैंड से सरकारी व निजी दोनों तरह की बसे खुलती हैं। बांकीपुर से भागलपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, बेतिया, मोतिहारी, किशनगंज, गोपालगंज सहित अन्य जगहों के लिए बसें चलती है।
गर्मी बढऩे से लोगों ने साधारण बसों की तुलना में एसी और डीलक्स बसों से सफर करने को प्राथमिकता दी। हालांकि जिस हिसाब से यहां यात्री पहुंच रहे थे, उस हिसाब से बसों की संख्या कम पड़ गयी थी।