पटना के बच्चों ने बनाया डेंगू डिटेक्टर डिवाइस, पांच सेकेंड में बताएगा पेशेंट पॉजिटिव हैं या निगेटिव
पटना ब्यूरो। हर साल डेंगू के बढ़ते मामले को देखते पटना के एसवीएम रेसिडेंशियल पब्लिक स्कूल के 10वीं में पढऩे वाले स्टूडेंट शुभ रंजन और आनंद कुमार एक ऐसा डिवाइस तैयार किया है, जो चंद सेकेंड में डेंगू के वायरस का पता कर लेगा। यह डिवाइस अल्ट्रा सेंसेटिव प्लैटफॉर्म है, जो वायरस का तेजी से पता कर लेता है। रिसर्च टीम का कहना है कि यह डिवाइस तेज, छोटा और सस्ता भी है। स्कूल के बच्चों ने इसे मॉडल के रूप में तैयार किया है। इंडस्ट्रियल पार्टनर की मदद से इसे मार्केट में लाने तैयारी कर रहे हैं। स्टूडेंट्स द्वारा तैयार इस मॉडल को माथे में लगाने पर न सिर्फ डेंगू पॉजिटिव और निगेटिव का पता चलेगा बल्कि डेंगू की जांच में होने वाले खर्च और समय में भी बचत होगी। ये डिवाइस एआई की तर्ज पर चलती है। सी प्लस प्लस से इसे प्रोग्रामिंग किया गया है। जो क्विक रिस्पांस करता है। आज वल्र्ड डिजाइन डे पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट में पढि़ए ये स्पेशल रिपोर्ट
इस तरह करता है काम
डेंगू केयर डिवाइस बनाने वाले शुभ रंजन और आनंद कुमार ने बताया कि इन्फ्रा रेड लाइट ब्लड की नलियों में जाता है उसके बाद रिफ्लेक्ट करता है जिससे रिसीवर को पता चलाता है पेशेंट डेंगू पॉजिटिव है या निगेटिव। स्टूडेंट्स ने बताया कि मॉडल डिजाइन करने में करीब 7 दिन लगा। जिसमें स्कूल के साइंस टीचर मनोज झा की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस डिवाइस को बाजार में लाने के लिए हम लोग प्रयासरत हैं। यह मॉडल बाजार में आने से न सिर्फ डेंगू जांच आसान हो जाएगी बल्कि डेंगू जांच में होने वाले खर्च भी कम होंगे। डिवाइस को अप्रूवल के लिए जल्द ही भेजेंगे। अप्रूवल मिलने के बाद निर्माण कार्य शुरू करेंगे।
डेंगू का लेवल चलता है पता
शुभ रंजन और आनंद कुमार ने बताया कि डेंगू केयर डिवाइस से डेंगू के सभी लेवल को डिडेक्ट कर लेगा। पहला लेवल 600 नैनो मीटर यानी ब्लड के गाढापन को बताता है। दूसरा 650 नैनो मीटर होता है और तीसरा 670 से 680 नैनो मीटर होता है। पॉजिटिव-निगेटिव के साथ डेंगू का लेवल भी बता देगा। जिसके आधार पर डॉक्टर दवा दे सकेंगे। उन्होंने बताया कि एआई की तर्ज ये मशीन काम करती है। सी प्लस प्लस से इसे प्रोग्रामिंग की गई है। इस डिवाइस को बनाने में आरडी नो यूनो और सेविंग करने वाले खराब ट्रीमर में सेंसर लगाकर इसे तैयार किए हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल के निदेशक एके नाग के प्रोत्साहन और सहयोग की वजह से हमलोग विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर नए-नए प्रयोग कर रहे हैं।
डिवाइस बनाने वाले शुभ रंजन और आनंद कुमार ने बताया कि इस डिवाइस को कहीं भी ले जा सकते हैं अभी डेंगू वायरस का पता करने वाले तरीके महंगे हैं, साथ ही इसमे अधिक मेहनत व समय लगता है। बायोकेमिकल टेस्ट महंगे के साथ ज्यादा वक्त लगने वाले तरीके हैं। इस डिवाइस से शुरुआती स्टेज में ही वायरस का पता लग जाता है।