समकालीन वास्तुकला ने भवनों व निर्माण सामग्रियों में लाया परिवर्तन
पटना ब्यूरो। भूगोल विभाग, पटना विवि के स्थापना के 75वें वर्ष के अवसर पर भूगोल विभाग एवं आईक्यूएसी पटना विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में विभाग के सेमिनार हॉल में सोमवार को आर्किटेक्चरल ट्रांसफॉरमेंशन बट कल्चरल यूटिलाइजेशन ऑफ स्पेस रीमेंस विषय पर विशेष आमंत्रित व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस मौके पर प्रो विश्वनाथ प्रसाद सिन्हा द्वारा लिखित पुस्तक एक्सपेंडिंग डाइमेंशंस ऑफ जियोग्राफी का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि शिक्षाविद डॉ। सिनेन्ह्लानहला मेमेला थी जो भूगोल विभाग, रोड्स विश्वविद्यालय, दक्षिण अफ्र का के वरिष्ठ व्याख्याता हैं। कार्यक्रम की शुरुआत स्नातकोत्तर भूगोल विभाग, पीयू के विभागाध्यक्ष प्रो। मोहम्मद नाजिम के स्वागत भाषण से हुआ। मुख्य वक्ता डॉ। एस। मेंमेला ने उपरोक्त विषय पर विस्तृत चर्चा किया। डॉ। मेमेला का अध्ययन अमोक्सा जनजाति के घर प्रतिरूप (रोनडावेल्स हाउसिंग प्रतिरूप) पर है।
उन्होंने बताया कि पारंपरिक तौर पर इस घर के निर्माण में घास, फुस एवं मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। इनका घर गोल आकार का होता है। उन्होंने अपने अध्ययन में पाया कि समकालीन वास्तुकला ने ग्रामीण क्षेत्रों में भवनों और उसके निर्माण सामग्रियों में परिवर्तन ला दिया है। भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो। विश्वनाथ प्रसाद सिन्हा जो कि केन्या एवं नैरोबी में भी शिक्षा जगत में अपनी सेवाएं दे चुके हैं ने अपने विशेष व्याख्यान में अफ्र कन अधिवासों के संबंध में अपना अनुभव साझा किया। मंच का संचालन डॉ। प्रेरणा भारती ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ। देबजानी सरकार घोष के द्वारा किया गया।